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पांच साल की बेटी बाजार में गोलगप्पे खाने की जिद कर रही थी। पापा ने गोलगप्पे वाले से पूछा, "किस भाव से दे रहे हो भाई?"
गोलगप्पे वाला बोला, "10 रुपये के 8 मिलेंगे।"
पापा के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। उनके पास सिर्फ 15 रुपये बचे थे। बाकी रुपये घर की जरूरत का सामान खरीदने में खर्च हो गए थे। उनका गांव शहर से दूर था, और 10 रुपये तो बस किराए में लगने थे।
उन्होंने कहा, "नहीं भाई, 5 रुपये के 10 दो तो ठीक है, वरना नहीं लेंगे।"
बेटी ने गुस्से में मुंह फुला लिया। पापा ने माथे पर हाथ फेरते हुए कहा, "अब चलो भी, इतने महंगे नहीं लेंगे।"
गोलगप्पे वाला बोला, "साहब, खिला दीजिए न। आपकी बिटिया अब आपके साथ है, जिद कर सकती है। कल को जब यह पराए घर चली जाएगी, तो आप उसकी इन छोटी-छोटी फरमाइशों के लिए तरसेंगे।"
गोलगप्पे वाले की ये बात पापा के दिल को छू गई। उन्हें अपनी बड़ी बेटी की याद आ गई, जिसकी शादी उन्होंने तीन साल पहले बड़े अरमानों से की थी।
शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन जल्द ही दामाद और उनके परिवार ने छोटी-छोटी बातों पर बेटी को ताने देना शुरू कर दिया। दो साल तक पापा अपनी जमा-पूंजी से उनकी मांगें पूरी करते रहे, लेकिन उनका लालच बढ़ता ही गया। आखिरकार, एक दिन पापा को बेटी की मौत की खबर मिली।
आज, पापा सोचते हैं कि काश उनकी बेटी वापस आ जाए, और वह उसकी हर इच्छा पूरी कर सकें। लेकिन अब यह मुमकिन नहीं था।
गोलगप्पे वाले की आवाज ने पापा की सोच को तोड़ा। उन्होंने कहा, "रुको भाई, मैं अभी आता हूं।"
पास ही पंसारी की दुकान से उन्होंने खरीदी गई चीनी में से एक किलो वापस की। जेब में 40 रुपये आ गए।
वह वापस आए और बोले, "अब खिला दो भाई। तीखा जरा कम रखना, मेरी बिटिया बहुत नाजुक है।"
बेटी की आंखों में चमक आ गई। उसने पापा का हाथ कसकर पकड़ लिया। गोलगप्पे खाकर वह खुशी से उछल पड़ी।
**बेटियां और उनका मायका*
बेटियां अजीब होती हैं। जब ससुराल में होती हैं, तो मायके जाने के लिए तरसती हैं। सोचती हैं, "मां से ये बात करूंगी, पापा से वो मांगूंगी, बहन से लड़ूंगी, और मौज-मस्ती करूंगी।" लेकिन जब सच में मायके पहुंचती हैं, तो शांत हो जाती हैं।
वे किसी से कुछ नहीं मांगतीं, बस मां-बाप, भाई-बहन के साथ बिताए हर पल को संजोती हैं। मायके में वह सुकून मिलता है, जो दुनिया के किसी कोने में नहीं।
ससुराल में चाहे कितना भी प्यार मिले, बेटियां मायके की एक मुस्कान के लिए तरसती हैं। वे मायके में कभी रोती नहीं, क्योंकि उनके एक आंसू से मां-बाप का दिल टूट जाता है।
**बेटियां: परिवार का जोड़ने वाला सूत्र**
बेटियां भगवान की सबसे अनमोल देन हैं। वे दो परिवारों को जोड़ती हैं। उनकी मुस्कान और प्यार से घर में खुशियां आती हैं।
अगर आप बेटी के पिता हैं, तो उसे भरपूर प्यार दें। उसकी हर छोटी-बड़ी खुशी का ख्याल रखें। और यह बात याद रखें कि आपकी पत्नी भी किसी की बेटी है। उसने अपना मायका छोड़कर आपके साथ जीवन बिताने का फैसला किया है।
उसे सम्मान दें, प्यार दें, और उसकी हर भावना का ख्याल रखें। क्योंकि खुशहाल परिवार का आधार प्यार, सम्मान, और आपसी समझदारी है।
**हमारी दुआ*
हम दुआ करते हैं कि सभी बेटियां, चाहे मायके में हों या ससुराल में, हमेशा खुश और मुस्कुराती रहें। उनका हर दिन खुशियों से भरा हो, और वे अपने जीवन को पूरी आजादी और प्यार के साथ जी सकें। ❤️
उत्तराखंड के होनहार बैडमिंटन खिलाड़ी आदित्य सिंह नेगी ने थाईलैंड में आयोजित बैट योनेक्स पथुमथानी जूनियर इंटरनेशनल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए अंडर-13 आयु वर्ग का गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। यह प्रतियोगिता 9 से 15 दिसंबर तक थाईलैंड के पथुमथानी में आयोजित हुई थी ।।
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