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अद्भुत शौर्य व पराक्रम के प्रतीक, धर्मनिष्ठा एवं राष्ट्रभक्ति के प्रेरणास्रोत छत्रपति संभाजी महाराज जी के बलिदान दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
#chhatrapati #sambhajimaharaj

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Jai ho baba

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श्री हनुमान जी महाराज, श्री हनुमान गढ़ी अयोध्या धाम के आज 11-03-25 के अद्भुत एवं अलौकिक दर्शन… श्री हनुमान जी की कृपा आप सभी पर बनी रहे… ऐसी मंगल कामना…!!!
#जय_श्री_राम

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रंग केवल सात ही नहीं, हजारों रंगों से भरी है ये दुनिया। यहाँ हर रंग का अपना एक विस्तृत संसार है, अपनी विशिष्ट पहचान है। रंग मात्र इंद्रधनुष के बैनीआहपीनाला तक ही सीमित नहीं, हमने तो इसे भावों से भी जोड़ रखा है। प्रेम का रंग लाल है और उम्मीद हरीतिमा लिए हुए। काला यूँ तो उदासी और शोक का प्रतीक है लेकिन कहीं-कहीं शक्ति का भी। उस पर घटाओं की बात हो, प्रियतमा के कजरारे नैनों की या उसकी लहराती जुल्फों की चर्चा हो तो इससे हसीन कोई और रंग नहीं होता। सफेद शांति का, संधि का दूत बनकर आता है तो पीला गुलाब मित्रता के प्रारंभ का संकेत करता है और कल्पनाएं तो सदा से गुलाबी ही रहती आईं हैं।
आसमान नीली चादर में सितारे टांक रात भर इतराता है तो नारंगी आभा लिए सूरज दिन में रोशनी की दुआ बनकर आता है। ईश्वर के सामने कोई लाल पुष्प रखता है तो कहीं पीले पुष्पों से उनकी आराधना की जाती है। हरी दूब का प्रयोग कई धार्मिक अनुष्ठानों में होता है। अब समय के अनुसार फैशन में परिववर्तन हुआ है अन्यथा पहले तो दुल्हन का अर्थ भी लाल जोड़े में सजी-धजी लड़की ही हुआ करता था। हल्दी का पीला रंग शुभ है और टीका लगाने को कुमकुम का लाल न हो तो हल्दी उसका स्थान सहजता से ले लेती है। मिट्टी का रंग भूरा है, ठीक वैसा ही जैसा हमारी त्वचा का। हम सब इसी मिट्टी से ही तो बने हैं और एक दिन इसी में मिल जाना है।
कान्हा जब श्याम हैं तो प्रियतम का रंग उसमें बस जाता है, पीताम्बर देख भक्ति से हाथ स्वतः जुड़ जाते हैं और शंकर जी से नीलकंठ सा अनुराग है। दुनिया के पक्षियों की सुंदरता भी इन्हीं रंगों से है। प्रकृति में वनस्पति की पहचान भी रंगों से ही तो होती है। ये फल-फूल, ये वृक्ष, ये तितलियाँ सब रंगों को ही गरिमा प्रदान करते हैं या शायद रंग उनको।
होली, इन्हीं रंगों को हमारे जीवन में एक साथ ले आती है और उल्लास के, प्रेम के, मित्रता के, बंधुभाव के, खुशी के हजार रंगों से हमारी झोली भर देती है। सूरज की किरण भी इस दिन हमारे आँगन में बड़ी ठसक से गुजिया खाने पसर जाती है। ठीक तभी पक्षियों की चहचहाहट बताती है कि आज इन रंगों से खेलने का, इनके भाव समझने और इनकी सुंदरता पहचानने का दिन है। यह और भी सुंदर तब बनता है, जब हम प्रकृति के रंगों के साथ खेलें।
इसीलिए होली सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, एक संगीतमय थाप है। जिसका हर सुर हमें समझना है, उससे संगत बिठानी है। यह पुरानी भूलों को सुधारने और किसी की गलतियों को माफ़ कर देने का समय है। यह रिश्तों के नवीनीकरण और जीवन को पूरी ज़िंदादिली से गले लगा फिर से जीने का समय है। ये जो रंग हमारे आसपास बिखरते हैं और खुशी की जो चहक हम पर छाती है, वो मिठाइयों की सुगंध जो भीतर तक घुलती जाती है; वही इस त्योहार का संपूर्ण सार है। जहाँ रंग भरी स्मृतियों के साथ हमें वर्ष भर मुस्कुराना है, प्यार से जीना है और अपने आसपास सबका जीवन श्रेष्ठ बनाना है। ये रंग हर देशवासी के जीवन में हों, जो आत्मा को रोशन कर दें, हृदय निर्मल बने और घर खुशियों से सजा रहे।
होली की शुभकामनाएँ!
- प्रीति अज्ञात
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