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"मेरे सबसे मुश्किल दिनों में, आपने मुझे ताकत दी। आपकी वजह से ही आज मैं यहां हूं, माँ।"
मिशेलिन स्टार शेफ विकास खन्ना ने सोशल मीडिया पर अपनी माँ, बिंदु खन्ना के लिए एक प्यार भरा और दिल को छू लेने वाला मैसेज लिखा है। इसमें उन्होंने माँ को अपनी सफलता का श्रेय दिया है।
उन्होंने बताया कि खाना बनाने का उनका सफ़र 13 साल की उम्र से शुरू हुआ, जब वह अपनी माँ के साथ विवेक पब्लिक स्कूल में छोले-भटूरे बेचने जाया करते थे।
उन्होंने आगे लिखा, "इस अगस्त में मुझे इस कमाल के पेशे में 40 साल पूरे हो जाएंगे।"
शेफ ने अपनी माँ को मुश्किल समय में उनका सहारा बने रहने के लिए शुक्रिया कहा। उन्होंने लिखा कि वह माँ ही थी जिन्होंने लॉरेंस गार्डन में पहला बिजनेस खोलने में उनकी मदद की और जब वह न्यू यॉर्क तक पहुंच गए तब भी हर मोड़ पर उनका साथ देती रहीं।
विकास याद करते हैं वो वक्त जब अमृतसर में उनके छोटे से रेस्टोरेंट में कोई मुश्किल आती, या कभी कोई जब उनसे बेरूखी से बात करता, तो भी माँ कैसे मुस्कुरा के, प्यार व सम्मान के साथ कस्टमर को जवाब देती थी और उनसे कहती थी, "विकु, यह हमारी जगह है, हमारा काम है, हमारा अभिमान है।"
आखिर में वह लिखते हैं, "आज जब मैं अपने बंगले या रेस्टोरेंट के बाहर लंबी लाइनें देखता हूं, तो लगता है कि ये सब उन्हीं के त्याग, उनकी सीख और मेहनत का नतीजा है।"
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#पहाड़ी #मीना_राणा कुमाउनी और गढ़वाली भाषाओं में उनके गीतों के लिए जानी जाती हैं। अक्सर '#उत्तराखंड की लता मंगेशकर' के रूप में प्रतिष्ठित,#मीना_राणा के करियर की शुरुआत 1992 में गढ़वाली फिल्म "नौनी पिछड़ी नौनी" से हुई, जहाँ उन्होंने तीन गीतों को अपनी आवाज़ दी। अपने शुरुआती वर्षों में किसी औपचारिक प्रशिक्षण के बिना, उन्होंने अपने जुनून और समर्पण के माध्यम से अपने शिल्प को निखारा, उनकी उपलब्धियों को कई पुरस्कारों से मान्यता मिली है, जैसे कि सर्वश्रेष्ठ गायिका के लिए यंग उत्तराखंड सिने अवार्ड, जिसे उन्होंने 2010 में अपने गीत "पल्या गाँव का मोहना" के लिए जीता था। मसूरी में आकाशवाणी क्लब में एक युवा प्रतिभा से एक प्रतिष्ठित कलाकार तक का उनका सफर उनकी स्थायी प्रतिभा और संगीत के प्रति प्रेम का प्रमाण है।
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#पहाड़ी #मीना_राणा कुमाउनी और गढ़वाली भाषाओं में उनके गीतों के लिए जानी जाती हैं। अक्सर '#उत्तराखंड की लता मंगेशकर' के रूप में प्रतिष्ठित,#मीना_राणा के करियर की शुरुआत 1992 में गढ़वाली फिल्म "नौनी पिछड़ी नौनी" से हुई, जहाँ उन्होंने तीन गीतों को अपनी आवाज़ दी। अपने शुरुआती वर्षों में किसी औपचारिक प्रशिक्षण के बिना, उन्होंने अपने जुनून और समर्पण के माध्यम से अपने शिल्प को निखारा, उनकी उपलब्धियों को कई पुरस्कारों से मान्यता मिली है, जैसे कि सर्वश्रेष्ठ गायिका के लिए यंग उत्तराखंड सिने अवार्ड, जिसे उन्होंने 2010 में अपने गीत "पल्या गाँव का मोहना" के लिए जीता था। मसूरी में आकाशवाणी क्लब में एक युवा प्रतिभा से एक प्रतिष्ठित कलाकार तक का उनका सफर उनकी स्थायी प्रतिभा और संगीत के प्रति प्रेम का प्रमाण है।
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