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Gujarat High Court: पारिवारिक संपत्ति को लेकर गुजरात हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, कहा- इसमें बेटी और बहन के अधिकार नहीं बदलते
Report: अरुण कुमार गुप्त अधिवक्ता उच्च न्यायालय प्रयागराज
Gujarat High Court Big Comment: गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की. गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि बेटियों और बहनों के प्रति समाज की मानसिकता को बदलने की जरूरत है क्योंकि उनका मानना है कि शादी के बाद भी संपत्ति में उनका समान अधिकार है.
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए. शास्त्री की खंडपीठ पारिवारिक संपत्ति वितरण में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जहां याचिकाकर्ता का मामला यह था कि यह स्पष्ट नहीं है कि उसकी बहन ने संपत्ति में अधिकार छोड़ा है या नहीं.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कही ये बात
इस मामले में अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई शुरू की. सुनवाई शुरू होने के बाद जैसे ही याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलीलें रखीं तो उससे मुख्य न्यायाधीश नाराज हो गए. उन्होंने कहा, “यह मानसिकता कि एक बार परिवार में बेटी या बहन की शादी हो जाए तो हमें उसे कुछ नहीं देना चाहिए, इसे बदलना चाहिए.” जस्टिस ने याचिकाकर्ता को संबोधित करते हुए कहा “वह तुम्हारी बहन है, तुम्हारे साथ पैदा हुई है. सिर्फ इसलिए कि उसकी शादी हो चुकी है, परिवार में उसकी हैसियत नहीं बदलती. इसलिए यह मानसिकता चली जानी चाहिए.”
'यदि बेटे की स्थिति नहीं बदलती तो बेटी की भी नहीं बदलेगी'
मुख्य न्यायाधीश यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे भी बड़ी टिप्पणी की. उन्होंने याचिकाकर्ता को एक बार फिर से संबोधित करते हुए कहा कि अगर बेटा विवाहित या अविवाहित रहता है तो बेटी विवाहित या अविवाहित बेटी बनी रहेगी, यदि अधिनियम बेटे की स्थिति को नहीं बदलता है, तो शादी बेटी की स्थिति न तो बदल सकती है और न ही बदलेगी.
क्या कहता है कानून
हिंदू कानून के मुताबिक संपत्तियां दो तरह की होती हैं, एक संपत्ति होती है पैतृक और दूसरी होती है खुद कमाई हुई. पैतृक संपत्ति उसे कहते हैं जिसे आपके पूर्वज छोड़कर जाते हैं. यह चार पीढ़ियों तक के लिए मान्य होती है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन से पहले, परिवार के केवल पुरुष सदस्य ही प्रतिपक्षी होते थे, लेकिन बाद में कानून में संशोधन करके बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में एक हिस्सा पाने का हकदार बनाया गया था. ऐसी संपत्तियों में हिस्सा पाने का अधिकार जन्म से ही मिल जाता है.

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लखनऊ वाले नाज़ुक मिजाज़
तो मुंबई वाले भी लाजवाब
लफ्ज़ों की लफ्फाजी का लुत्फ़ उठाइए जनाब 😊
एक लखनवी मुंबई पहली बार गया , उसने एक मुंबईकर से पूछा - "मुआफ कीजिएगा बंदापरवर, एक तकलीफ देना चाहूंगा, जरा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का पता बताने की जहमत गवारा कीजिएगा?"
मुंबईकर- "कोई वांदा नहीं भाऊ, तुमकू चर्चगेट में उतरने का, बाहिर ब्रिज गिरेंगा, ब्रिज के निचू से जाने का फिर सिग्नल गिरेंगा, उधर से राइट मारने का पेट्रोल पंप गिरेंगा, लेफ्ट लेने का एलआईसी बिल्डिंग गिरेंगा, उधर से आइंगा फिर बाजु वाली गली के पिछु जाने का, आगे टपकेगा तो सीधा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में गिरेंगा"
लखनवी -"ऐसे ही हम नाजुक मिजाज़ हैं, हुजूर जब इतना सब कुछ गिरेगा तो बैंक तक पहुंचते पहुंचते हम बचेंगे या फौत हो जाएंगे?"
मुंबईकर - "गिरेंगा तो मुंबई में बचेंगा नही तो पलटी मारनेका रे बाबा."
😀😀😀😊😊😊

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देश के लिए अपूर्ण क्षति समाजवाद के महान नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री #श्री_शरद_यादव_जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनका निधन राजनीतिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

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नीदरलैंड के फ़ुटबॉल खिलाड़ी "डेवी वेन डर बर्ग" अभी तीन महीने पहले ही दीन-ए-इस्लाम में शामिल हुए हैं और अल्लाह के करम से उमरा की सआदत हासिल कर चुके हैं।
महज़ 22 साल की उम्र में मुसलमान हुए हैं वो भी उस देश नीदरलैंड में जहां से इस्लाम को मिटाने के लिए बाक़ायदा एक पॉलिटिकल पार्टी ने अभियान चलाया हुआ है।
अल्लाह उनके इस अमल को क़बूल फ़रमाए और दुनिया के हर इंसान को हिदायत दे।
~ सलाहुद्दीन परवेज़

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धर्म के नाम पर धंधा।

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