Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
गुजरात में बोर्ड की परीक्षा चल रही है
एक मूर्ख पिता अपनी बेटी को गलत परीक्षा केंद्र पर उतार कर चला गया... बेटी ने 15 मिनट तक अपना रोल नंबर खोजने की कोशिश किया फिर वहां एक पुलिस इंस्पेक्टर की ड्यूटी थी उन्होंने जब देखा कि एक छात्रा काफी देर से परेशान है तब उन्होंने उसकी हॉल टिकट लेकर देखा तब पता चला कि लड़की के पिता जी उसे गलत परीक्षा केंद्र पर उतार कर चले गए हैं और इस बच्ची का असली परीक्षा केंद्र वहां से 20 किलोमीटर दूर है
परीक्षा में 15 मिनट बचा था पुलिस इंस्पेक्टर ने अपनी सरकारी गाड़ी में लाइट जलाते हुए और हूटर बजाते हुए उस बच्ची को समय से पहले उसके मूल परीक्षा केंद्र पर पहुंचा कर उस बच्ची का एक साल बिगड़ने से बचा लिया
अभी अभी पढ़ा कहीं
हम अक्सर गलतियां करते है और उन गलतियों को लेकर ताउम्र पछताते रहते है जबकि गलतियों से हमें ख़ुद को दूसरों को जानने का अनुभव आता है गलतियों का होना स्वाभाविक है पर उनको दोहराना और जीवनपर्यंत उसे लेकर चलना, न सिर्फ ग़लत है बल्क़ि आप जीवन मे आने वाले अवसरों को भी खोते जाते है क्योंकि आप उस ग़लती से अपने लिए एक डाउट पैदा कर देते है कि आपके द्वारा किसी काम को या व्यक्ति को चुनना हमेशा ग़लत निर्णय ही रहा है और फिर यही संदेह जो ख़ुद पर हो जाता है आपको आगे बढ़ने से रोकने लगता है
संक्षित में गलतियां करना जरूरी है ख़ुद को एक अनुभवशील इंसान बनाने के लिए पर उन गलतियों से शिक्षा लेकर फ़िर वही न दोहराने का अनुभव लेकर आगे बढ़ना ही मानव की प्रवत्ति होनी चाहिए.!
🌼विकारो_के_पांच_गधे 🌼
➖✴एक महात्मा कहीं जा रहे थे। रास्ते में वो आराम करने के लिये रुके। एक पेड के नीचे लेट कर सो गये नींद में उन्होंने एक स्वप्न देखा कि... “वे रास्ते में जा रहे हैं ,और उन्हें एक सौदागर मिला, जो पांच गधों पर बड़ी- बड़ी गठरियां लादे हुए जा रहा था। गठरियां बहुत भारी थीं, जिसे गधे बड़ी मुश्किल से ढो पा रहे थे।
➖✴फकीर ने सौदागर से प्रश्न किया- “इन गठरियों में तुमने ऐसी कौन-सी चीजें रखी हैं, जिन्हें ये बेचारे गधे ढो नहीं पा रहे हैं?”
✴सौदागर ने जवाब दिया- “इनमें इंसान के इस्तेमाल की चीजें भरी हैं। उन्हें बेचने मैं बाजार जा रहा हूं।
✴“ फकीर ने पूछा- “अच्छा! कौन-कौन सी चीजें हैं, जरा मैं भी तो जानूं!”
✴सौदागर ने कहा- “यह जो पहला गधा आप देख रहे हैं इस पर अत्याचार की गठरी लदी है।
✴“ फकीर ने पूछा- “भला अत्याचार कौन खरीदेगा?”
✴ सौदागर ने कहा- “इसके खरीदार हैं राजा- महाराजा और सत्ताधारी लोग। काफी ऊंची दर पर बिक्री होती है इसकी।
✴ फकीर ने पूछा-“इस दूसरी गठरी में क्या है?
✴ सौदागर बोला- “यह गठरी अहंकार से लबालब भरी है और इसके खरीदार हैं पंडित और विद्वान।
✴तीसरे गधे पर ईर्ष्या की गठरी लदी है और इसके ग्राहक हैं वे धनवान लोग, जो एक दूसरे की प्रगति को बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसे खरीदने के लिए तो लोगों का तांता लगा रहता है।
✴“ फकीर ने पूछा- “अच्छा! चौथी गठरी में क्या है भाई?”
➖सौदागर ने कहा- “इसमें बेईमानी भरी है और इसके ग्राहक हैं वे कारोबारी, जो बाजार में धोखे से की गई बिक्री से काफी फायदा उठाते हैं। इसलिए बाजार में इसके भी खरीदार तैयार खड़े हैं।“
➖ फकीर ने पूछा- “अंतिम गधे पर क्या लदा है?”
➖सौदागर ने जवाब दिया- “इस गधे पर छल-कपट से भरी गठरी रखी है और इसकी मांग उन औरतों में बहुत ज्यादा है जिनके पास घर में कोई काम-धंधा नहीं हैं और जो छल-कपट का सहारा लेकर दूसरों की लकीर छोटी कर अपनी लकीर बड़ी करने की कोशिश करती रहती हैं। वे ही इसकी खरीदार हैं।
“✴ तभी महात्मा की नींद खुल गई।
✴इस सपने में उनके कई प्रश्नों का उत्तर उन्हें मिल गया। सही अर्थों में कहें तो वह सौदागर स्वयं शैतान था, जो संसार में बुराइयाँ फैला रहा था। और उसके शिकार कमजोर मानसिकता के स्वार्थी लोग बनते हैं।
✴शैतान का शिकार बनने से बचने का एक ही उपाय है कि...ईश्वर पर सच्ची आस्था रखते हुवे अपने मन को ईश्वर का मंदिर बनाने का प्रयत्न किया जाय। ईश्वर को इससे मतलब नहीं कि कौन मंदिर गया, या किसने कितने वक्त तक पूजा की,
✴पर उन्हें इससे अवश्य मतलब होगा कि किसने अपने किन अवगुणों का त्याग कर किन गुणों का अपने जीवन में समावेश किया ,और उसके रचे संसार को कितना सजाया-संवारा।