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All is not well for Modi - Shah ..
गुजराती टोली को पूरी तरह से कौरनर्ड ( cornered) कर रखा है संघ ने, वसुंधरा राजे एक्टिव (सक्रिय ) कर दी गयीं हैं और संसद भवन के गलियारों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती देखी गयीं हैं , संघ के द्वारा तैयार की गयी पटकथा के ही मुताबिक चलते हुए गडकरी मोदी - शाह के लिए लगातार सिरदर्द साबित हो रहे हैं, भाजपा का एक बड़ा धड़ा मोदी - शाह के साथ खड़ा होने की बजाए , संघ की शरण में रहने को ही मुनासिब मान रहा है .. संघ की वर्त्तमान योजना ( प्लानिंग ) में गोरखपुर के महंत जी के लिए कुछ विशेष व् बड़ा नहीं , बावजूद इसके महंत जी भी गुजराती टोली से हिसाब बराबर करने के मूड में हैं और पर्दे के पीछे रहते हुए सक्रिय भी ..
संघ लगभग एक दर्जन प्रदेश अध्यक्षों को बदलने की बात भी कर रहा है... विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो गुजराती टोली ने संघ से एक ऐसा सम्मानजनक एग्जिट प्लान तैयार करने की गुजारिश की है , जिसमें रुखसती के पश्चात् कानूनी पचड़ों में घसीटे जाने और जेल जाने की गुंजाईश ना हो..
एक पत्रकार व् राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर संघ की कार्यशैली पर मैंने काफी काम , मंथन भी किया है और मेरे पसंदीदा विषयों में संघ व् उसकी राजनीतिक इकाई भाजपा के बीच के समीकरणों की समीक्षा भी रही है .. इस आधार पर ही मैं दशकों से ये बात कहता - लिखता आया हूँ कि " भाजपा के किसी चेहरे को जीरो से हीरो संघ ही बनाता है और हीरो से जीरो भी संघ ही बना देता है " .. अटल - आडवाणी - जोशी - गोविंदाचार्य - उमा भारती - कल्याण सिंह जैसे दिगज्जों के पटाक्षेप की कहानी पर नजर डाल लीजिए , सब साफ़ हो जाएगा ..
अभी संक्षेप में बस इतना समझिए कि घास वाली गीली पिच पर बैटिंग कर रहे हैं मोदी - शाह और उनके चंद बचे दरबारी ... देखना दिलचस्प होगा कि ऑउट होगी या अपना विकेट बचा पाएगी गुजराती टोली !!