Entdecken BeiträgeEntdecken Sie fesselnde Inhalte und vielfältige Perspektiven auf unserer Discover-Seite. Entdecken Sie neue Ideen und führen Sie bedeutungsvolle Gespräche
⚡ देश बदलने के जुमलों से सत्ता तक पहुंचे थे,लेकिन अब हालात ऐसे कर दिये कि उनको बदलने की ज़रूरत है।
बेरोज़गारों की भीड़ बढ़ रही है,महंगाई ने मध्यम वर्ग की कमर तोड़ दी है। पर सत्ता "इवेंट और इमेज" बिल्डिंग में व्यस्त है।
चुनाव आते हैं तो नारे(जुमले) बदल जाते हैं,
पर नौकरी, शिक्षा और न्याय के सवाल पर कोई जवाब नहीं मिलता है। युवाओं को “अवसर” नहीं, बस “वायदों” का लॉलीपॉप मिलता है।
सरकार विकास के आंकड़े दिखा रही है,पर यथार्थ में युवा बेरोजगारी के आँकड़ों में गुम हैं।किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई, बल्कि उम्मीदें आधी रह गईं।
और जब जनता निष्पक्ष चुनाव की बात करती है,
तो उसे “एंटी-नेशनल” कह दिया जाता है।
पर याद रखो सवाल पूछना गुनाह नहीं,लोकतंत्र की रक्षा का पहला कदम है।
अब वक्त है कि युवा तालियाँ नहीं, जवाब माँगे
क्योंकि आने वाला कल उन्हीं के हाथों में है।
याद रखिये लोकतंत्र तब नहीं मरता जब विपक्ष चुप हो जाता है, बल्कि जब जनता बोलना छोड़ देती है।
अब वक़्त है युवाओं को सोशल मीडिया से आगे बढ़कर जवाब मांगना सीखना होगा।
जय हिंद🇮🇳
नमस्कार 🙏