क्या आप भी सहमत है दोस्तों? #motivation #love #bestviral #relationship #saasbahujodi #saasbahu #viral #facts #couple #photos #patipatni #loveyou #relationships #life #cute #motivational #photochallenge #couplegoal #photo #फोटोज #bestphoto

Знакомьтесь сообщенийИзучите увлекательный контент и разнообразные точки зрения на нашей странице «Обнаружение». Находите свежие идеи и участвуйте в содержательных беседах
क्या आप भी सहमत है दोस्तों? #motivation #love #bestviral #relationship #saasbahujodi #saasbahu #viral #facts #couple #photos #patipatni #loveyou #relationships #life #cute #motivational #photochallenge #couplegoal #photo #फोटोज #bestphoto
यूं तो हर घर में तरह तरह के मसाले आते रहते हैं पर उनके फल और वृक्षों से शायद ही कभी हम सब रूबरू हो पाते हैं। पहली बार मसालों के कुछ पौधों को मैंने अपनी केरल यात्रा में देखा था। कच्ची इलायची का तो स्वाद भी तभी चखा था और काली मिर्च के फलों का प्रथम दर्शन भी तब हुआ था।
इस बार कुन्नूर गया तो वहां Dolphin's Nose के पास इस फल को बिकता देखा। किसी ने बताया कि ये जायफल है।
वैसे क्या आपको पता है कि इस फल से एक नहीं पर घर में इस्तेमाल होने वाले दो मसाले बनते हैं? ये बात मुझे वहां से लौटने के बाद पता चली। तुरंत इसकी ली गई इस तस्वीर को खंगाला और सारा माजरा समझ आ गया।
दरअसल जायफल की जो गुठली होती है उसके चारों ओर लाल रंग का कवच होता है। ये जालनुमा बाहरी आवरण मसाले के रूप में इस्तेमाल होता है और इसे जावित्री कहते हैं।
जायफल की गुठली को पहले सुखाया जाता है। फिर उसे लकड़ी के हथौड़े से तोड़कर उसके बीज को निकल लिया जाता है। इसी को पीसकर जायफल का मसाला बनता है। इसीलिए तो कहा जाता है कि यात्राएं हमें बहुत कुछ नया सिखाती हैं।
#travelwithmanish #coonoor
जुबली के गीत संगीत के बारे में इस गीतमाला में पहले भी चर्चा हो चुकी है और आगे और भी होगी क्यूँकि 2023 के पच्चीस बेहतरीन गीतों की इस शृंखला में बचे तीन गीतों में दो इसी वेब सीरीज के हैं। जहाँ उड़े उड़नखटोले ने आपको चालीस के दशक की याद दिला दी थी वहीं बाबूजी भोले भाले देखकर गीता दत्त और आशा जी के पचास के दशक गाए क्लब नंबर्स का चेहरा आँखों के सामने घूम गया था।
"नहीं जी नहीं" इसी कड़ी में साठ के दशक के संगीत की यादें ताज़ा कर देता है जब फिल्म संगीत में संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन की तूती बोलती थी। शंकर जयकिशन के संगीत की पहचान थी उनका आर्केस्ट्रा। उनके संगीत रिकार्डिंग के समय वादकों का एक बड़ा समूह साथ होता था। अमित त्रिवेदी ने अरेंजर परीक्षित शर्मा की मदद से बला की खूबसूरती से इस गीत में वही माहौल फिर रच दिया है। इस गीत में वॉयलिन की झंकार भी है तो साथ में मेंडोलिन की टुनटुनाहट भी। कहीं ड्रम्स के साथ मेंडोलिन की संगत है तो कहीं वॉयलिन के साथ बाँसुरी की जुगलबंदी।
वाद्य यंत्रों के छोटे छोटे टुकड़ों को अमित ने जिस तरह शब्दों के बीच पिरोया है उसकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम होगी।
इस मधुर संगीत रचना के बीच चलती है नायक नायिका की आपसी रूमानी नोंक झोंक, जिसे बेहद प्यारे बोलों से सजाया है गीतकार कौसर मुनीर ने। हिंदी फिल्मों में आपसी बातचीत या सवाल जवाब के ज़रिए गीत रचने की पुरानी परंपरा रही है। कौसर ने श्रोताओं को इसी कड़ी में एक नई सौगात दी है। अभी ये लिखते वक्त मुझे ख्याल आ रहा है "हम आपकी आँखों में इस दिल को बसा लें का" जिसमें ये शैली अपनाई गयी थी। मिसाल के तौर पर कौसर का लिखा इस गीत का मुखड़ा देखिए
कि देखो ना, बादल तेरे आँचल से बँध के आवारा ना हो जाए, जी
नहीं, जी, नहीं, कि बादल की आदत में तेरी शरारत नहीं
कि देखो ना, चंदा तेरी बिंदिया से मिल के कुँवारा ना रह जाए, जी
नहीं, जी, नहीं, कि चंदा की फ़ितरत में तेरी हिमाक़त नहीं
वॉयलिन और ताल वाद्यों की मधुर संगत से इस गीत का आगाज़ होता है। पापोन की सुकून देती आवाज़ के साथ सुनिधि की गायिकी का नटखटपन खूब फबता है। पापोन जहाँ हेमंत दा की आवाज़ का प्रतिबिंब बन कर उभरते हैं वहीं सुनिधि की आवाज़ की चंचलता आशा जी और गीता दत्त की याद दिला देती है। इस गीत में आपको जोड़ी दिखेगी वामिका गब्बी और सिद्धार्थ गुप्ता की जिन्होंने पर्दे पर अपना अभिनय बखूबी किया है। तो आइए सुनें ये प्यारा गीत👇
अंग्रेजी में Canary Yellow से अभिप्राय एक ऐसे रंग से लगाया जाता है जिसमें हल्के पीले के साथ थोड़ा हरे का तड़का मिला हो। इसी Canary Yellow और Gray यानी हल्के स्लेटी रंग से मिलकर बना है हमारा ये नन्हा मुन्ना पक्षी। कीटों और मक्खियों को अपना ग्रास बनाने वाले इस छुटकू को हिंदी में धूसर सिर पीला माखीमार (Gray Headed Canary flycatcher) के नाम से बुलाया जाता है।
ऊटी और कुन्नूर घूमते हुए मुझे जगह जगह इनके दर्शन हुए। करीब दर्जन भर तस्वीरों में कई बार बड़े कौतुक से कैमरे की तरफ भी इन्होंने अपनी नज़रें गड़ाई। वैसे तो एक जगह ज्यादा देर तक स्थिर रहना इनकी फितरत में नहीं पर मुझे विभिन्न मुद्राओं में इन्हें देखने का सौभाग्य जरूर मिला।
जैसा कि आप इन चित्रों में देख सकते हैं कि इनके वक्ष से लेकर उदर तक का हिस्सा पीला जबकि चौकोर सिर से लेकर गले तक का रंग धूसर या हल्के स्लेटी रंग का होता है। सिर के शीर्ष बिंदु पर ये रंग थोड़ा गहरा जाता है। इनके पंखों और पीठ के आस पास का रंग हरे और पीले का मिश्रण सा दिखता है।
उद्यानों में ये अक्सर घने पेड़ों के नीचे छोटी छोटी झाड़ियों के बीच उड़ान भरते दिखे। मासूम सी आंखों वाले ये गोल मटोल पक्षी उड़ते वक्त खूब अच्छे से अपना गीत सुनाते हैं। उत्तर पूर्वी और मध्य भारत से लेकर पश्चिमी घाटों तक इनका बसेरा है। श्वेतनयन की तरह ही इन्हें भी समूह में भोजन ढूंढना अच्छा लगता है।
इनकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा गर्मियों में हिमालय के ठंडे इलाकों की ओर चल पड़ता है। प्रायद्वीपीय भारत के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया में भी इस प्रजाति के पक्षी प्रचुरता से देखे जाते हैं।
तो कैसा लगा आपको हमारा पीला छुटकू😊
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
कवि विनोद शर्मा की इस अद्भुत कल्पना को साकार करते ग्रीष्म ऋतु के कुछ दृश्य।
साल के जंगल धधकने के बाद फिर उसी हरियाली से जीवन्त हो उठे हैं। दिन भर की उमस को सांझ की प्यारी हवा उड़ा कर के जा रही है। आकाश में बादल नित नई चित्रकारियां कर रहा है। प्लूमेरिया और गुलमोहर तपती गर्मी में अपनी रंगत बिखेर रहे है। रात के स्वच्छ आकाश से बरामदे में छन छन कर आती चांद की रोशनी को छोड़कर घर के अंदर जाने का मन ही नहीं करता। ऐसे ही लम्हों को साझा करने का आज दिल हुआ आपसे...
#summervibes #travelwithmanish #ranchi #रांची
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
कवि विनोद शर्मा की इस अद्भुत कल्पना को साकार करते ग्रीष्म ऋतु के कुछ दृश्य।
साल के जंगल धधकने के बाद फिर उसी हरियाली से जीवन्त हो उठे हैं। दिन भर की उमस को सांझ की प्यारी हवा उड़ा कर के जा रही है। आकाश में बादल नित नई चित्रकारियां कर रहा है। प्लूमेरिया और गुलमोहर तपती गर्मी में अपनी रंगत बिखेर रहे है। रात के स्वच्छ आकाश से बरामदे में छन छन कर आती चांद की रोशनी को छोड़कर घर के अंदर जाने का मन ही नहीं करता। ऐसे ही लम्हों को साझा करने का आज दिल हुआ आपसे...
#summervibes #travelwithmanish #ranchi #रांची
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
कवि विनोद शर्मा की इस अद्भुत कल्पना को साकार करते ग्रीष्म ऋतु के कुछ दृश्य।
साल के जंगल धधकने के बाद फिर उसी हरियाली से जीवन्त हो उठे हैं। दिन भर की उमस को सांझ की प्यारी हवा उड़ा कर के जा रही है। आकाश में बादल नित नई चित्रकारियां कर रहा है। प्लूमेरिया और गुलमोहर तपती गर्मी में अपनी रंगत बिखेर रहे है। रात के स्वच्छ आकाश से बरामदे में छन छन कर आती चांद की रोशनी को छोड़कर घर के अंदर जाने का मन ही नहीं करता। ऐसे ही लम्हों को साझा करने का आज दिल हुआ आपसे...
#summervibes #travelwithmanish #ranchi #रांची