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" #मौली_कलावा "
क्या आप जानते हैं कि..... हमारे #हिन्दू परम्पराओं के अनुसार ... हाथ में मौली (कलावा) क्यों बांधा जाता है ...??
आपने अक्सर देखा होगा कि..... #घरों और #मंदिरों में #पूजा के बाद #पंडित जी हमारी #कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं.... और, हम में से बहुत से लोग बिना इसकी जरुरत को पहचानते हुए इसे हाथों में बंधवा लेते हैं...।
सिर्फ इतना ही नहीं... बल्कि, .... आजकल पश्चिमी #संस्कृति से प्रभावित अंग्रेजी स्कूलों में पढ़े लोग .... मौली बांधने को एक #ढकोसला मानते हैं .... और, उनका #मजाक उड़ाते हैं...!
हद तो ये है कि..... कुछ लोग मौली बंधवाने में अपनी #आधुनिक शिक्षा का अपमान समझते हैं .... एवं, मौली बंधवाने से उन्हें ... अपनी #सेक्यूलरता खतरे में नजर आने लगती है...!
परन्तु ,
मैं आपको एक बार फिर से ये याद दिला दूँ कि..... एक पूर्णतया #वैज्ञानिक धर्म होने के नाते ......हमारे हिंदू सनातन धर्म की कोई भी परंपरा...... बिना वैज्ञानिक दृष्टि से हो कर नहीं गुजरता... और. हाथ में मौली धागा बांधने के पीछे भी एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है...!
दरअसल.... मौली का धागा कोई...... ऐसा-वैसा धागा नहीं होता है..... बल्कि, यह कच्चे सूत से तैयार किया जाता है..... और, यह कई रंगों जैसे, लाल,काला, पीला अथवा #केसरिया रंगों में होती है।
मौली को लोग साधारणतया लोग हाथ की कलाई में बांधते हैं...!
और, ऐसा माना जाता है कि ..... हाथ में मौली का बांधने से मनुष्य को ....... भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है...।
कहा जाता है कि ....हाथ में मौली धागा बांधने से मनुष्य बुरी दृष्टि से बचा रहता है...... क्योंकि.... भगवान उसकी रक्षा करते हैं...!