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सम्मेद शिखर और इसके महत्त्व
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'सम्मेद शिखर' झारखण्ड राज्य में स्थित एक पहाड़ी है, जो जैन धर्म के मानने वालों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है।
यह समुद्र के तल से 520 फ़ीट की ऊँचाई पर लगभग 9 किलोमीटर की परिधि में फैला है। सम्मेद शिखर तीर्थ पारसनाथ पर्वत की उत्तरी पहाडिय़ों एवं प्राकृतिक दृश्यों के बीच स्थित तीर्थ स्थान है। यहाँ पर प्राकृतिक हरियाली और प्रदूषण मुक्त वातावरण के मध्य स्थित गगनचुम्बी मंदिरों की श्रृंखला लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस तरह यह तीर्थ क्षेत्र भक्तों के मन में भक्ति व प्रेम की भावना को जगाता है तथा उनको अहिंसा और #शांत का संदेश देता है।
धार्मिक मान्यता और जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह 'सिद्धक्षेत्र' कहलाता है।
जैन धर्म में प्राचीन धारणा है कि सृष्टि रचना के समय से ही सम्मेद शिखर और अयोध्या, इन दो प्रमुख तीर्थों का अस्तित्व रहा है। इसका अर्थ यह है कि इन दोनों का अस्तित्व सृष्टि के समानांतर है। इसलिए इनको 'अमर तीर्थ' माना जाता हैं
प्राचीन ग्रंथों में यहाँ पर तीर्थंकरों और तपस्वी संतों ने कठोर तपस्या और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया। यही कारण है कि जब सम्मेद शिखर तीर्थयात्रा शुरू होती है तो हर तीर्थयात्री का मन तीर्थंकरों का स्मरण कर अपार श्रद्धा, आस्था, उत्साह और खुशी से भरा होता है। इस तप और मोक्ष स्थली का प्रभाव तीर्थयात्रियों पर इस तरह होता है कि उनका हृदय भक्ति का सागर बन जाता है।
जैन धर्म शास्त्रों में लिखा है कि अपने जीवन में सम्मेद शिखर तीर्थ की एक बार यात्रा करने पर मृत्यु के बाद व्यक्ति को पशु योनि और नरक प्राप्त नहीं होता। यह भी लिखा गया है कि जो व्यक्ति सम्मेद शिखर आकर पूरे मन, भाव और निष्ठा से भक्ति करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है और इस संसार के सभी जन्म-कर्म के बंधनों से अगले 49 जन्मों तक मुक्त वह रहता है। यह सब तभी संभव होता है, जब यहाँ पर सभी भक्त तीर्थंकरों को स्मरण कर उनके द्वारा दिए गए उपदेशों, शिक्षाओं और सिद्धांतों का शुद्ध आचरण के साथ पालन करें। इस प्रकार यह क्षेत्र बहुत पवित्र माना जाता है। इस क्षेत्र की पवित्रता और सात्विकता के प्रभाव से ही यहाँ पर पाए जाने वाले शेर, बाघ आदि जंगली पशुओं का स्वाभाविक हिंसक व्यवहार नहीं देखा जाता। इस कारण तीर्थयात्री भी बिना भय के यात्रा करते हैं। संभवत: इसी प्रभाव के कारण प्राचीन समय से कई राजाओं, आचार्यों, भट्टारक, श्रावकों ने आत्म-कल्याण और मोक्ष प्राप्ति की भावना से तीर्थयात्रा के लिए विशाल समूहों के साथ यहाँ आकर तीर्थंकरों की उपासना, ध्यान और कठोर तप किया।
जैन नीति शास्त्रों में वर्णन है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान 'आदिनाथ' अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी, 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। शेष 20 तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर में मोक्ष प्राप्त किया। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी इसी तीर्थ में कठोर तप और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया था। अत: भगवान पार्श्वनाथ की टोंक इस शिखर पर स्थित है।
जनमत से...
जय जिनेन्द्र 🙏
मुख्तरीर खान येल यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिस्ट है।
भारत और पाकिस्तान की तुलना करते है तो कहते है।
एक तरफ रोशनी ही रोशनी है। दूसरी तरफ अंधेरा ही अंधेरा है।
यह बात सही है कि भारत की आर्थिक स्थिति आज बहुत अच्छी है।
लेकिन जिस तरह से हमारे पड़ोसी देशों की हालत है। हमें सीखने की आवश्यकता है।
पाकिस्तान के हालात इतने खराब है कि पूरा देश बंद होने की कगार पर है। बस इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक किलो आटा की कीमत 600 रुपये है।
डिफाल्ट हो चुका श्रीलंका में 50 लाख बच्चे भुखमरी से मर रहे है।
नेपाल ग्रेलिस्ट में जा रहा है।
विश्व अर्थव्यवस्था का केंद्र चीन के हालात भी ठीक नहीं है। विकास दर 2% से नीचे है।
ऐसा अनुमान जताया जा रहा है अमेरिका, यूरोप में भी मंदी आने वाली है।
भारत ने बहुत स्मार्ट तरीके से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाया है। इसमें भारत की विदेश नीति का विशेष योगदान है।
सीखने वाली बात है यह कि हमें अपने लघु उद्दोग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है।
शिक्षा को निजीकरण से बचाकर सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
लोकप्रियता के लिये मुफ्त कार्यक्रमों पर फिर से विचार करना चाहिये।
पढ़े लिखे युवा वर्ग को कम ब्याज दर पर कर्ज दिया जाना चाहिये।
कर्ज के माध्यम से इतने मेडिकल कालेज खोलकर बिल्डिंग बनाना किसी रूप में समझदारी नहीं है। अधिकतर मेडिकल कालेज बिना फैकल्टी और हॉस्पिटल के चल रहे है।
व्यवस्था अपने नागरिकों पर विश्वास करे, उन्हें दरिद्र समझकर मुफ्तखोरी में न झोंककर, स्वरोजगार के लिये प्रेरित करे। यह तभी होगा जब सस्ती दरों पर ऋण प्रदान किया जाय। इनकम टैक्स में कमी किया जाय, जिससे मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़े।
विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है, निर्यात में कमी आयेगी। इसलिये आंतरिक खपत को बढ़ाना ही रास्ता है।
आज जो आर्थिक परिदृश्य है। वह बहुत डराने वाला है। यद्यपि हम अभी अच्छी स्थिति में है।
अपनी शक्तियों को पहचान कर , उस पर काम करने की आवश्यकता है।
लघु, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना सबसे अच्छा है।
जिसे हमारे पड़ोसी मुल्कों ने बर्बाद कर दिया। कमोबेश हम भी ध्यान नहीं दे रहे है।
हमारा फोकस शहरों पर है।
चीन की बर्बादी शहरों से आ रही है। जँहा रियल स्टेट ने अर्थव्यवस्था डूबा दिया है। 60 % मकान बनकर खाली पड़े है। वह कम्पनियां डूब गई जो 3 अरब ट्रिलियन डॉलर कर्ज लेकर बनाई थी। यह धन भारतीय अर्थव्यवस्था के बराबर है।
कोरोना हो या मंदी , हमेशा गाँव ही रक्षार्थ खड़े होते है। उनके विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिये।।
Om Namah Shivaye 🙏🙏
Monday Blessings - Maha Mrityunjaya Mantra with Meanings
॥ ॐ त्र्यम्बकं- यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्ध- नम्
उर्वारु- कमिव बन्धनान् मृत्योर्मु- क्षीय मामृतात्॥
॥- Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushti-Vardhanam
Urvarukamiva Bandhanan Mrityormukshiya Mamritat॥
Meaning: OM. We worship the Three-eyed Lord who is scented and who nourishes and nurtures all living beings. As is the grown cucumber is freed from its bondage (the creeper), may He set us free from death for the sake of immortality.
Rig Veda in 7.59.12 addresses Maha Mrityunjay verse to Rudra, the aggressive form of Lord Shiva. The mantra is addressed to the all-auspicious Shiva who is the winner of death; mrityunjay, ‘Mrityu’-death and ‘Jay’-victory.
On worshiping Mrityunjay Mahadev one can escape from untimely miseries and troubles of this materialistic world for He, upon being worshipped with devotion, takes away your agonies.
जातिवाद क्या होता है
आइए भारत में हम दिखाते हैं 👇👇👇👇👇👇
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत कर एयरपोर्ट से घर तक अकेले आई राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर दलित बेटी @Priya_SinghB जी को ढेर सारी शुभकामनाएं।💐
बधाई देने वालो की कमी इसलिए है की कुछ लोग जातिवाद का चश्मा कभी उतार नही सकते।
देश को इस बिटिया पर गर्व है,
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाए...!
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