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गीता में भगवान जीर्ण - शीर्ण शरीर की बात करते है।
जैसे बहुत से लोग पूछते है। भगवान गीता में कहते है कि जब शरीर जीर्ण - शीर्ण हो जाता है तो आत्मा उसे छोड़ देती है।अब प्रश्न यह है कि एक बच्चे कि मृत्यु फिर क्या है ?
ऐसा इसलिए है कि आप जीर्ण- शीर्ण का अर्थ नहीं जानते है। वह जीर्ण कह देते या शीर्ण कह देते, लेकिन दोनों शब्द एक साथ कहते है।
मैं देखता हूँ , अधिकतर लोग इसकी गलत व्याख्या करते है।
जीर्ण का अर्थ है! वह राख जिसमें अभी थोड़ी आग है। अर्थात अगर ध्यान दिया जाय तो अब भी इसकी अवधि बची है। इसका सम्बंध आयु से है।
एक वाक्य में उपचार से ठीक हो सकता है।
इसे जीर्णोद्धार कहते है।
शीर्ण का अर्थ है कि अब कोई भी उपचार पर्याप्त नहीं है। इसका सम्बंध आयु से नहीं है। शरीर की ऐसी अवस्था, जो जीवन का भार अब निर्वाह नहीं कर सकती। वह बालक , युवा या वृद्ध कोई भी हो। कारण आप हो , रोग हो लेकिन अब यात्रा पूरी नहीं हो सकती।।