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लव जिहाद का यही है इलाज

ये पेंट सफेद का काम करने वाला मोहम्मद इस्माइल खान ने उत्तराखंड में किसी हिन्दू के घर में ठेका लेकर काम रहा था और उस हिन्दू परिवार की लड़की को अपने लव जिहाद में फंसाकर उनसे घर पर ही बातें करता रहता था। लड़की के भाई को पता चला तो उसी समय गोलियां से भून डाला। ताकि आगे से वो मुस्लिम जेहादी किसी भी हिन्दू बहन बेटियों को अपना शिकार न बनाये 👊

फ़ेसबुक से प्राप्त

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मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में नेताओं का जमावड़ा देखकर राजनीति का असली नाटक नजर आया। अखिलेश यादव, जो अंबानी का नाम सुनते ही बिफर जाते थे, अब उन्हीं की दावत में प्लेट चाटने पहुँचे हैं।

दो दिन तक कायम चूर्ण खाकर पेट साफ किया ताकि शादी की दावत में जमकर खा सकें।

लालू यादव, जो कभी अंबानी को भ्रष्टाचार का प्रतीक मानते थे, अब शादी में उनकी प्लेटें साफ कर रहे थे। ममता बनर्जी, जिन्होंने बड़े उद्योगपतियों को गरीबों का दुश्मन बताया था, अब उन्हीं के साथ हंसते-हंसते फोटो खिंचवा रही थीं।

उद्धव ठाकरे, जो मराठी मानुष की राजनीति करते थे, अब गुजराती उद्योगपति के बेटे की शादी में मिठाई पर हाथ साफ कर रहे थे।

ये वही नेता हैं जो जनता के सामने बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, पर जब मुफ़्त की दावत और हाई-प्रोफाइल पार्टी का मौका मिलता है, तो सारी सियासी दुश्मनी भूल जाते हैं। अखिलेश यादव ने अपनी लाल टोपी तक उतार दी, ताकि अंबानी के दरबार में फिट बैठ सकें। लालू यादव, जो रेलवे के डिब्बों में जनता के लिए भाषण देते थे, अब फाइव स्टार होटल में मलाई कोफ्ता खा रहे हैं। ममता बनर्जी, जो गरीबों की हितैषी बनने का ढोंग करती थीं, अब अंबानी परिवार के साथ गले मिल रही हैं। उद्धव ठाकरे, जिनका दिल मराठियों के लिए धड़कता था, अब गुजराती मिष्ठान का आनंद ले रहे हैं।

जनता देख रही है कि ये नेता किस तरह से अपने सिद्धांतों को बेचकर अंबानी की दावत में चटकारे ले रहे हैं। 'वाह रे नेता जी! कल तक जो अंबानी को देश का दुश्मन बताते थे, आज उन्हीं की शादी में चाटुकारिता कर रहे हैं।' राजनीति की ये मखमली चालें और दोगलापन देखकर जनता की आंखें खुल गई हैं। नेता जी, दावत का स्वाद तो चटपटा है, पर आपकी सियासी भूख कभी शांत होगी या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा।

इस तमाशे को देखकर जनता भी सोच रही है,

'नेता जी, आपके ये दोहरे चरित्र कब तक चलेंगे?
आप जो खुद को जनता का सेवक बताते हैं,

असल में बड़े उद्योगपतियों के दरबार में झुकने को तैयार रहते हैं। आपकी ये सियासी नौटंकी अब और नहीं चलेगी'

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मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में नेताओं का जमावड़ा देखकर राजनीति का असली नाटक नजर आया। अखिलेश यादव, जो अंबानी का नाम सुनते ही बिफर जाते थे, अब उन्हीं की दावत में प्लेट चाटने पहुँचे हैं।

दो दिन तक कायम चूर्ण खाकर पेट साफ किया ताकि शादी की दावत में जमकर खा सकें।

लालू यादव, जो कभी अंबानी को भ्रष्टाचार का प्रतीक मानते थे, अब शादी में उनकी प्लेटें साफ कर रहे थे। ममता बनर्जी, जिन्होंने बड़े उद्योगपतियों को गरीबों का दुश्मन बताया था, अब उन्हीं के साथ हंसते-हंसते फोटो खिंचवा रही थीं।

उद्धव ठाकरे, जो मराठी मानुष की राजनीति करते थे, अब गुजराती उद्योगपति के बेटे की शादी में मिठाई पर हाथ साफ कर रहे थे।

ये वही नेता हैं जो जनता के सामने बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, पर जब मुफ़्त की दावत और हाई-प्रोफाइल पार्टी का मौका मिलता है, तो सारी सियासी दुश्मनी भूल जाते हैं। अखिलेश यादव ने अपनी लाल टोपी तक उतार दी, ताकि अंबानी के दरबार में फिट बैठ सकें। लालू यादव, जो रेलवे के डिब्बों में जनता के लिए भाषण देते थे, अब फाइव स्टार होटल में मलाई कोफ्ता खा रहे हैं। ममता बनर्जी, जो गरीबों की हितैषी बनने का ढोंग करती थीं, अब अंबानी परिवार के साथ गले मिल रही हैं। उद्धव ठाकरे, जिनका दिल मराठियों के लिए धड़कता था, अब गुजराती मिष्ठान का आनंद ले रहे हैं।

जनता देख रही है कि ये नेता किस तरह से अपने सिद्धांतों को बेचकर अंबानी की दावत में चटकारे ले रहे हैं। 'वाह रे नेता जी! कल तक जो अंबानी को देश का दुश्मन बताते थे, आज उन्हीं की शादी में चाटुकारिता कर रहे हैं।' राजनीति की ये मखमली चालें और दोगलापन देखकर जनता की आंखें खुल गई हैं। नेता जी, दावत का स्वाद तो चटपटा है, पर आपकी सियासी भूख कभी शांत होगी या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा।

इस तमाशे को देखकर जनता भी सोच रही है,

'नेता जी, आपके ये दोहरे चरित्र कब तक चलेंगे?
आप जो खुद को जनता का सेवक बताते हैं,

असल में बड़े उद्योगपतियों के दरबार में झुकने को तैयार रहते हैं। आपकी ये सियासी नौटंकी अब और नहीं चलेगी'

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मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में नेताओं का जमावड़ा देखकर राजनीति का असली नाटक नजर आया। अखिलेश यादव, जो अंबानी का नाम सुनते ही बिफर जाते थे, अब उन्हीं की दावत में प्लेट चाटने पहुँचे हैं।

दो दिन तक कायम चूर्ण खाकर पेट साफ किया ताकि शादी की दावत में जमकर खा सकें।

लालू यादव, जो कभी अंबानी को भ्रष्टाचार का प्रतीक मानते थे, अब शादी में उनकी प्लेटें साफ कर रहे थे। ममता बनर्जी, जिन्होंने बड़े उद्योगपतियों को गरीबों का दुश्मन बताया था, अब उन्हीं के साथ हंसते-हंसते फोटो खिंचवा रही थीं।

उद्धव ठाकरे, जो मराठी मानुष की राजनीति करते थे, अब गुजराती उद्योगपति के बेटे की शादी में मिठाई पर हाथ साफ कर रहे थे।

ये वही नेता हैं जो जनता के सामने बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, पर जब मुफ़्त की दावत और हाई-प्रोफाइल पार्टी का मौका मिलता है, तो सारी सियासी दुश्मनी भूल जाते हैं। अखिलेश यादव ने अपनी लाल टोपी तक उतार दी, ताकि अंबानी के दरबार में फिट बैठ सकें। लालू यादव, जो रेलवे के डिब्बों में जनता के लिए भाषण देते थे, अब फाइव स्टार होटल में मलाई कोफ्ता खा रहे हैं। ममता बनर्जी, जो गरीबों की हितैषी बनने का ढोंग करती थीं, अब अंबानी परिवार के साथ गले मिल रही हैं। उद्धव ठाकरे, जिनका दिल मराठियों के लिए धड़कता था, अब गुजराती मिष्ठान का आनंद ले रहे हैं।

जनता देख रही है कि ये नेता किस तरह से अपने सिद्धांतों को बेचकर अंबानी की दावत में चटकारे ले रहे हैं। 'वाह रे नेता जी! कल तक जो अंबानी को देश का दुश्मन बताते थे, आज उन्हीं की शादी में चाटुकारिता कर रहे हैं।' राजनीति की ये मखमली चालें और दोगलापन देखकर जनता की आंखें खुल गई हैं। नेता जी, दावत का स्वाद तो चटपटा है, पर आपकी सियासी भूख कभी शांत होगी या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा।

इस तमाशे को देखकर जनता भी सोच रही है,

'नेता जी, आपके ये दोहरे चरित्र कब तक चलेंगे?
आप जो खुद को जनता का सेवक बताते हैं,

असल में बड़े उद्योगपतियों के दरबार में झुकने को तैयार रहते हैं। आपकी ये सियासी नौटंकी अब और नहीं चलेगी'

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मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में नेताओं का जमावड़ा देखकर राजनीति का असली नाटक नजर आया। अखिलेश यादव, जो अंबानी का नाम सुनते ही बिफर जाते थे, अब उन्हीं की दावत में प्लेट चाटने पहुँचे हैं।

दो दिन तक कायम चूर्ण खाकर पेट साफ किया ताकि शादी की दावत में जमकर खा सकें।

लालू यादव, जो कभी अंबानी को भ्रष्टाचार का प्रतीक मानते थे, अब शादी में उनकी प्लेटें साफ कर रहे थे। ममता बनर्जी, जिन्होंने बड़े उद्योगपतियों को गरीबों का दुश्मन बताया था, अब उन्हीं के साथ हंसते-हंसते फोटो खिंचवा रही थीं।

उद्धव ठाकरे, जो मराठी मानुष की राजनीति करते थे, अब गुजराती उद्योगपति के बेटे की शादी में मिठाई पर हाथ साफ कर रहे थे।

ये वही नेता हैं जो जनता के सामने बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, पर जब मुफ़्त की दावत और हाई-प्रोफाइल पार्टी का मौका मिलता है, तो सारी सियासी दुश्मनी भूल जाते हैं। अखिलेश यादव ने अपनी लाल टोपी तक उतार दी, ताकि अंबानी के दरबार में फिट बैठ सकें। लालू यादव, जो रेलवे के डिब्बों में जनता के लिए भाषण देते थे, अब फाइव स्टार होटल में मलाई कोफ्ता खा रहे हैं। ममता बनर्जी, जो गरीबों की हितैषी बनने का ढोंग करती थीं, अब अंबानी परिवार के साथ गले मिल रही हैं। उद्धव ठाकरे, जिनका दिल मराठियों के लिए धड़कता था, अब गुजराती मिष्ठान का आनंद ले रहे हैं।

जनता देख रही है कि ये नेता किस तरह से अपने सिद्धांतों को बेचकर अंबानी की दावत में चटकारे ले रहे हैं। 'वाह रे नेता जी! कल तक जो अंबानी को देश का दुश्मन बताते थे, आज उन्हीं की शादी में चाटुकारिता कर रहे हैं।' राजनीति की ये मखमली चालें और दोगलापन देखकर जनता की आंखें खुल गई हैं। नेता जी, दावत का स्वाद तो चटपटा है, पर आपकी सियासी भूख कभी शांत होगी या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा।

इस तमाशे को देखकर जनता भी सोच रही है,

'नेता जी, आपके ये दोहरे चरित्र कब तक चलेंगे?
आप जो खुद को जनता का सेवक बताते हैं,

असल में बड़े उद्योगपतियों के दरबार में झुकने को तैयार रहते हैं। आपकी ये सियासी नौटंकी अब और नहीं चलेगी'

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कांग्रेस राज में एक हिन्दू पिता का दर्द देखिए !

"मेरी बेटी के साथ लव जिहाद हुआ !"

"मैं अपनी बेटी को मुस्लिम लड़के के चंगुल से बचा नहीं पाया।"

"मोहम्मद अस्पद ने मेरी बेटी का अपहरण कर लिया।"

मामला कर्नाटक के मंगलौर का।

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A missing daughter

Her distraught father

And Muhammed Aspad

तसवीरें बोलती हैं 😭

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A missing daughter

Her distraught father

And Muhammed Aspad

तसवीरें बोलती हैं 😭

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A missing daughter

Her distraught father

And Muhammed Aspad

तसवीरें बोलती हैं 😭

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