#गरुड़_पुराण और #गर्भाधान
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मैं माँ कि मृत्यु पर 'दाग' लिया था। यह मेरी इच्छा थी। वैसे तो बड़े भाई ले सकते थे।
यह परंपरा है कि जो दाग लेता है। वह गरुण पुराण सुनता है। साथ और लोग भी सुन सकते है।
गांव, सगे सम्बन्धी कहने लगे आप डॉक्टर है। यह क्या पुराण सुनेगें। कुछ लोग ने हँसी भी किये। उसमें सब कहानी किस्से है।
आजकल तो पुष्पक विमान, गणेश जी का सूड़ आदि कहकर परिहास तो किया ही जाता है। लेकिन जो मैं बता रहा हूँ। वह तथ्यों पर आधारित है।
हम कहे ठीक है। बैठे ही तो है। सुन लेते है।
पंडित जी कह रहे थे। उसमें ज्ञान, धर्म , कर्म , जन्म, मृत्यु, स्वर्ग , नर्क कि बहुत सी बातें थी। कुछ ऐसी बातें जो भय पैदा करने के लिये थी। कुछ ऐसा भी जिसका कोई न कोई प्रमाण न ही साक्ष्य था।
लेकिन एक जगह मैं रुक गया। बहुत ध्यान से सुनने लगे। पंडित जी से बोले थोड़ा धीरे धीरे इसको पढ़िये। यह चिकित्सा विज्ञान से जुड़ी हुई बात थी।
मेरे लिये यह आश्चर्य कि बात थी। एक ऐसा ग्रँथ जिसके विषय में परिहास बनाया जाता है। वह इतनी सटीक तथ्यात्मक बात कर रहा है।
वह है, निषेचन के बाद भ्रूण का विकास। सामान्य व्यक्ति इसे नही समझ सकता लेकिन मेडिकल के विद्यार्थी समझ सकते है।
किस सप्ताह किस अंग का विकास होता है। जैसे हृदय 3-8 सप्ताह में धड़कता है। फेफड़े 4 महीने में, ऐसे ही हर अंग का होता है।
गरुण पुराण में उसी क्रम में अंगों का विकास दिया। मेडिकल कि पुस्तकों में जो समय दिया है। उससे थोड़ा ही अंतर होगा। धार्मिक पुस्तक भ्रूण के विकास को इस तरह बता रही है। जैसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान बताता है।
मैं जानना चाहा गरुण पुराण कब लिखा गया था। लोगों ने बताया व्यास जी ने लिखा था। व्यास एक परंपरा रही होगी। चलिये हम सबसे कम समय लेते है। 500 वर्ष पूर्व लिखा गया था।
500 वर्ष पूर्व कैसे यह ज्ञात हुआ कि भ्रूण का विकास गर्भावस्था में इस स्टेज से होता है।
गरुण पुराण में -
Blastocyst के विषय मे लिखा है। यह गेंद कि तरह होता है। और 10 दिन में जुड़ जाता है।
मेडिकल कि पुस्तकों में यही आकर और समय( 5-10day) दिया हुआ है।
आप गरुण पुराण से भ्रूण का विकास और इंटरनेट पर डालकर देख सकते है। लगभग एक जैसा ही है।
सब कूड़ा समझकर फेंकिये नही है। अध्ययन, शोध करिये तो बहुत से ज्ञानवर्धक चीजे मिल सकती है।
जिनके पास गरुण पुराण हो।
इससे तुलना करके देख सकते है।।
