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हम में से अधिकांश लोगों को सिर्फ पांच से छ: व्यक्ति तक ही याद रख पाते हैं लेकिन एक शिक्षक को हजारों व्यक्ति जीवन पर्यंत याद रखते हैं।

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पक्षियों का आलीशान बंगला! रहने-खाने का पूरा इंतजाम, गर्मियों में AC का मजा, बारिश में भी नो टेंशन
75 वर्षीय भगवानजी भाई को पक्षियों से बहुत प्रेम है. वे जब पक्षियों को दाना देते थे और दाना चुगकर जब पंछी उड़ जाते थे, तब उन्हें चिंता होती थी कि बारिश में वे कहां रहते होंगे!

इसके बाद उन्होंने मेहनत और खर्च की परवाह किए बिना 140 फीट लंबा और 40 फीट ऊंचा पक्षी घर तैयार कर डाला. इसमें करीब 2500 छोटे-बड़े मटके यूज किए गए हैं. उनका बनाया यह सुंदर पक्षी घर उनके छोटे से गांव की पहचान बन गया है. गर्मियों के मौसम में यहां पक्षियों को ठंडक मिलती है, वहीं बारिश में भी उन्हें भींगने की चिंता नहीं रह जाती.
इसे तैयार करने में एक साल का समय लगा और 20 लाख रुपये का खर्च आया. वे ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वे आर्थिक रूप से सक्षम हैं. 75 की उम्र हो चुकी है, लेकिन भगवानजी भाई अपने 100 एकड़ खेतों का काम संभालते हैं. उनके दो बेटे हैं, जो एग्रो कंपनी चलाते हैं.

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पक्षियों का आलीशान बंगला! रहने-खाने का पूरा इंतजाम, गर्मियों में AC का मजा, बारिश में भी नो टेंशन
75 वर्षीय भगवानजी भाई को पक्षियों से बहुत प्रेम है. वे जब पक्षियों को दाना देते थे और दाना चुगकर जब पंछी उड़ जाते थे, तब उन्हें चिंता होती थी कि बारिश में वे कहां रहते होंगे!

इसके बाद उन्होंने मेहनत और खर्च की परवाह किए बिना 140 फीट लंबा और 40 फीट ऊंचा पक्षी घर तैयार कर डाला. इसमें करीब 2500 छोटे-बड़े मटके यूज किए गए हैं. उनका बनाया यह सुंदर पक्षी घर उनके छोटे से गांव की पहचान बन गया है. गर्मियों के मौसम में यहां पक्षियों को ठंडक मिलती है, वहीं बारिश में भी उन्हें भींगने की चिंता नहीं रह जाती.
इसे तैयार करने में एक साल का समय लगा और 20 लाख रुपये का खर्च आया. वे ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वे आर्थिक रूप से सक्षम हैं. 75 की उम्र हो चुकी है, लेकिन भगवानजी भाई अपने 100 एकड़ खेतों का काम संभालते हैं. उनके दो बेटे हैं, जो एग्रो कंपनी चलाते हैं.

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75 वर्षीय भगवानजी भाई को पक्षियों से बहुत प्रेम है. वे जब पक्षियों को दाना देते थे और दाना चुगकर जब पंछी उड़ जाते थे, तब उन्हें चिंता होती थी कि बारिश में वे कहां रहते होंगे!

इसके बाद उन्होंने मेहनत और खर्च की परवाह किए बिना 140 फीट लंबा और 40 फीट ऊंचा पक्षी घर तैयार कर डाला. इसमें करीब 2500 छोटे-बड़े मटके यूज किए गए हैं. उनका बनाया यह सुंदर पक्षी घर उनके छोटे से गांव की पहचान बन गया है. गर्मियों के मौसम में यहां पक्षियों को ठंडक मिलती है, वहीं बारिश में भी उन्हें भींगने की चिंता नहीं रह जाती.
इसे तैयार करने में एक साल का समय लगा और 20 लाख रुपये का खर्च आया. वे ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वे आर्थिक रूप से सक्षम हैं. 75 की उम्र हो चुकी है, लेकिन भगवानजी भाई अपने 100 एकड़ खेतों का काम संभालते हैं. उनके दो बेटे हैं, जो एग्रो कंपनी चलाते हैं.

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पक्षियों का आलीशान बंगला! रहने-खाने का पूरा इंतजाम, गर्मियों में AC का मजा, बारिश में भी नो टेंशन
75 वर्षीय भगवानजी भाई को पक्षियों से बहुत प्रेम है. वे जब पक्षियों को दाना देते थे और दाना चुगकर जब पंछी उड़ जाते थे, तब उन्हें चिंता होती थी कि बारिश में वे कहां रहते होंगे!

इसके बाद उन्होंने मेहनत और खर्च की परवाह किए बिना 140 फीट लंबा और 40 फीट ऊंचा पक्षी घर तैयार कर डाला. इसमें करीब 2500 छोटे-बड़े मटके यूज किए गए हैं. उनका बनाया यह सुंदर पक्षी घर उनके छोटे से गांव की पहचान बन गया है. गर्मियों के मौसम में यहां पक्षियों को ठंडक मिलती है, वहीं बारिश में भी उन्हें भींगने की चिंता नहीं रह जाती.
इसे तैयार करने में एक साल का समय लगा और 20 लाख रुपये का खर्च आया. वे ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वे आर्थिक रूप से सक्षम हैं. 75 की उम्र हो चुकी है, लेकिन भगवानजी भाई अपने 100 एकड़ खेतों का काम संभालते हैं. उनके दो बेटे हैं, जो एग्रो कंपनी चलाते हैं.

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75 वर्षीय भगवानजी भाई को पक्षियों से बहुत प्रेम है. वे जब पक्षियों को दाना देते थे और दाना चुगकर जब पंछी उड़ जाते थे, तब उन्हें चिंता होती थी कि बारिश में वे कहां रहते होंगे!

इसके बाद उन्होंने मेहनत और खर्च की परवाह किए बिना 140 फीट लंबा और 40 फीट ऊंचा पक्षी घर तैयार कर डाला. इसमें करीब 2500 छोटे-बड़े मटके यूज किए गए हैं. उनका बनाया यह सुंदर पक्षी घर उनके छोटे से गांव की पहचान बन गया है. गर्मियों के मौसम में यहां पक्षियों को ठंडक मिलती है, वहीं बारिश में भी उन्हें भींगने की चिंता नहीं रह जाती.
इसे तैयार करने में एक साल का समय लगा और 20 लाख रुपये का खर्च आया. वे ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वे आर्थिक रूप से सक्षम हैं. 75 की उम्र हो चुकी है, लेकिन भगवानजी भाई अपने 100 एकड़ खेतों का काम संभालते हैं. उनके दो बेटे हैं, जो एग्रो कंपनी चलाते हैं.