Struggles with runners upon foundation move forward as Brewers reduce in direction of Reds 4-3 | #corbin Burnes T-Shirt
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Struggles with runners upon foundation move forward as Brewers reduce in direction of Reds 4-3 | #corbin Burnes T-Shirt
सपा के बेहद इमानदार नेता आजम खान जिनकी मदद के लिए अखिलेश ताल ठोक रहे हैं, उनसे बरामद माल की लिस्ट।
83.96 लाख रूपए कैश
2.04 करोड़ के जेवर
ट्रस्ट के 2 खातों में 5.10 करोड़ और 8.31 करोड़ की एंट्री। जब कि पोर्टल पर सिर्फ 3.31 करोड़ की रसीदें दिखाई।
ट्रस्ट के कर्मियों को वेतन का भुगतान दिखाया लेकिन TDS गायब। भवन निर्माण के लिए 45.83 करोड़ का भुगतान दिखाया लेकिन TDS गायब।
ट्रस्ट पर 252 करोड़ का डिफॉल्ट पाया गया।
58 बिल्डिंग्स के निर्माण पर ट्रस्ट ने 418 करोड़ का खर्च दिखाया है जिसके सत्यता की जांच होगी।
आजम को नोटबंदी के दौरान 53 करोड़ के गिफ्ट मिले, ट्रस्ट को 50 करोड़ मिले। किसने दिए, इसकी भी जांच होगी।
जय सूर्यदेव।
सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करने से मिलता है मनचाहा वरदान...
हिंदू धर्म में सूर्य की आराधना का विशेष महत्व है। सूर्य देव एक ऐसे देवता हैं जो नियमित रूप से भक्तों को दर्शन देते हैं। मान्यता है कि सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए किसी बड़े अनुष्ठान या ख़ास पूजा की ज़रुरत नहीं पड़ती है। सिर्फ़ एक लोटा जल और सूर्य देव के मंत्रों के जाप से ही उनका आशीर्वाद पाया जा सकता है।
मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य देव मज़बूत हैं, तो उन्हें शुभ फल प्रदान करते हैं। समाज में यश और सम्मान की प्राप्ति होती है और साथ ही पिता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि सूर्य देव के इन 12 मंत्रों का जाप करने से मनचाहा आशीर्वाद मिलता है।
1. ॐ हृां मित्राय नम: सूर्य देव के इस पहले मंत्र के उच्चारण से अच्छी सेहत और कार्य करने की क्षमता का वरदान मिलता है। वहीं, कहते हैं कि सूर्य देवता की कृपा से हृदय की शक्ति बढ़ती है।
2. ॐ हृीं रवये नम: सूर्य देव के सामने खड़े होकर इस मंत्र का जाप करने से क्षय व्याधि दूर होती है। शरीर में रक्त का संचार ठीक रहता है और सांस आदि से जुड़े रोग दूर होते हैं।
3. ॐ हूं सूर्याय नम: सूर्य देव के इस मंत्र जाप से मानसिक शांति मिलती है। साथ ही ज्ञान में वृद्धि होती है।
4. ॐ ह्रां भानवे नम: इस मंत्र को जपने से धातु पुष्टि उत्पन्न होती है। मूत्राशय से जुड़ी बीमारियों का शमन होता है और शरीर में ओजस नामक तत्व का विकास होता है।
5. ॐ हृों खगाय नम: इस मंत्र को जपने से बुद्धि का विकास होता है और शरीर का बल बढ़ता है। इतना ही नहीं, मलाशय से संबंधित बीमारियां भी दूर होती हैं।
6. ॐ हृ: पूषणे नम: ज्योतिष के अनुसार इस मंत्र से मनुष्य का बल और धैर्य, दोनों बढ़ते हैं। सूर्य भगवान की कृपा से मनुष्य का मन धार्मिक विषयों में लगता है।
7. ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है। यह मंत्र छात्रों के लिए विशेष लाभदायक है। इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक शक्तियां विकसित होती हैं।
8. ॐ मरीचये नमः इससे मनुष्य को रोग आदि नहीं सताते। स्वास्थ्य उत्तम और शरीर की कान्ति बनी रहती है।
9. ॐ आदित्याय नमः इस मंत्र से दूसरे व्यक्तियों पर मनुष्य का प्रभाव बढ़ता है। बुद्धि प्रखर होती है और आर्थिक उन्नति होती है।
10. ॐ सवित्रे नमः इससे मनुष्य का यश बढ़ता है। सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और उसका बौद्धिक विकास होता है। इतना ही नहीं, उसकी कल्पना शक्ति बढ़ती है।
11. ॐ अर्काय नमः सूर्य के इस मंत्र जाप से मन दृढ़ होता है। जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं। वेदों और विभिन्न शास्त्रों के रहस्यों को जानने के लिए यह मंत्र बहुत लाभदायक है।
12. ॐ भास्कराय नमः इस से शरीर में वाह्य और आन्तरिक स्वच्छता उत्पन्न होती है। शरीर कांतिमय होता है और उसका मन प्रसन्न रहता है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य की कृपा पाने के लिए उन्हें नियमित रूप से अर्घ्य देकर इनमें से किसी एक मंत्र का जाप करें। इससे आपको सुख, समृद्धि और अच्छी सेहत का वरदान मिल सकता है।
जय सूर्यदेव, जय श्री राम, जय गोविंदा, जय श्री कृष्ण🙏🚩
नैंसी पटेल का दुपट्टा खींचने वाले शाहबाज और अरबाज के अब्बूजान का कहना है कि उनके 10 बेटे हैं। एक दो जेल चला भी गया तो क्या होगा। भारत में मुस्लिम आबादी कम बताई जाती है और हिंदू आबादी अधिक। ये देश बहुत बड़े संकट की ओर बढ़ रहा है। ये लोग सारे आर्थिक विकास पर कब्जा कर लेंगे या उसे नष्ट कर देंगे।
Max Fried dominates as Braves fight Dodgers, 6-3 | #eddie Rosario Jersey
महाराज दशरथ का जन्म एक बहुत ही अद्भुत घटना है।
पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि एक बार राजा अज दोपहर की वंदना कर रहे थे।
उस समय लंकापति रावण उनसे युद्ध करने के लिए आया और दूर से उनकी वंदना करना देख रहा था। राजा अज ने भगवान शिव की वंदना की और जल आगे अर्पित करने की जगह पीछे फेंक दिया।
यह देखकर रावण को बड़ा आश्चर्य हुआ। और वह युद्ध करने से पहले राजा अज के सामने पहुंचा तथा पूछने लगा कि हमेशा वंदना करने के पश्चात जल का अभिषेक आगे किया जाता है, न कि पीछे, इसके पीछे क्या कारण है। राजा अज ने कहा जब मैं आंखें बंद करके ध्यान मुद्रा में भगवान शिव की अर्चना कर रहा था, तभी मुझे यहां से एक योजन दूर जंगल में एक गाय घास चरती हुई दिखी और मैंने देखा कि एक सिंह उस पर आक्रमण करने वाला है तभी मैंने गाय की रक्षा के लिए जल का अभिषेक पीछे की तरफ किया।
रावण को यह बात सुनकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ।
रावण एक योजन दूर वहाँ गया और उसने देखा कि एक गाय हरी घास चर रही है जबकि शेर के पेट में कई वाण लगे हैं अब रावण को विश्वास हो गया कि जिस महापुरुष के जल से ही बाण बन जाते हैं और बिना किसी लक्ष्य साधन के लक्ष्य बेधन हो जाता है ऐसे वीर पुरुष को जीतना बड़ा ही असंभव है और वह उनसे बिना युद्ध किए ही लंका लौट जाता है।
एक बार राजा अज जंगल में भ्रमण करने के लिए गए थे तो उन्हें एक बहुत ही सुंदर सरोवर दिखाई दिया उस सरोवर में एक कमल का फूल था जो अति सुंदर प्रतीत हो रहा था।
उस कमल को प्राप्त करने के लिए राजा अज सरोवर में चले गए किंतु यह क्या राजा अज जितना भी उस कमल के पास जाते वह कमल उनसे उतना ही दूर हो जाता और राजा अज उस कमल को नहीं पकड़ पाया।
अंततः आकाशवाणी हुई कि हे राजन आप नि:संतान हैं आप इस कमल के योग्य नहीं है इस भविष्यवाणी ने राजा अज के हृदय में एक भयंकर घात किया था।
राजा अज अपने महल में लौट आए और चिंता ग्रस्त रहने लगे क्योंकि उन्हें संतान नहीं थी जबकि वह भगवान शिव के परम भक्त थे।
भगवान शिव ने उनकी इस चिंता को ध्यान में लिया। और उन्होंने धर्मराज को बुलाया और कहा तुम किसी ब्राह्मण को अयोध्या नगरी पहुँचाओ जिससे राजा अज को संतान की प्राप्ति के आसार हो।
दूर पार एक गरीब ब्राह्मण और ब्राह्मणी सरयू नदी के किनारे कुटिया बनाकर रहते थे।
एक दिन वे ब्राह्मण राजा अज के दरबार में गए और उनसे अपनी दुर्दशा का जिक्र कर भिक्षा मांगने लगे।
राजा अज ने अपने खजाने में से उन्हें सोने की अशर्फियां देनी चाही लेकिन ब्राह्मण नहीं कहते हुए मना कर दिया कि यह प्रजा का है आप अपने पास जो है, उसे दीजिए तब राजा अज ने अपने गले का हार उतारा और ब्राह्मण को देने लगे किंतु ब्राह्मण ने मना कर दिया कि यह भी प्रजा की ही संपत्ति है।
इस प्रकार राजा अज को बड़ा दुख हुआ कि आज एक गरीब ब्राह्मण उनके दरबार से खाली हाथ जा रहा है तब राजा अज शाम को एक मजदूर का बेश बनाते हैं और नगर में किसी काम के लिए निकल जाते हैं।
चलते चलते वह एक लौहार के यहाँ पहुंचते हैं और अपना परिचय बिना बताए ही वहां विनय कर काम करने लग जाते हैं पूरी रात को हथौड़े से लोहे का काम करते हैं जिसके बदले में उन्हें सुबह एक टका मिलता है।
राजा एक टका लेकर ब्राह्मण के घर पहुंचते हैं लेकिन वहां ब्राह्मण नहीं था उन्होंने वह एक टका ब्राह्मण की पत्नी को दे दिया और कहा कि इसे ब्राह्मण को दे देना। जब ब्राह्मण आया तो ब्राह्मण की पत्नी ने वह टका ब्राह्मण को दिया और ब्राह्मण ने उस टका को जमीन पर फेंक दिया तभी एक आश्चर्यजनक घटना हुई ब्राह्मण ने जहां टका फेंका था वहां गड्ढा हो गया ब्राह्मण ने उस गढ्ढे को और खोदा तो उसमें से सोने का एक रथ निकला तथा आसमान में चला गया इसके पश्चात ब्राह्मण ने और खोदा तो दूसरा सोने का रथ निकला और आसमान की तरफ चला गया इसी प्रकार से, नौ सोने के रथ निकले।
और आसमान की तरफ चले गए और जब दसवाँ रथ निकला तो उस पर एक बालक था और वह रथ जमीन पर आकर ठहर गया।
ब्राह्मण उस बालक को लेकर राजा अज के दरबार में पहुंचे और कहा राजन, इस पुत्र को स्वीकार कीजिए यह आपका ही पुत्र है जो एक टका से उत्पन्न हुआ है।
तथा इसके साथ में सोने के नौ रथ निकले जो आसमान में चले गए जबकि यह बालक दसवें रथ पर निकला इसलिए यह रथ तथा पुत्र आपका है। इस प्रकार से दशरथ जी का जन्म हुआ था।
महाराज दशरथ का असली नाम मनु था और ये दसों दिशाओं में अपना रथ लेकर जा सकते थे इसीलिए दशरथ नाम से प्रसिद्ध हुये..!!
जय श्री राम🙏⛳
श्री अनिल सिंह जी