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उत्तराखंड का एक ऐसा गाँव जहाँ आज भी दुल्हन को घोड़े मैं बिठाकर ससुराल के लिए विदा किया जाता है

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उत्तराखंड का एक ऐसा गाँव जहाँ आज भी दुल्हन को घोड़े मैं बिठाकर ससुराल के लिए विदा किया जाता है

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उत्तराखंड का एक ऐसा गाँव जहाँ आज भी दुल्हन को घोड़े मैं बिठाकर ससुराल के लिए विदा किया जाता है

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पराया धन होकर भी कभी पराई नही होती शायद इसीलिए किसी बाप से हंसकर बेटी की, विदाई नही होती.

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पराया धन होकर भी कभी पराई नही होती शायद इसीलिए किसी बाप से हंसकर बेटी की, विदाई नही होती.

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पराया धन होकर भी कभी पराई नही होती शायद इसीलिए किसी बाप से हंसकर बेटी की, विदाई नही होती.

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अमोल की फीमेल को-वर्कर्स को अकसर नाईट शिफ्ट के बाद देर से निकलना और घर पहुँचने के लिए लंबा सफ़र करना पड़ता था। इस वजह से वे घबराहट और असुरक्षित महसूस करती थी।

उन्होंने ऑफिस मैनेजमेंट के सामने, मीटिंग में इस समस्या को उठाया और अपनी फीमेल सहकर्मियों को भी खुलकर बोलने के लिए प्रोत्साहित किया। तब इस विषय पर मैनेजमेंट का ध्यान या और काफ़ी विचार-विमर्श के बाद ऑफिस की तरफ से women employees के लिए late night cab service की शुरुआत की गई। इसके लिए ऑफिस में पॉलिसी भी बनाई गई, जिससे कभी किसी महिला कर्मी को यह समस्या ना झेलनी पड़े।

इस तरह अब अमोल की महिला को-वर्कर्स ऑफिस से निकलने के बाद, सड़क पर चलने में भी खुद को ज़्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं।

हमारी पहल #betapadhaodeshjagao यही बताती है कि अपने बेटों को एक अच्छा, संवेदनशील और नेक शख़्स बनाने की शुरुआत घर से होती है।
सोचिए अगर समाज में हर पुरुष इसी तरह रूढ़िवादिता को तोड़ने में लग जाए, सबका सम्मान करे, और सही के लिए खड़ा होने लगे तो कितनी समस्याएं यूँ ही खत्म हो जाएंगीं! लेकिन इसकी शुरुआत भी हमसे ही होगी, हर माता-पिता से, हर शिक्षक से और पूरे समाज से।

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सपनों की उड़ान को मिले पंख, खेती-बाड़ी करने वाले परिवार की बेटी बनी पायलट!
"लड़की होना कभी इस सफर में बाधा नहीं बना, क्योंकि परिवार ने कभी बेटे-बेटी में फर्क नहीं समझा। घर में हम तीन बहनें हैं। सबसे बड़ी बहन गीता डॉक्टर है और सबसे छोटी लक्षिता ने हाल ही में 10वीं कक्षा पास की है।
मेरे पिता का सपना था कि उनकी बेटियां कुछ अलग करें। पायलट बनने के मेरे इस सफर में सबसे अहम भूमिका पापा की रही। उन्होंने ही मुझे पायलट बनाने का सपना देखा था।"
- गरिमा चौधरी
राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर के काश्मीर गांव की बेटी गरिमा चौधरी ने अपने सपने और अपने पिता खींयाराम के संघर्षों को सफल कर दिखाया है।
4 सालों की मेहनत के बाद प्राइवेट एयरलाइंस कंपनी में बतौर पायलट गरिमा चौधरी का सिलेक्शन हुआ है। अब ट्रेनिंग के बाद वह आसमान में हवाई जहाज उड़ाती नज़र आएंगी और ऐसा करने वालीं बाड़मेर की पहली महिला होंगी।
गरिमा ने अप्रैल 2019 में भुवनेश्वर में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग के लिए फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया था। इस एक साल में यहां 22 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग को पूरा किया और 6 में से पांच पेपर क्लियर किए। इसके एक साल के बाद कोविड आ गया, जिस वजह से दो साल तक घर में रहना पड़ा।
2022 में फिर पुणे में फ्लाइंग क्लब जॉइन किया। यहां पर 185 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग के साथ बाकी रहे एक पेपर को पूरा किया। इसके बाद फरवरी 2023 में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला।
गरिमा ने बताया कि इसके बाद साउथ अमेरिका में 2 महीने की ट्रेनिंग करने के बाद उन्होंने एयरलाइन में पायलट पद भर्तियों में भाग लेना शुरू किया।
तीन बार पहले प्रयास किए, लेकिन किसी न किसी वजह से पीछे रह जाती थीं। चौथे प्रयास में जाकर सफलता मिली है।
किसान परिवार से आने वाली इस बेटी ने पायलट बनकर परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। अपरंपरागत करियर के इस क्षेत्र में उन्होंने तमाम बाधाओं को अपने दम पर पार करते हुए एक उल्लेखनीय उदाहरण पेश किया है।
गरिमा, आपको बहुत-बहुत बधाई व उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं। आपकी इस उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है।

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भारतीय हॉकी बेटियों ने बांग्लादेश को 13-1 से हराया
जूनियर महिला हॉकी एशिया कप में शानदार शुरुआत
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। मुमताज खान के चार गोल के अलावा कनिका सिवाच और दीपिका की हैट्रिक की मदद से गत चैम्पियन भारत ने रविवार को महिला जूनियर एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट में बांग्लादेश को 13-1 से हराकर अपने अभियान की शानदार शुरुआत की।

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