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जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ।। पोस्ट३१२, बालकाण्ड दोहा ६०/१-४, देवता यज्ञ में पहुंचने लगे।
किंनर नाग सिद्ध गंधर्बा ।
बधुन्ह समेत चले सुर सर्बा।।
बिष्नु बिरंचि महेसु बिहाई।
चले सकल सुर जान बनाई।।
सतीं बिलोके ब्योम बिमाना।
जात चले सुंदर बिधि नाना।।
सुर सुंदरी करहिं कल गाना।
सुनत श्रवन छूटहिं मुनि ध्याना।।
भावार्थ:- दक्ष का निमंत्रण पाकर किन्नर, नाग, सिद्ध, गन्धर्व और सब देवता अपनी अपनी स्त्रियों सहित चले। विष्णु, ब्रम्हा और महादेव जी को छोड़कर अपना अपना विमान सजाकर चले। सती ने देखा अनेकों प्रकार के सुन्दर विमान आकाश में चले जा रहे हैं। देव- सुन्दरियाॅं मधुर गान कर रही हैं, जिन्हें सुनकर मुनियों का ध्यान छूट जाता है।
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