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पन्ना धाय, राणा सांगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थी। वह एक खींची चौहान राजपूत थी , इसी कारण उसे पन्ना खींचन के नाम से भी जाना गया है ।राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना 'धाय माँ' कहलाई थी। रानी कर्णावती ने बहादुरशाह द्वारा चित्तौड़ पर हमले में हुए जौहर में अपना बलिदान दे दिया था और उदयसिंह के लालन पालन का भार पन्ना को सौंप दिया था।
दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ का शासक बनना चाहता था। बनवीर एक रात महाराणा विक्रमादित्य की हत्या करके उदयसिंह को मारने के लिए उसके महल की ओर चल पड़ा। एक बारी (पत्तल आदि बनाने वाले) ने पन्ना खींची को इसकी सूचना दी। [1] पन्ना राजवंश और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग थी व उस पर उदयसिंह की रक्षा का भार था । उसने उदयसिंह को एक बांस की टोकरी में सुलाकर उसे पत्तलों से ढककर एक बारी जाती की महिला साथ चित्तौड़ से बाहर भेज दिया। बनवीर को धोखा देने के उद्देश्य से अपने पुत्र को जो कि उदयसिंह की ही आयु का था, उदयसिंह के पलंग पर सुला दिया। बनवीर रक्तरंजित तलवार लिए उदयसिंह के कक्ष में आया और उसके बारे में पूछा। पन्ना ने उदयसिंह के पलंग की ओर संकेत किया जिस पर उसका पुत्र सोया था। बनवीर ने पन्ना के पुत्र को उदयसिंह समझकर मार डाला।पन्ना अपनी आँखों के सामने अपने पुत्र के वध को अविचलित रूप से देखती रही। बनवीर को पता न लगे इसलिए वह आंसू भी नहीं बहा पाई। बनवीर के जाने के बाद अपने मृत पुत्र की लाश को चूमकर राजकुमार उदयसिंह को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए निकल पड़ी।
पन्ना और उसके विश्वासपात्र सेवक उदयसिंह को लेकर मुश्किलों का सामना करते हुए कुम्भलगढ़ पहुँचे। कुम्भलगढ़ का क़िलेदार, आशा देपुरा था, जो राणा सांगा के समय से ही इस क़िले का क़िलेदार था। आशा की माता ने आशा को प्रेरित किया और आशा ने उदयसिंह को अपने साथ रखा। उस समय उदयसिंह की आयु 15 वर्ष की थी। मेवाड़ी उमरावों ने उदयसिंह को 1536 में महाराणा घोषित कर दिया और उदयसिंह के नाम से पट्टे-परवाने निकलने आरंभ हो गए थे । उदयसिंह ने 1540 में चित्तौड़ पर अधिकार किया।
मेवाड़ के इतिहास में जिस गौरव के साथ प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप को याद किया जाता है, उसी गौरव के साथ पन्ना धाय का नाम भी लिया जाता है, जिसने स्वामिभक्ति को सर्वोपरि मानते हुए अपने पुत्र चन्दन का बलिदान दे दिया था। इतिहास में पन्ना धाय का नाम स्वामिभक्ति के लिये प्रसिद्ध है। विश्व इतिहास में पन्ना के त्याग जैसा दूसरा दृष्टांत अनुपलब्ध है।

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आपको पता है पहले मैं इतना कमजोर था की चेयर से भी जंप नही मार सकता था 😫
फिर मैंने ऋतिक की एड वाली माउंटेन ड्यू पी 😎
और अब मैं डेली मंगल ग्रह से दिन में दो बार पृथ्वी पे छलांग लगा के जंप करता हूं🙈🙈🤣🙃😒😳🤣
नोट -- भ्रा#मक दावे सिर्फ रामदेव बाबा करते है 🙄

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आसान नहीं है हिंदुओं को जगाना...
स्वंय श्री नारायण को भी 18 अध्याय 700 श्लोक बोल कर सुनाने पड़े ...तब अर्जुन ने शस्त्र उठाए !

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अमेरिका में जब रेलवे ट्रैक का विस्तार हुआ तब कई रेल कंपनियों में रेलवे ट्रैक बिछाकर खूब सारी ट्रेन चला कर पैसे कमाने की होड़ मच गई!
लेकिन पूर्वी अमेरिका को पश्चिम अमेरिका को जोड़ते समय बीच में एक बेहद विशाल समुद्र जैसी झील थी जो अमेरिका की सबसे बड़ी झील है जिसका नाम द ग्रेट साल्ट लेक है।
बड़े-बड़े इंजीनियर के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी इस झील के आर पार रेलवे ट्रैक कैसे बिछाया जाए।
यूनियन पेसिफिक की टीम में एक इंजीनियर था जिसने रामायण पढ़ी थी और उसे रामसेतु के बारे में जानकारी थी वह भारत आया और राम सेतु का अध्ययन किया तब उसके दिमाग की घंटी बज गई और उसने यह पता लगा लिया कि यदि हम झील में एकदम सीधी रेलवे लाइन बिछाएंगे तब यह रेलवे ट्रैक लहरों से टूट सकता है और उसने ठीक रामसेतु के डिजाइन पर अपना रेलवे ट्रैक बनाया वो‌ ट्रेक पिछले 60 सालों से अमेरिका में वही का वही खड़ा है और सेवा दे रहा है..
दरअसल जहां पर पानी लहरदार होती है वहां जिग जेग डिजाइन से ही स्टेबिलिटी मिलती है!
और रामसेतू का कार्य मुनिन्द्र ऋषि की कृपा से हुआ जो नल नील के गुरू थे ।
जय श्री राम 🚩

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स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
पुरुष नहीं। ...पुरुष का सौंदर्य उसके चेहरे पर तब उभरता है जब वह अपने साहस के बल पर ...विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल कर लेता है।
गांव के बुजुर्ग कहते हैं....पुरुष की प्रतिष्ठा उसकी स्त्री तय करती है और स्त्री का सौंदर्य उसका पुरुष... दोनों के बीच समर्पण हो तभी उनका संसार सुन्दर होता है।

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जरुरी है बहुत जिंदगी में इश्क मगर,
ये जानलेवा जरूरत खुदा किसी को ना दे...!!

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