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जब आप 23 साल में सोना मोना बाबू कर रहे हैं। उस उम्र में एक क्रांतिकारी देश के युवाओं में इंकलाब भर रहा था। उसकी सोच को समझने के लिए 70 साल के गांधी को नहीं 23 साल के भगत सिंह जी को पढ़िए। गांधी जी को जवाब देने के लिए क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा जी और भगत सिंह द्वारा जेल में लिखा गया उनका प्रसिद्ध लेख 'बम दर्शन' पढ़िए। यकीन मानिए आप बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।
23 दिसम्बर, 1929 को क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के स्तम्भ वायसराय की गाड़ी को बम से उड़ाने का प्रयास किया, जो असफल रहा। गांधी जी ने इस घटना पर एक कटुतापूर्ण लेख ‘बम की पूजा’ लिखा, जिसमें उन्होंने अंग्रेज वायसराय को देश का शुभचिंतक और भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे नवयुवक क्रांतिकारियों को आजादी के रास्ते में रोड़ा अटकाने वाले कहा। इसी के जवाब में हिन्दुस्थान प्रजातन्त्र समाजवादी सभा की ओर से भगवती चरण वोहरा ने “बम का दर्शन” लेख लिखा, जिसका शीर्षक “हिन्दुस्थान प्रजातन्त्र समाजवादी सभा का घोषणापत्र” रखा। भगत सिंह ने जेल में इसे अन्तिम रूप दिया। 26 जनवरी, 1930 को इसे देश भर में बांटा गया। यह पूरा लेख यहां पोस्ट नहीं कर सकता लेकिन आपको गूगल पर सर्च करने पर आसानी से मिल जाएगा और आपको इसे जरूर पढ़ना चाहिए
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