Scoprire messaggiEsplora contenuti accattivanti e prospettive diverse nella nostra pagina Scopri. Scopri nuove idee e partecipa a conversazioni significative
धैर्य की जीत
सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में थीं, लेकिन उनका मन धरती पर था। तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी में देरी हो गई। 9 महीने अकेले रहना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हर दिन उन्होंने खुद को मजबूत बनाए रखा, रिसर्च जारी रखी और इंतजार किया।
धरती पर लोग उनकी बहादुरी की कहानियां सुन रहे थे। अंततः वह दिन आया, जब उनके साथी उन्हें लेने पहुंचे। उन्होंने धैर्य, साहस और आत्मविश्वास से दुनिया को सिखाया कि कठिनाइयों के आगे झुकना नहीं चाहिए—अगर मन में दृढ़ निश्चय हो, तो कुछ भी असंभव नहीं! #sunitawilliams #spacex #nasa #indian
■ विज्ञान कहता हैं कि एक नवयुवक स्वस्थ पुरुष यदि सम्भोग करता हैं तो, उस समय जितने परिमाण में वीर्य निर्गत होता है उसमें चालीस से नब्बे करोड़ शुक्राणु होतें हैं। यदि इन्हें स्थान मिलता, तो लगभग इतने ही संख्या में बच्चे जन्म ले लेते !
वीर्य निकलते ही ये अस्सी निब्बे करोड़ शुक्राणु पागलों की तरह गर्भाशय की ओर दौड़ पड़ते है...भागते भागते लगभग तीन सौ से पाँच सौ शुक्राणु पहुँच पाता हैं उस स्थान तक। बाकी सभी भागने के कारण थक जाते है बीमार पड़ जाते है और मर जातें हैं।
और यह जो जितने डिम्बाणु तक पहुंच पाया, उनमे सें केवल मात्र एक महाशक्तिशाली पराक्रमी वीर शुक्राणु ही डिम्बाणु को फर्टिलाइज करता है यानी कि अपना आसन ग्रहण करता हैं।
और यही परम वीर शक्तिशाली शुक्राणु ही आप हो, मैं हूँ , हम सब हैं !!
कभी सोचा है इस महान घमासान के विषय में ? इस महान युद्ध के विषय में ?
आप उस समय भाग रहे थे...तब जब आपकी आँखें नहीं थी, हाथ पैर सर दिमाग कुछ भी नही था...फिर भी आप विजय हुए थे !!
आप तब दौड़े थे जब आप के पास कोई सर्टिफिकेट नही था। किसी नामी दामी कॉलेज का नाम नही था।आप का कोई पहचान ही नही था।
फिर भी आप जीत गए थे !!!
आप तब दौड़े थे
जब आप न हिन्दू थे न मुसलमान
न भक्त न भगवान
फिर भी आप जीत गए !!
बिना किसी से मदद लिए बिना किसी के सहारे खुद अपने बलबूते पर विजय को प्राप्त हुए थे !
उस समय आप भागे थे दौड़े थे जब आप का एक निर्दिष्ट गन्तव्य स्थल था...उसी की ओर लक्ष्य था...आप का संकल्प बस उस तक पहुंचना था...थके बिना एकाग्र चित्त से आप भागे दौड़े और उद्देश्य पूरा किये, गन्तव्य तक पहुंच गए !
अस्सी निब्बे करोड़ शुक्राणुओं को आप ने हरा दिए थे ! हैं न ?
और आज देखो ?
थोड़ा बहुत भी तकलीफ या परेशानी आई, और आप घबरा जाते हैं...निराश हो जातें है...हाल छोड़ बैठ जातें हैं...
क्यो आप अपना उस आत्मविश्वास को गँवा बैठते हैं ??
अभी तो सब हैं आप के पास हाथ पैर से मष्तिष्क दिमाग से लेकर परिवार भाई बहन सब हैं ! मेहनत करने के लिए हाथ पैर हैं
प्लानिंग के लिए दिमाग हैं बुद्धि हैं शिक्षा हैं...सहायता के लिए लोग हैं !
फिर भी आप निराश हो जीवन को नरक बना बैठे हैं !!
जब आप जीवन की प्रथम दिन प्रथम युद्ध नही हारे तो आज भी हार मत मानिये !
आप पहले भी जीतें थे...आज भी और कल भी जीतेंगे...
ऐसा मुझे विश्वास हैं आप पर 🙏