Keşfedin MesajlarıKeşfet sayfamızdaki büyüleyici içeriği ve farklı bakış açılarını keşfedin. Yeni fikirleri ortaya çıkarın ve anlamlı konuşmalara katılın
Book a stay at Luxury Tents in Ranthambore to Experience Tranquility and Exploring Wildlife. Our Ranthambore Tent Resort is situated near Ranthambore National Park.
Visit us:- https://thejunglebookranthambore.com/
#junglebookresort #tentsinranthambore #hotelranthamboreresort #resort #ranthambore
We offer the Best Hotel Management Courses in Mumbai to understand the conceptual skills in operation & administrative management related to hospitality services.
Visit us :-https://www.theinspireacademy.....com/hotel-management
#travelandtourism #courses #academy #aviation #airhostess #travelgram #hotelmanagement #travelblogger
मुहम्मद बिन तुग़लक़ मध्यकालीन भारत का सबसे पढ़ा लिखा शासक है, वो हाफ़िज़ ए क़ुरान था, दीनी इल्म का जानकार था, अरबी फ़ारसी जानता था, दीनी किताबें पढता था, और उसे इतिहासकारों ने विलेन बना दिया आख़िर क्यों ??
इतनी अच्छाई होने के बावजूद भारतीय इतिहासकारों ने उसे 'सनकी बादशाह' और ' पागल बादशाह' का खिताब दिया आखिर क्यों ?
इसलिए नहीं कि उसने सांकेतिक मुद्रा शुरू की क्योंकि ऐसा करना उसके दूरदर्शी होने को बतलाता है |
इसलिए भी नहीं कि उसने अपनी राजधानी बदल दी क्योंकि बहुत से शासकों ने राजधानी बदली है |
उसे विलेन इसलिए भी नहीं बनाया गया की उसने मध्य एशिया पर चढ़ाई का सपना देखा क्योंकि अशोक तो मध्य एशिया तक भी पहुँच चुका था |
इतिहासकार उसे विलेन सिर्फ इसलिए दिखाते हैं क्योंकि उसने इस्लामी समानता को लागू करने की कोशिश की, छुआछूत और जातिवाद पर प्रहार किया और उसके द्वारा समानता के सिद्धान्त को लागू करने के कारण यहाँ के लोगों ने बड़ी तादाद में इस्लाम क़बूल किया |
इतिहासकारों ने मुहम्मद बिन तुग़लक़ को विलेन के रूप में इसलिए दिखाया है क्योंकि तुग़लक़ ने तेलंगाना के राजा रूद्र देव के एक नौकर जिसने निजामुद्दीन औलिया के हाथ पर इस्लाम क़बूल किया था उसे मुल्तान और बदायूं का गवर्नर बना दिया |
फिर एक गवय्ये को गुजरात, मुल्तान और बदायूं का हाकिम बना दिया |
एक माली को सिंध का वज़ीर बना दिया, एक ग़ुलाम को गुजरात का वज़ीर बना दिया, एक कलाल को मालवा का सरदार बना दिया |
हजाम, नानबाई और जुलाहे को अपना सलाहकार बना लिया और वज़ारत दी |
और उन सभी जातियों के लोगों को ऊँचा ऊँचा ओहदा दिया, उसके इस बर्ताव से प्रभावित होकर बहुत से लोगों ने इस्लाम क़बूल किया |
यही वो वजह है जिस कारण भारत के नस्लवादी इतिहासकार मुहम्मद बिन तुग़लक़ को विलेन बनाकर पेश करते हैं क्योंकि वो एक न्यायप्रिय राजा था |
दिलों की लाइब्रेरी।
एक जज़माना था जब इस्लामी देशों में बेहतरीन लाइब्रेरियां हुआ करती थीं। बग़दाद, गरनाता, असकंदरीया, रे ( आज का तेहरान ) नीशापुर, समरकंद, दमिश्क, कूफ़ा, बसरा बुखारा, मराकिश, ग़ज़नी, लाहौर और काश्ग़र आदि शहरों में बड़े बड़े कुतुबखाने मौजूद थे रिसर्च सेन्टर्स थे जहां रिसर्च का काम होता था अच्छी किताबों के लिखने पर पुरूस्कार मिलते थे।
उस जमाने में बड़े बड़े आलिम , वैज्ञानिक , फलसफी , इतिहास कार , अदीब व शायर हुए जिन्होंने बहुत कुछ लिखा और दुनिया को दिया , कुछ ने दस बीस किताबें लिखी किसी ने चालीस पचास।
फिर ज़माना पलटा , मंगोल व ततार आधी की तरह आए बादलों की तरह छा गए लाखों लोगों को कत्ल कर दिया शहर के शहर वीरान कर दिए गए लाइब्रेरियों को जला दिया गया मदरसों को बर्बाद कर दिया गया।
बहुत बुरा ज़माना था मुसीबतों के पहाड़ तोड़े गए थे लेकिन मुसलमान एक जिंदा कौम है वह हालात से घबराने वाले नहीं हैं मुसलमानों ने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया , और जुट गए इस नुकसान की भरपाई के लिए।
पहले एक लेखक बीस किताबें लिखता था अब के लेखक दो सौ लिखने लगे पहले तीस किताबों का तर्जुमा करता था अब तीन सौ किताबों का तर्जुमा करने लगे इस दौर में ऐसे विद्वान भी हुए जिन्होंने पांच सौ किताबें तक लिखीं , ऐसे लोग भी थे कि जब उनकी उम्र और उनके द्वारा लिखी गई किताबों के पेजों का हिसाब लगाया गया तो एक दिन में दस पेज लिखने का औसत निकला।
अल्लामा इबनुल जोज़ी , इमाम इब्ने तैमिया , इब्ने कय्यिम , इब्ने कसीर , इब्ने असीर , सुयोती , इब्ने खलदून , ज़हबी , सुबकी , इब्ने हज्र असकलानी , अलऐनी , अबुल इज़्ज अब्दुस्सलाम , तकीद्दीन शामी , नसीरुद्दीन तूसी जैसे कितने नाम हैं जो चंगेज खान व हलाकू के जमाने में या उसके तुरंत बाद पैदा हुए और अपने इल्म से हर नुकसान की तलाफी कर दी मकानों से कुतुबखाने मिटा दिए गए तो दिलों में कुतुबखाने बना लिए।
मुसलमान हारने वाली कौम नहीं है इतिहास गवाह है मुसलमान की डिक्शनरी में मायूसी शब्द नहीं है जिन परिस्थितियों में दूसरे लोग टूट कर बिखर जाते हैं उन्हीं परिस्थितियों में मुस्लमान पहले से ज्यादा ताकत से उठ खड़े होते हैं ऐसा एक बार नहीं बार-बार हुआ है हम ने खुद को साबित किया है।