शिवलिंग को फब्बारा बताने वालों को इस लडकी ने दिखा दिया आईना | Gyanvapi Masjid | Shivling | Owaisi
https://fb.watch/d5Xw31rimj/
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शिवलिंग को फब्बारा बताने वालों को इस लडकी ने दिखा दिया आईना | Gyanvapi Masjid | Shivling | Owaisi
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शव नहीं, शिव विराजेंगे।
भोले की नगरी से अब मुर्दे भागेंगे।
#ज्ञानवापी
हर हर महादेव 🚩
ताजमहल का सच।
आप सभी ने देखा होगा कि देश के सभी शिव मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर एक कलश रखा होता है जिसमें पानी या दूध भरा जाता है और शिवलिंग के ऊपर जलाभिषेक किया जाता है पर क्या कभी किसी ने भी कोई ऐसी कबर देखी है जिसपर कलश रखकर उस मुर्दे की लाश पर जलाभिषेक किया जाता हो।
पूरे विश्व मे किसी भी कब्रस्तान मे ऐसी कोई भी कबर नहीं है जहां ऐसा होता हो। पैगंबर मोहम्मद की कबर पर भी नहीं, पर एक विचित्र प्रकार की कबर बनाई गई है जिसके ऊपर कलश रखकर जलाभिषेक किया जाता हो। इस फोटो में देखें यह फोटो ताजमहल में मुमताज़ की कबर की है। इसके ऊपर एक कलश है जिससे जलाभिषेक होता है।
ताजमहल एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजोमहालय है। तेजो महालय के अंदर एक शिवलिंग था और उस शिवलिंग के ऊपर कलश में से कुदरती रूप से उस शिवलिंग के ऊपर जलाभिषेक होता था।
आगरा शहर ऋषि अंगिरा के नाम से बना है। ऋषि अंगिरा शिव जी के परम भक्त थे। तेजो महालय मूल रूप से कुओं के ऊपर बनाया गया है। इन कुओं का कनेक्शन यमुना नदी के साथ है। यमुना नदी से पानी इन कुओं में भरकर आता है। ये कुएँ इस प्रकार से बनाए गए हैं कि इनमें कभी भी जवार नहीं आता।
तेजो महालय के नीचे एक लकड़ियों का ढांचा भी बनाया गया है। जो उन कुओं में से पानी खींचने का काम करता है। जैसे पेड़ अपनी जड़ों के द्वारा जमीन में से पानी चूसता है और पानी को ऊपर की ओर खींच कर अपनी पत्तियों तक पहुंचाता है। लकड़ी के अंदर पानी को खींचने के कुदरती गुण होते हैं जो हमारे पूर्वजों को बहुत पहले से पता है।
हिंदूओं का ये मानना है कि ताजमहल में इस कलश के द्वारा जो जलाभिषेक होता है वो शिवलिंग के ऊपर कुदरती रूप से होने वाला जलाभिषेक हैं पर मुस्लिम पक्ष द्वारा यह कहा जाता है कि यह तो मुमताज़ के द्वारा बहाए जाने वाले आंसू है।
अब मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है कि मरी हुई मुमताज़ अपनी कबर में से चार पांच फुट ऊपर इस कलश में आंसू कैसे ट्रांसफर कर रही है? और मुमताज़ ये जो आंसू बहा रही है वो किस लिए बहा रही है? क्या ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए उसके आंसू बह रहे हैं? या चौदहवीं डिलीवरी करते समय उसकी मृत्यु हो गई, इस बात का उसे दुख है? या उसकी मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने मुमताज़ की बहन से जबरदस्ती निकाह कर लिया था और इसके लिए उसने मुमताज़ की बहन के पति की हत्या करवा दी थी इस बात का दुख है?
शाहजहाँ के बेटे औरंगजेब ने उसे कैद करने के बाद प्यासा रखा था। औरंगजेब ने अपने सगे बाप को पानी की बूंद के लिए तरसाया था। तब शाहजहाँ ने हिंदुओं की प्रशंसा की थी। शाहजहाँ ने कहा था कि इन हिंदुओं को देखो, ये हिंदू श्राद्ध पक्ष में अपने मरे हुए पूर्वजों को खाना देते हैं, पानी देते हैं। हिंदू मरने के बाद भी अपने पूर्वजों का ध्यान रखते है और यह एक मेरा बेटा औरंगजेब है जो जीते जी मुझे पानी की बूंद बूंद के लिए तरसा रहा है। क्या शाहजहाँ के इस दुख पर मुमताज़ आंसू बहा रही है?
और हिंदू पक्ष तो मानता ही नहीं है कि यह मुमताज़ क्या आंसू है हिंदुओं का यही मानना है कि यह शिवलिंग पर होने वाला कुदरती जलाभिषेक हैं। जहाँ मुमताज़ की कबर है, वहाँ पहले शिवलिंग हुआ करता था पर शाहजहाँ ने जब इस शिव मंदिर को कबरगाह में कन्वर्ट किया तब वहाँ से शिवलिंग को हटाकर उसकी जगह पर मुमताज़ की कबर को रख दिया गया।
एक दिन हिंदुओं को अपना शिवमंदिर अवश्य पुनः प्राप्त होगा।
हर हर महादेव
हिंदुआ सूरज #महाराणा_प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-
1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ।”
लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था |
“बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |
3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|
कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।
4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |
6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |
7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है, जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |
8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं | इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |
9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |
10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी, जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे । जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था । वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे ।
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील |
13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है, जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |
14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|
15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे ।
16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।
महाराणा प्रताप के हाथी की कहानी:
मित्रो, आप सब ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।
रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल- बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।
वो लिखता है की- जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी, तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी । एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।
आगे अल बदायुनी लिखता है की- वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था ।
वो आगे लिखता है कि- उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर14 महावतो को बिठाया, तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।
अब सुनिए एक भारतीय जानवर की स्वामी भक्ति।
उस हाथी को अकबर के समक्ष पेश किया गया ।
जहा अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा।
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया।
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद हो गया।
तब अकबर ने कहा था कि- जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया,
उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा.?
इसलिए मित्रो हमेशा अपने भारतीय होने पे गर्व करो।
🙏❣️❣️