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Miramar General Dentist
General Dentistry at Oak Springs Dental in Miami Lakes As a primary dental care practice, Oak Springs Dental caters to the whole family's dental needs with a caring, professional and experienced staff. Primary dental care, also referred to as general dentistry is a type of dentistry that deals with the prevention, diagnosis, and treatment.
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Dental Services in Miami Gardens
Services Offered at Oak Springs Cosmetic & Family Dentistry Very few dental practices in North Miami can truly call themselves a full-service facility. However, this is what we do at Oaks Springs Dental. We are here to address all of your dental needs starting from routine cleaning all the way to orthodontists and restorative dentistry.
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कभी बैठिये उन लोगों के पास संघर्ष सुनने,
जो असफल हो गये।
कभी बैठिये उन निर्वासित पिताओं के पास, जिनके पुत्र सफल है।
कभी बैठिये उस चूल्हे के पास,
जंहा माँ कभी फूँकती आग थी, रोटियां फूल जाती थी।
कभी बैठिये उस बेटी के पास, जिसके मायके में अब पिता नहीं है।
कभी बैठिये उन छात्रों के पास, जो अब फोन नही उठाते है। अपने दोस्तों के की पूछ न ले कि शादी कब करोगे।
बैठिये उस अकेले पेड़ के पास , जिसकी शाखाएं कभी बच्चों की पगडंडियों से जमीन छूने लगी थी।
बैठिये उस मंदिर के पास, जिसमें कभी माँ ने आपकी सफलता के लिये प्राथना किया था।
एक दिन बैठें उन सफल असफलताओं के बीच। सुने असफल लोगों का संघर्ष।।
#वेद_पढ़ने_की_क्षमता_और_अधिकार
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स्वामी सूर्यदेव एवं आदरणीय Arun Kumar Upadhyay जी के विचार
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वेदाध्ययन के अधिकारी कौन??
चित्र में दिख रहे दोनों मित्र बिहार में #गयाजी से हैं,, एक रंजय जी हैं और दूसरे मुन्ना जी,, धाम पर आए थे कुछ दिन के लिए,, हमारा व्यवहार #थोबड़ापोथी पर मस्त लेकिन आमने सामने थोड़ा कठोर रहता है सो इनको भी वह झेलना पड़ा,, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जिनके प्रति हम कठोर हो जाते हैं उनसे प्रेम नहीं, सत्य तो ये है कि उनके प्रति ज्यादा ही है,,
दोनों ने जिज्ञासा की--भगवन, कहते हैं शूद्रों को वेदाध्ययन की मनाही थी?? वे क्या मनुष्य नहीं?? उनसे ऐसा भेदभाव आखिर क्यों??क्या कारण रहे??
हमने एक वेदमन्त्र बोला यह कहकर की ध्यान से सुनो,,फिर दोनों से कहा कि वापस सुनाओ,, मंत्र का प्रथम अक्षर भी नहीं सुना पाए,, हमने कहा अबकी बार ज्यादा ध्यान देना,, फिर वेदमंत्र उच्चारित किया,, अबकी बार भी नहीं बता पाए,, ऐसा करके हमने #दस बार वेदमन्त्र बोला,, दोनों ही मित्र मंत्र के प्रथम तीन शब्द सुना पाने में भी असमर्थ रहे,,
फिर हमने बताया कि #गुरुकुल सभी बच्चे बिना भेदभाव के जाते थे,, गुरु मंत्र उच्चारण करता था जो एक बार में ज्यों का त्यों सुना दे वे एकपाठी,, जो दो बार सुनकर वापस सुना दे द्विपाठी,, तीन बार सुनकर सुना दे #त्रिपाठी,, ऐसे ही क्रम दस तक जाता था,, फिर प्रथम तीन त्रिपाठी तक की एक श्रेणी बनती,, दूसरे तीन की दूसरी श्रेणी और आखरी चार की तीसरी श्रेणी में गुरुकुल भर्ती हो जाती थी,,
उसके अतिरिक्त जो बच जाते थे,, ऐसी #लट्ठबुद्धि जो दस बार सुनकर भी मंत्र न दोहरा सकें उन्हें बौद्धिक रूप से #क्षुद्र मान लिया जाता था,, जैसे क्षत्रिय होकर युद्ध से घबरा जाए उसे क्षुद्र मान लिया जाता था,, गीता में भगवान ने कहा--क्षुद्रम हृदय #दौर्बल्यं--युद्ध में हृदय की दुर्बलता क्षुद्र होने की निशानी है,, ठीक इसी प्रकार वेदविद्या में बौद्धिक दुर्बलता,, बौद्धिक दारिद्र्य वालों को क्षुद्र कहकर सेवा आदि कार्यो में लगा दिया जाता था पढ़ाई में नहीं,,
बस इतनी सी बात का बतंगड़ बनाकर क्षुद्रों को वेद नहीं पढ़ने दिए वाला ड्रामा खड़ा कर दिया गया है वर्तमान में,, जबकि कथनी यह होनी चाहिए कि जो पढ़ने में अयोग्य हो जाते थे वही क्षुद्र थे कोई वर्ग विशेष नहीं,,
और किसी को अब मन जोर मारे की हाय क्यों नहीं पढ़ने दिए गए,, तो मेरे पास आ जाना भाई,,देखते हैं कितनी बार में मंत्र वापस सुना सकते हो,, अधिकारी हुए तो किसी भी जाति का संवैधानिक प्रमाण पत्र हो हम आपको #वेदविद्या देंगे,,
असमर्थ सिद्ध हुए तो फोटो के साथ फेसबुक पर पोस्ट लिखेंगे,, हमारा समय खराब करने के लिए लतियाएँगे सो अलग,,
ॐ श्री परमात्मने नमः। *सूर्यदेव*
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अरुण कुमार उपाध्याय
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वेद पढ़ने का अधिकार-इस विषय में एक श्लोक उद्धृत किया जाता है जिसमें सभी के लिये कहा है कि उनको वेद नहीं समझ आयेगा। श्रीमद् भागवत पुराण (१/४/२५)- स्त्री-शूद्र-द्विजबन्धूनां त्रयी न श्रुति-गोचरा। कर्म-श्रेयसि मूढानां श्रेय एवं भवेद् इह। इति भारतम् आख्यानं कृपया मुनिना कृतम्॥ पर इस अर्थ का कोई श्लोक महाभारत में नहीं है। इसका शाब्दिक अर्थ है कि केवल स्त्री, शुद्र या द्विज बन्धु होने से वेद नहीं समझा जा सकता है। यह नहीं कि शूद्र के वेद सुनने पर उसके कान में पिघला सीसा डाला जाय। अभी आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री जी ने लिखा है कि वेद मन्त्र का जोर से उच्चारण इसी लिये होता था कि सभी सुन सकें। १६०० डिग्री सेल्सियस पर सीसा पिघलाना किसी भी गांव में या लोहे के कारखाने में भी सम्भव नहीं था।
वेदों में स्त्रियों के वेद पढ़ने कए कई उदाहरण हैं। याज्ञवल्क्य-मैत्रेयी सम्वाद वेद विषय में था (बृहदारण्यक उपनिषद्, २/४/५, ४/५/६)। मैत्रेयी के नाम पर कृष्ण यजुर्वेद की मैत्रायणी संहिता है। वेद के अनेक स्त्री ऋषि भी हैं। मध्य युग में शंकराचार्य तथा मण्डन मिश्र के शात्रार्थ में भारती क्या बिना वेद पढ़े मध्यस्थ बनी थीं?