Scoprire messaggiEsplora contenuti accattivanti e prospettive diverse nella nostra pagina Scopri. Scopri nuove idee e partecipa a conversazioni significative
गार्गी - क्या मूवी है! 🙌🏾
बहुत देर से इस मूवी का पता चला। दक्षिण भारत में बनने वाली हीरो प्रधान फिल्मों के कानफोडू शोर के बीच ये हीरा कहीं खो गया था। संभवतः नारी प्रधान फिल्म होने के कारण। तमिल में बनी गार्गी एक क्राइम थ्रिलर है, एक बेजोड़ क्राइम थ्रिलर। जिसमें समाज से,महिलाओं से, विशेषतः मीडिया से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए हैं व संदेश दिए गए हैं। फिल्म एक बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म पर है, इसलिए हल्के फुल्के फिल्म देखने वालों के लिए नही है। फिर भी फिल्म बहुत ज्यादा डार्क नही है, और मेरे अनुसार इसे महिलाओं–लड़कियों को अवश्य देखना चाहिए। गौतम रामचंद्रन ने कहानी भी अच्छी लिखी है और डायरेक्शन भी A1 है। कैमरावर्क बहुत अच्छा है। सबसे अच्छा है इसका सेकंड हाफ, जहां ट्विस्ट से कहानी को रोचक बना दिया है।
फिल्मों में मेरी पसंदीदा विधा(Genre) क्राइम–थ्रिलर है(वैसे गार्गी को लीगल ड्रामा भी कहा जा सकता है, और आमतौर पर हिंदी फिल्म में बनने वाले लगभग सारी क्राइम–थ्रिलर फिल्में बेकार ही होती हैं।
अधिकतर सब कॉपी करते हैं हॉलीवुड या कोरियन मूवी से। उसमें भी फालतू का 5 गाना डाल के मूड खराब कर देते हैं। ऊपर से कॉपी करने का स्तर भी गिरा हुआ,इसलिए इंटरवल के पहले ही दर्शक जान लेता है क्राइम किसने किया। लेकिन टॉलीवुड के कहानिकारों ने इस विधा में कई बार बेजोड़ कहानियां दी हैं, चाहे ratsasan हो या forensic. टॉलीवुड के कहानिकारों की यही विशेषता है की वो एक्सपेरिमेंट करने से नही डरते। यही बात गार्गी में भी है। गार्गी के रोल में साई पल्लवी का अभिनय तो बेस्ट हैं ही, साथ में काली वेंकट ने भी अच्छा काम किया है और विशेषतः बच्ची के पिता के रोल में सरावनन ने बहुत अच्छा अभिनय किया है। फिल्म के लिए ये तीनों कलाकार अवार्ड डिजर्व करते हैं। ऐश्वर्या लक्ष्मी ने भी पत्रकार के रोल में अच्छा अभिनय किया है, उनके द्वारा बोला गया फिल्म का अंतिम डायलॉग समाज की सच्चाई बतलाता है।फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए अवश्य आंकना चाहिए।
गार्गी जुलाई 2022 में आई थी। अभी इसे सोनी लिव पर देख सकते हैं।
Sai Pallavi Sai Pallavi Fans
यूं ही नहीं मान्यता है बिंदी की,
स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शांत करती है ।
यूं ही नहीं लगाती काजल,
नकारात्मकता निषेध हो जाती है
जिस आंगन स्त्री आंखों में काजल लगाती है
होंठों को रंगना कोई आकर्षण नहीं,
प्रेम की अद्भुत पराकाष्ठा को चिन्हित करती हुई
जीवन में रंग बिखेरती है ।
नथ पहनती है,
तो करुणा का सागर हो जाती है ।
और कानों में कुंडल पहनती है ,
तो संवेदनाओं का सागर बन जाती है ।
चूड़ियों में अपने परिवार को बांधती है,
इसीलिए तो एक भी चूड़ी मोलने नहीं देती ।
पाजेब की खनक सी मचलती है,
प्रेम में जैसे मछली हो जाती है ।
वो स्त्री है साहब... स्वयं में ब्रह्मांड लिए चलती है
#हर_बेटी_मेरी