Ontdekken postsOntdek boeiende inhoud en diverse perspectieven op onze Ontdek-pagina. Ontdek nieuwe ideeën en voer zinvolle gesprekken
Make your celebration more fun with Cartoon Cakes from TF Cakes.
Looking for a fun and whimsical way to celebrate your special occasion? Look no further than TF Cakes!
https://tfcakes.in/by-type/cak....es-by-type/cartoon-c
🚀 Hire #blockchain Developer to Launch your blockchain Business & Grab your next high-level opportunity. 🔥
Get the cutting-edge & #web3 world of blockchain development Services from BlockchainAppsDeveloper.
with the huge growth of the blockchain ecosystem, rapid opportunities anticipate skilled of our #blockchiandevelopers.
Visit our sites- https://www.blockchainappsdeveloper.com/
#blockchain #nft #defi #dapps #casinogames #metaverse #smartcontracts #erc20 #bep20 #cryptocurrency #blockchaintechnology #hiring #blockchaindevelopment #vietnam #digitalassets #nfts #decentralizedapplications #blockchainrevolution
मध्यप्रदेश में आगर मालवा नाम का एक जिला है।
वहाँ के न्यायालय में सन 1932 ई. में जयनारायण शर्मा नाम के वकील थे। उन्हें लोग आदर से बापजी कहते थे। वकील साहब बड़े ही धार्मिक स्वभाव के थे और रोज प्रातःकाल उठकर स्नान करने के बाद स्थानीय बैजनाथ मन्दिर में जाकर बड़ी देर तक पूजा व ध्यान करते थे। इसके बाद वे वहीं से सीधे कचहरी जाते थे।
घटना के दिन बापजी का मन ध्यान में इतना लीन हो गया कि उन्हें समय का कोई ध्यान ही नहीं रहा। जब उनका ध्यान टूटा तब वे यह देखकर सन्न रह गये कि दिन के तीन बज गये थे। वे परेशान हो गये, क्योंकि उस दिन उनका एक बहुत जरूरी केस बहस में लगा था और सम्बन्धित जज बहुत ही कठोर स्वभाव का था। इस बात की पूरी सम्भावना थी कि उनके मुवक्किल का नुकसान हो गया हो। ये बातें सोचते हुए बापजी न्यायालय पहुँचे और जज साहब से मिलकर निवेदन किया कि यदि उस केस में निर्णय न हुआ हो तो बहस के लिए अगली तारीख दे दें।
जज साहब ने आश्चर्य से कहा ”यह क्या कह रहे हैं। सुबह आपने इतनी अच्छी बहस की। मैंने आपके पक्ष में निर्णय भी दे दिया और अब आप बहस के लिए समय ले रहे हैं।"
जब बापजी ने कहा कि मैं तो था ही नहीं, तब जजसाहब ने फाइल मँगवाकर उन्हें दिखायी। देखकर वह सन्न रह गये कि उनके हस्ताक्षर भी उस फाइल पर बने थे। न्यायालय के कर्मचारियों, साथी वकीलों और स्वयं मुवक्किल ने भी बताया कि आप सुबह सुबह ही न्यायालय आ गये थे और अभी थोड़ी देर पहले ही आप यहाँ से निकले हैं।
बापजी की समझ में आ गया कि उनके रूप में कौन आया था। उन्होंने उसी दिन संन्यास ले लिया और फिर कभी न्यायालय या अपने घर नहीं आये।
इस घटना की चर्चा अभी भी आगर मालवा के निवासियों और विशेष रूप से वकीलों तथा न्यायालय से सम्बन्ध रखनेवाले लोगों में होती है। न्यायालय परिसर में बापजी की प्रतिमा स्थापित की गयी है। न्यायालय के उस कक्ष में बापजी का चित्र अभी भी लगा हुआ है जिसमें कभी भगवान बापजी का वेश धरकर आये थे। यही नहीं लोग उस फाइल की प्रतिलिपि कराकर ले जाते हैं जिसमें बापजी के रूप मे आये भगवान ने हस्ताक्षर किये थे, और उसकी पूजा करते हैं।।