ਸੌਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਕਾਲਪੁਰਖ ਦਾ ਕਰੋ ਸ਼ੁਕਰਾਨਾ, ਜਪੋ! ਸਤਿਨਾਮੁ ਸ੍ਰੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ
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ਸੌਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਕਾਲਪੁਰਖ ਦਾ ਕਰੋ ਸ਼ੁਕਰਾਨਾ, ਜਪੋ! ਸਤਿਨਾਮੁ ਸ੍ਰੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ
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सुबह सुबह हो गई है, कृपया पाठ करें! सतनाम श्री वाहेगुरु- वाहेगुरु
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जब कानून वाले ही कानून तोड़े तो
क्या आप जानते हैं भारत में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राज्यपाल से भी ज्यादा प्रोटोकॉल जजों को हासिल है
केंद्र सरकार या राज्य सरकार इन्हें सस्पेंड या बर्खास्त नहीं कर सकती
उनके घर पुलिस सीबीआई ईडी बगैर चीफ जस्टिस के इजाजत के नहीं जा सकती
यह कितने भी भ्रष्ट हो इनकी निगरानी नहीं की जा सकती उनके फोन या तमाम गजट को सर्वेलेंस पर नहीं रखा जा सकता
इसीलिए भारत का हर एक जज खुलकर भ्रष्टाचार करता है घर में नोटों की बोरे भर भरकर रखता है
और कभी पकड़ में नहीं आता
जस्टिस वर्मा भी पकड में नहीं आते अगर उनके घर पर आग नहीं लगी होती और एक ईमानदार फायर कर्मचारी ने वीडियो नहीं बनाया होता
सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया की अफवाह फैलाई जा रही है
दिल्ली हाईकोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया कि अफवाह फैलाई जा रही है
टीवी चैनलों पर वी के मनन अभिषेक मनु सिंघवी जैसे बड़े-बड़े वकील कह रहे थे आग तो जनरेटर में लगी थी अंदर कोई गया ही नहीं था तो नोट मिलने का सवाल कैसे उठाता
तरह-तरह की थ्योरी दी जा रही थी
मगर यह लोग भूल गए की आग बुझाने वाले ने यह सोचकर वीडियो बना लिया यह एक जज का घर है जो भारत में राष्ट्रपति से भी ऊंचा है बगैर सुबुत के इसके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होगी इसीलिए उसने वीडियो बना लिया
लेकिन जस्टिस वर्मा इतना घाघ है अब नई थ्योरी देकर कह रहा है कि स्टोर रूम तो मेरे कब्जे में था ही नहीं
यह वही जज है जिसने हेमंत सोरेन के खिलाफ सीबीआई जांच रोकने के आदेश दिए थे
यह वही जज है जिसने दिल्ली दंगों के 11 दंगाइयों को पर्याप्त सबूत होने के बावजूद रिहा करने का आदेश दिया था जबकि निचली अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दिया था
आप लोग क्या समझते हैं यह सारे फैसले जस्टिस वर्मा ने यूं ही दिए होंगे ??
आप लोग की क्या राय है अपनी तो पूर्ण सेवानिवृत्त…
हम गरीब लोग 100 रुपए में हंस खुश रहते यहां करोड़ों रुपए यूं ही स्वाहा किए जा रहे 🙏
अजब गजब कहानी महादेव जी अब क्या होगा ??!!!
जय हिन्द जय भारत
माँस, मछली खाना गलत क्यो कहा गया है ?
अनाज खाना सही क्यो कहा गया है ?
जब कि चेतना, जीवन तो दोनों में ही है,
एक दिन, ऐसा प्रश्न किसी सज्जन ने मुझसे किया , मैं मुस्कुरा कर बोला कि इस प्रश्न का उत्तर वाकई में आप को चाहिए तो मैं सिर्फ कोसिस कर सकता हूँ
और यदि बहस कुतर्क ही करना है तो मैं अपनी हार पहले ही मान लेता हूँ कि मुझे पता नही 😊😊😊
वैसे भी किसी सोते हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है, परन्तु जो जान बूझ कर लेटा है,सोने का नाटक कर रहा है,उठना ही नही चाहता , तो फिर उसे जगाना लगभग असंभव है
तो वो बोले कि मुझे वास्तव में जानना है
मैंने कहा ठीक है, पहले मेरे प्रश्न का जवाब दो , खूब सोच समझ कर ही जवाब देना
मान लो कि ऐसी परिस्थिति आ जाय कि तुम्हारे सामने , एक 10-12 साल का बच्चा और एक 70-75 साल का बूढ़ा व्यक्ति पानी मे डूब रहे है, और परिस्थितिवश तुम सिर्फ एक को ही बचा सकते हो, दोनो को नही,
तो तुम किसे बचावोगे ??
उसने जवाब दिया कि बच्चे को
ठीक है, फिर यदि तुम्हारे घर के उसी 70-75 साल के व्रद्ध के ऊपर तुम्हारा बैल हमला कर दे ,जो बैल खेत जोतता है तो क्या उस व्रद्ध को बचाने की आखरी कोशिस में तुम उस बैल को मार सकते हो ??
वो बोला -- हाँ
अब यदि उस बैल को सांप काटने आये तो क्या उस बैल को बचाने के आखरी प्रयास में सांप को मार दोंगे ??
वो बोला -- हाँ
मैं बोला कि तुम ऐसा क्यो करोगे या करते हो ??
क्योकि तुम्हारी नजर में
सांप की जिन्दगी से बैल की जिंदगी की वैल्यू ज्यादा है,
बैल से ज्यादा उस वृद्ध इंसान की वैल्यू ज्यादा है,
उस वृद्ध इंसान से ज्यादा बच्चे की जिंदगी
ठीक ऐसे ही
चेतना, जीवन तो सब मे है, किसमे ज्यादा एक्टिव चेतना है या इस प्रकृति में मानव जीवन के लिये कौन ज्यादा महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा है , उसी आधार पर , ये प्रकृति किसी की importance महत्ता देखती है
ये रहस्य , प्रकृति के रहस्य, हमारे देश के ऋषि , मुनियों ने हजारों साल पहले जान लिए थे, क्योकि वो प्रकृति के बहुत करीब थे
वो जानते थे कि अपने आर्थिक स्वार्थ , अहंकार के कारण हम बहुत सी चीजें नही देख पाएंगे,
बरगद का पेड़, पीपल का पेड़, तुलसी का पौधा, फल नही देता है, परन्तु बहुत सी निगेटिव एनर्जी को खत्म करता है, हवा को शुद्ध करता है, इसलिये बरगद,पीपल,तुलसी की पूजा का सिस्टम बनाया,इंसान को इनसे भावनात्मक जोड़ा,
कौवे को पित्तर पक्छ में पूर्वज मान कर उसे खिलाने का, पूजने का, बचाने का, सिस्टम बनाया ,क्योकि कौवा सुन्दर दिखता नही,बोलता नही, परन्तु कौवा पीपल के फल को खा कर उसके बीज को लैट्रिन से निकालता है तो उसी बीज से पीपल उगता है, डायरेक्ट नही,
मानव जीवन के लिए शुद्ध हवा चाहिये, जिसके लिये पीपल का पेड़, पीपल के पेड़ के लिये कौवा जरूरी है
ऐसे प्रकृति के बहुत रहस्य है, जिसे आज का विज्ञान अभी खोज ही रहा है
प्रकृति के ढेरों रहस्य जान कर ही ऋषि मुनियों ने कहा कि बहुत इमरजेंसी न आ जाय तब तक शाकाहार का ही निर्वाह करना चाहिए
क्योकि वो जानते थे कि
यदि हम जानवर खाएंगे तो जानवर ही बन जाएंगे
और फल,अनाज,साग खाएंगे तो पेड़,पौधों की तरह शांत,मौन,परोपकारी बनेंगे
दूसरी बात
कोई भी क्रिया सिर्फ क्रिया है, पाप कर्म या पुण्य कर्म नही , उस क्रिया को करने का उद्देश्य परिस्थिति क्या है, उस आधार पर वो क्रिया पाप-पुण्य , सही-गलत , हो जाती है
उदाहरण- एक सैनिक बॉर्डर पर 10 लोगो को जान से मार देता है,
result -- परमवीर चक्र
क्योकि देश की रक्छा के उद्देश्य से , ( बिना किसी निजी स्वार्थ,अहंकार के ) वो मनुष्य हत्या की क्रिया भी पुण्य कर्म है
वही सैनिक घर आकर पड़ौसी को गोली मार दे तो फांसी की सजा
वैसे ही --
माँस खाना हमेशा गलत या पाप कर्म नही है,
यदि अनाज , वनस्पति, फल मिल सकते है तो हमे अपना जीवन चलाने के लिये इनका ही प्रयोग करना होगा , क्योकि प्रकति की नजर में जीवो की वैल्यू ज्यादा है,वनस्पति के मुकाबले
अनाज फल आदि मिल सकता हो फिर भी हम अपने स्वाद , अपने अहंकार, भृम के कारण , माँस खाये तो गलत है,पाप है
यदि किसी जीव,जंतु,जानवर के सरीर से औषधि बना कर किसी इंसान की जान बचाई जाती है तो ये पुण्य कर्म है