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🏆 𝐂𝐨𝐚𝐜𝐡𝐢𝐧𝐠: 𝐍𝐨𝐭 𝐉𝐮𝐬𝐭 𝐟𝐨𝐫 𝐒𝐩𝐨𝐫𝐭𝐬! 🏆
Think coaching is just for athletes? Think again!
Business coaching brings the same level of focus, drive, and skill-building to the workplace, helping teams and leaders reach their peak performance.
Here’s how it parallels sports coaching:
🔹 𝙂𝙤𝙖𝙡 𝙎𝙚𝙩𝙩𝙞𝙣𝙜 𝙖𝙣𝙙 𝙎𝙩𝙧𝙖𝙩𝙚𝙜𝙮: Just like athletes set milestones, business coaching helps leaders establish clear goals and strategic paths to achieve them.
🔹 𝙎𝙠𝙞𝙡𝙡 𝘿𝙚𝙫𝙚𝙡𝙤𝙥𝙢𝙚𝙣𝙩: Athletes work on skills constantly, and in business, a coach refines key abilities like leadership, communication, and resilience.
🔹 𝙈𝙤𝙩𝙞𝙫𝙖𝙩𝙞𝙤𝙣 𝙖𝙣𝙙 𝘼𝙘𝙘𝙤𝙪𝙣𝙩𝙖𝙗𝙞𝙡𝙞𝙩𝙮: Coaches push athletes to stay disciplined and motivated. Business coaches do the same, providing the accountability needed for real growth.
🔹 𝘼𝙜𝙞𝙡𝙞𝙩𝙮 𝙞𝙣 𝙁𝙖𝙘𝙞𝙣𝙜 𝘾𝙝𝙖𝙡𝙡𝙚𝙣𝙜𝙚𝙨: Just as sports teams adapt to opponents, businesses need agility. Coaching prepares teams to tackle change with confidence.
Whether on the field or in the boardroom, coaching is about achieving excellence.
Are you ready to unlock your potential?
📚✨ Learning + Action = Results! Knowledge is powerful, but it’s what you do with that knowledge that truly matters.
Transform insights into action and watch your ideas come to life. Remember, every small step you take brings you closer to your goals. So, let’s commit to learning and acting—because that’s where the magic happens! 💪🚀
#learning #action #resultsdriven #actioncoach #coachamitbansal #successmindset #businessgrowth
प्रियंका नेगी एक प्रमुख भारतीय कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने खेल कौशल और समर्पण से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान बनाई है। 21 मई 1995 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई में जन्मी प्रियंका का झुकाव बचपन से ही कबड्डी की ओर था। उन्होंने अपने स्कूल के दिनों से ही इस खेल में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था, और उनकी लगन ने उन्हें कबड्डी के क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
प्रियंका नेगी की शुरुआती पढ़ाई शिलाई के स्कूल में हुई, जहां उन्होंने पहली बार कबड्डी खेलना शुरू किया। उनके प्रशिक्षक हिरे सिंह, जो उस समय स्कूल में पीटीआई थे, ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। हिरे सिंह के मार्गदर्शन में प्रियंका ने स्कूल स्तर पर अपनी टीम की कप्तानी की। 2006 में, वह बिलासपुर के खेल होस्टल में कबड्डी की पेशेवर ट्रेनिंग के लिए गईं, जहाँ से उनके करियर की नई शुरुआत हुई।
प्रियंका नेगी का करियर तेजी से आगे बढ़ा, और 2011 में उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, 2012 में पटना में आयोजित पहले महिला कबड्डी विश्व कप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। 2013 में चीन में हुए तीसरे एशियाई बीच खेलों में भी प्रियंका ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। उनकी इन उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय महिला कबड्डी टीम की प्रमुख खिलाड़ियों में शामिल कर दिया।
प्रियंका नेगी की मेहनत और खेल में उनके योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान मिले हैं। 2012 में, हिमाचल प्रदेश सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित परशुराम पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके साथ ही, प्रियंका नेगी ने खेल के साथ-साथ अपने करियर में भी सफलता हासिल की और हिमाचल प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुईं। 2017 में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के कारण उन्हें इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत किया गया।
प्रियंका नेगी का सफर उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो खेल के क्षेत्र में अपना नाम बनाना चाहते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि समर्पण और कड़ी मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। प्रियंका की उपलब्धियाँ यह भी दर्शाती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली प्रतिभाएँ भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमक बिखेर सकती हैं। उनकी यात्रा न केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी की है, बल्कि यह भी सिखाती है कि आत्मविश्वास और मेहनत से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है।
तेलंगाना के दर्जी के. रामचंद्रन और उनकी पत्नी शारदा ने अपनी चार बेटियों को डॉक्टर बनाने का सपना देखा, भले ही इसके लिए घर गिरवी रखना पड़ा।
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दंगल फिल्म से प्रेरित होकर उन्होंने बेटियों को समाज सेवा की राह दिखाई। मामूली आमदनी के बावजूद, उन्होंने पढ़ाई में हर संभव मदद दी।
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आज उनकी सबसे बड़ी बेटी एमबीबीएस कर चुकी है, जबकि बाकी तीन बेटियां मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं। रामचंद्रन कहते हैं, "मैंने भले ही कम पढ़ाई की हो, पर बेटियों को आत्मनिर्भर और सम्मानित डॉक्टर बनते देखना ही मेरा सपना है।"
बधाई मानसी नेगी (स्वर्ण पदक विजेता) को उत्तराखंड की गोल्डन गर्ल के रूप में जाना जाता है ! देश हो या विदेश गोल्डन गर्ल मानसी अपने नाम कई खिताब कर चुकी हैं।
#uttrakhand