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दीपा करमाकर: असली नायिका जिसे सराहना मिलनी चाहिए, पर मिली उपेक्षा
भारत जैसे देश में, जहां खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, वहां अक्सर सच्चे हीरो चमकदार पर्दे और दिखावे की दुनिया के पीछे छुप जाते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक लेकिन नजरअंदाज की गई नायिका हैं – दीपा करमाकर।
जिन्होंने पांच गोल्ड मेडल जीतकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया, वे आज भी आम लोगों की चर्चा में कम ही आती हैं। जब भी कोई फिल्मी अभिनेत्री नया फोटोशूट कराती है या विवादों में आती है, तो सोशल मीडिया, खबरें, और हर कोना उसकी बातों से भर जाता है। लेकिन जब दीपा करमाकर जैसे खिलाड़ी देश के लिए खून-पसीना बहाकर सम्मान लाते हैं, तो मीडिया की सुर्खियों में उनका नाम केवल एक दिन के लिए चमकता है — और फिर खामोशी।
दीपा भारत की पहली महिला जिमनास्ट हैं जिन्होंने ओलंपिक में क्वालिफाई किया और 2016 रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहीं। उन्होंने वो कर दिखाया जो दशकों तक कोई भारतीय नहीं कर सका। भारत में जहां जिमनास्टics जैसे खेल को न कोई सुविधाएं मिलती हैं और न ही सरकार की खास नजर, वहां से निकलकर दीपा का यह सफर किसी चमत्कार से कम नहीं था।
लेकिन सवाल ये है कि हमारे समाज की प्राथमिकताएं क्या हैं?
क्या हम उन लोगों को हीरो मानते हैं जो कैमरों के सामने दिखते हैं?
क्या हमारे लिए देश के लिए मेडल लाने वाली लड़की की मेहनत, समर्पण और संघर्ष उस ग्लैमर से कम है जो फिल्मों या सोशल मीडिया पर बिकता है?
दीपा करमाकर का जीवन संघर्षों की मिसाल है। न सिर्फ सीमित संसाधन, बल्कि चोटों और कई बार अनदेखी के बावजूद उन्होंने लगातार मेहनत की, खुद को साबित किया और देश का झंडा ऊँचा किया। उन्होंने कभी हार नहीं मानी, न कभी शिकायत की।
लेकिन आज दुख होता है जब देश की ये बेटी समाज की चर्चा में नहीं है। न बड़ी-बड़ी ब्रांड डील्स, न टीवी पर रियलिटी शोज, और न ही सम्मान के बड़े मंच। ये वही देश है जहां हर साल हजारों करोड़ विज्ञापन और फिल्म उद्योग पर खर्च होते हैं, पर एक खिलाड़ी को उसके सच्चे योगदान के लिए पहचान और समर्थन नहीं मिलता।
दीपा सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं हैं, वो हर उस युवा की प्रेरणा हैं जो बिना शोर मचाए अपने देश के लिए कुछ करना चाहता है।
अब समय है कि हम सोच बदलें –
सच्चे हीरो को पहचानें, उन्हें सराहें, और वो मंच दें जिसके वे हकदार हैं।
जब हालात हार मानने पर मजबूर कर दें, तब कुछ लोग ऐसे होते हैं जो उन हालातों को ही जीत में बदल देते हैं। ऐसी ही एक बहादुर और होनहार बेटी है श्रीजा, जिसकी कहानी आज लाखों लोगों को प्रेरित कर रही है।
श्रीजा की माँ की मृत्यु के बाद उसकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई। माँ की ममता छिन गई और पिता ने भी उसे अपनाने से इनकार कर दिया। जिस घर में उसने अपने बचपन के सपने देखे थे, वहीं से उसे बाहर कर दिया गया। लेकिन श्रीजा टूटी नहीं, बल्कि और मजबूत हो गई।
नाना-नानी के घर जाकर उसने एक नई ज़िंदगी शुरू की। आर्थिक तंगी, भावनात्मक दर्द और असुरक्षा के माहौल के बावजूद उसने हार नहीं मानी। पढ़ाई में मन लगाया और दिन-रात मेहनत की। उस मेहनत का ही नतीजा है कि आज श्रीजा ने दसवीं कक्षा में टॉप किया है।
उसकी यह उपलब्धि सिर्फ एक परीक्षा की जीत नहीं है, यह उस संघर्ष, हौसले और आत्मबल की जीत है जो हर मुश्किल में उसके साथ खड़े रहे। श्रीजा ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, सफलता जरूर मिलती है।
आज पूरे समाज को इस बिटिया पर गर्व है। उसकी मेहनत, लगन और जज़्बे को ढेरों शुभकामनाएँ और बधाइयाँ। 💐
शाबाश श्रीजा, तुम सच में लाखों बेटियों के लिए मिसाल हो।
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अद्भुत सफलम स्वर्णिम यात्रा की पताका शीर्ष पर लहराता हुआ-----आर्ष शिक्षा पद्धति पर आधारित
श्रीमद्ययानंद आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौंधा देहरादून की पवित्र भूमि पर रजत जयंती महोत्सव का भव्यतापूर्ण आयोजन किया जा रहा है।देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि पधार रहे हैं।
प्रारम्भिक २५ वर्षों की यात्रा किसी भी पाठशाला,शिक्षण संस्थान के लिए अति महत्वपूर्ण गौरवशाली क्षणों को समेटे हुए होती है।
पूज्यवर अधिष्ठाता गुरु, आचार्य गणों की कठोर तपस्या का साक्षात परिणाम होती है।
स्व॒स्ति पन्था॒मनु॑ चरेम...🙏🏻🌹
इस निमित्त यह आर्ष गुरुकुल अपने वृहद उद्देश्यों को भव्यता साथ प्रस्तुत कर रहा है जहां उच्च कोटि की ज्ञान वर्षा एवं ब्रह्मचारियों के अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमो से सराबोर होने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
इसी श्रृंखला में चतुर्वेद पारायण यज्ञ का शुभारंभ २८ अप्रैल २०२५ से किया जा रहा है।
आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
एक माह तक चलने वाले पारायण यज्ञों में पूर्ण आध्यात्मिक वातावरण की प्राप्ति होगी। जो कोई भी महानुभाव आकर गुरुकुल में रहना चाहें, स्वागत है। गुरुकुल परिवार की ओर से संपूर्ण व्यवस्थाएं रहेंगी।
ऊर्जा प्रदान करने एवं स्वयं ऊर्जान्वित होने के लिए गुरुकुल परिसर में अवश्य पधारें।
साधुवाद
यज्ञ संयोजिका
नीरज कुमारी आर्या