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राधां रमणमेव नन्दनन्दनं, राधां विना नास्ति हि कृष्णसंगति:। राधेति नामोच्यारणमात्रत:, सिद्धि भवत्येव न संशय:॥
✨✨✨✨✨✨हिंदी अनुवाद ✨✨✨✨✨✨
राधा का आनंद नंद का आनंद है, क्योंकि राधा के बिना कृष्ण से कोई जुड़ाव नहीं है। राधा के नाम का जाप करने मात्र से निस्संदेह सिद्धि प्राप्त हो जाती है।"
🙏🙏🙏जय श्री किशोरी जी 🙏 🙏
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।। संत दर्शन ।।
परम पूज्य मलूकपीठाधीश्वर जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री राजेंद्रदास जी महाराज संत समाज के एक प्रमुख एवं आदरणीय संत हैं, जिनका जीवन धर्म, भक्ति और सेवा के लिए समर्पित है। उनका जन्म एक वैदिक ब्राह्मण परिवार में हुआ, बाल्यावस्था से ही आप ईश्वर भक्ति, सत्संग और आध्यात्मिक साधना की ओर आकर्षित रहे। वैष्णव परंपरा के अनुरूप वे श्रीराम, श्रीकृष्ण एवं श्रीहनुमान जी की भक्ति में लीन रहते हैं।
पूज्य राजेंद्रदास जी महाराज का प्रवचन शैली अत्यंत सरल, भावपूर्ण और हृदय को स्पर्श करने वाली होती है। वे शास्त्रों के गूढ़ सिद्धांतों को आम जनमानस के लिए सहज भाषा में प्रस्तुत करते हैं, जिससे हर वर्ग के लोग लाभान्वित होते हैं। वे भक्ति के साथ-साथ गौ सेवा को भी जीवन का अनिवार्य अंग मानते हैं और शिक्षा, गौसेवा तथा गरीबों की सहायता जैसे कार्यों में निरंतर सक्रिय रहते हैं।
उनका जीवन आदर्श और अनुकरणीय है। वे सदैव सभी को प्रेम, सत्य, अहिंसा और सदाचार का पालन करने की प्रेरणा देते हैं। उनके सत्संग से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और ईश्वर के प्रति आस्था दृढ़ होती है। पूज्य राजेंद्रदास जी महाराज आज भी भक्ति की अखंड धारा प्रवाहित कर समाज को आध्यात्मिक दिशा प्रदान कर रहे हैं।