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पढ़ाई में मन कैसे लगाएं ?
लाइफ में अगर आपको एक महान यानि सफल इंसान बनना है । तो आपको मन लगा के पढना होगा उसके लिए आपको अपने तरफ से एक अच्छी पढाई पढनी होगी अब ऐसे में जब आपका पढ़ाई में मन ही नहीं लगता तो आप एक अच्छी पढाई कैसे कर सकते है तो मैं आपको इस पोस्ट में बताऊंगा की किस तरह आप अपनी पढाई में दिल लगा के पढ़ सकते है और इसको अपनी एक आदत बना सकते है।
आज कल स्कूल कोलेजो में पढाई में इतना कॉम्पीटीसन है की अगर आप 40% या 50% मार्क्स से पास होते हो तो आपको कोई नहीं पूछता कॉलेज में एडमिशन के लिए भी आपको हाई परसेंटेज(%) चाहिए वरना आपको कोई भी कॉलेज एडमिशन नहीं देता हा वो बात अलग है की आप डोनेशन देके कॉलेज में एडमिशन ले लो तो ऐसे में आप जब तक पढाई को मन लगाके नहीं पढोगे तो आपका पढना बेकार है तो चलिए में आपको अच्छी पढाई करने के फायदे और नुकसान के बारे में थोडा सा बता देता हु और कैसे आप पढाई में मन लगा सकते है।
➡️पढाई में मन लगाके पढने के फायदे:—
1.अगर आप किसी किताबो को अच्छे से और मन लगाके पढ़ते हो तो आपको वो किताब जो पढ़ रहे है उसे पढने में रूचि आने लगेगा और फिर आपको जल्दी समझ आने लगेगा .
2.अगर आप ध्यान लगाके पढ़ते हो तो आपको कोई भी टॉपिक जल्दी याद होगा I
3.आपको नींद नहीं लगेगी जब आप ध्यान से पढेंगे तो ।
पढाई में मन लगाके ना पढने के नुकसान:—
1.अगर आप पढ़ते वक्त ध्यान से नहीं पढोगे तो जो आपने याद किया वो आप अगले दिन भूल जाओगे ।
2.अगर आप पढ़ते वक्त इधर उधर देखोगे या ध्यान से नहीं पढोगे तो आपको पढाई बोअरिंग (Boring) लगने लगेगा
3.आप जो पढ़ रहे है उसे याद करने या समझने में टाइम लगेगा
4.अगर ध्यान लगाके नहीं पढोगे तो आपको नींद आना शुरू हो जायेगा
तो अब आप दोनों के बीच में अंतर देख सकते है तो अगर आप जब पढ़ रहे है अगर उस वक्त आपने पढाई में ध्यान नहीं लगाया तो आपको क्या क्या नुकशान हो सकते है तो नुशान सहने से अच्छा है की पढ़ते वक्त हम अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ पढाई में लगाये।
➡️पढाई में मन लगाने के तरीके
1.टाइम टेबल (Time Table) बनाये पढ़ने के लिए
टाइम टेबल बनाके पढ़ने के फायदे :-
•जब आप टाइम टेबल बनाके पढेंगे तो आपको पता होगा की कब क्या पढना है
•टाइम को मैनेज कर पाएंगे
➡️2.ग्रुप बनाके पढ़े (Group Study)
ग्रुप स्टडी करने के फायदे :—
•पढ़ते वक्त कभी बोर नहीं होगे
•जल्दी समझ में आएगा।
•प्रॉब्लम शेयर और डिसकस(discuss) कर सकते हो।
3.हमेसा नोट्स बनाके पढ़े
नोट्स पढने के फायदे:—
•रिवीजन के लिए बेस्ट होता है
•एग्जाम में मदद करता है
•टाइम बचाता है
4.पढाई के लिए एक जगह चुने
5.पढाई का सारा सामान पढ़ते वक्त अपने पास रखे ।
पढ़ाई में मन लगाने के लिए सबसे जरूरी चीज है कि अपने सब्जेक्ट में किसी भी तरह आप अपनी रुचि जागृत करें।
एक बार आपकी रुचि उस सब्जेक्ट में जागृत हो गई तो फिर बहुत सब्जेक्ट आपको कभी भी बोरिंग नहीं लगेगा।
हमेशा कोशिश करें कि आप सब्जेक्ट की प्रैक्टिकल एप्लीकेबिलिटी को जरूर जाने। चीजें कैसे होती हैं जानने से पहले वह क्यों होती है यह जानना जरूरी है।
कभी कभी जब हमें कोई फार्मूला समझ में नहीं आता तब हम उसे सीधा सीधा रट लेते हैं। यह बहुत ही गलत तरीका होता है।
जिस भी सब्जेक्ट को पढ़ें उसे पूरे तरीके से एक्सप्लोर करे और उससे जुड़े सारे रोचक तथ्य पढ़ें। छोटे-छोटे प्रयोग करें और कॉन्सेप्ट्स को पूरी तरीके से समझे। ऐसा करने से आपको सारे कॉन्सेप्ट्स सही तरीके से समझ आ जाएंगे और लंबे समय तक याद रहेंगे।
जब भी पढ़ाई करें ग्रुप में पढ़ाई करें और उसे ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ डिस्कस करें। ऐसा करने से आपको अपनी पढ़ाई बोरिंग नहीं लगेगी।
सोशल नेटवर्किंग के लिए समय निर्धारित करें। हर वक्त सोशल नेटवर्क इस्तेमाल करने से आपका ध्यान भंग होता है।
पढ़ाई के बीच अगर ब्रेक लेना हो तो उस समय थोड़ी एक्सरसाइज कर ले और बॉडी को हाइड्रेट करने की कोशिश करें।
पढ़ते वक्त हमेशा अपने मोबाइल को अपने पास से दूर किसी सेफ जगह पर रखें जहां पर आप बार-बार ना जाते हो। ऐसा करने से आपका ध्यान कम भंग होगा।
अगर आपको पीडीएफ पढ़ने हो या माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस पर काम करना हो तो सिर्फ लैपटॉप का प्रयोग करें मोबाइल प्रयोग करने की कोशिश ना करें। मोबाइल पर आपका मन ज्यादा भटकता है

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एक युद्ध ऐसा है जो लगभग समान वीर, युद्धप्रवीण लोगों के बीच हो तो इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता कि यह युद्ध कितने समय तक चलेगा और कौन जीतेगा।
लेकिन एक घटना ऐसी घटे कि यह युद्ध एक दिन में खत्म हो सकता है।
जो करना है वह भी यह नहीं है कि दूसरे पक्ष को पराजित करना है। अपने पक्ष के एक योद्धा को बस एक दिन के लिये बचा लेना है।
यह है महाभारत का 14वां दिन।
यदि आज कौरव जयद्रथ को बचा ले तो उनकी विजय निश्चित है। अर्जुन आत्मदाह कर लेंगे उनके अतिरिक्त कोई सामना कर नहीं सकता।
यह जो ग्राफिक्स है....
वह द्रोण की व्यूहरचना है! इसमें दस लाख सैनिक और दस हजार योद्धा हैं। मेरे पुराने नोट्स से मिल गया।
चक्रश्टक — सबसे बाहरी सुरक्षा चक्र था। वह रथ के पहिया जैसा था जिसका व्यास 20 कोस था। रथी और सैनिकों का संयोजन ऐसे किया गया था।
उसके अंदर कमलचक्र था। जो कमल के पत्र जैसा घना था। यहाँ और भी बलशाली सैनिक और अर्धरथी थे। यह 12 कोस में था।
सबसे अंदर सुचिव्यूह था जो दो कोस में फैला था। जिसमें कौरव सेना के प्रमुख योद्धा थे। बीच में जयद्रथ था।
इतना भयानक, विनाशकारी युद्ध इस एक दिन में हुआ कि जो सभी दिनों पर भारी था।
इस दिन भीम की वीरता और बल का परिचय मिलता है। उन्होंने दुर्योधन के 24 भाइयों को मार दिया था।
लेकिन अर्जुन तो फिर अर्जुन ही हैं। वह इस व्युह को तोड़कर अंदर चले गये थे। जब भगवान की माया से जयद्रथ सुचिचक्र से बाहर आ गया, अर्जुन ने मार दिया।
उस काल में युद्धकला कितनी विकसित थी। द्रोणाचार्य किस स्तर के गुरु थे और अर्जुन कितना महान योद्धा है।
65 और 71 के युद्ध में कमलचक्र का प्रयोग हुआ था।
कभी कभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिये SPG भी इसका अनुसरण करती है।
मनुष्य के इतिहास में इसे सबसे सर्वोत्तम सुरक्षा चक्र कहा जाता है।।

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बहादुरी और मूर्खता में
बहुत पतली रेखा है।
न्यूज़ चैनलों और बुध्दिजीवियों
को देखिये तो वह इस पतली रेखा
को मिटाकर मूर्खता को बहादुरी
बता रहे है।
भारतीय इतिहास में अपने
जनमानस के सामूहिक नरंसहार
को बचाने के लिये वीर योद्धाओं
ने समझौते किये,अपना जीवन
तक अर्पित कर दिया।
#वामी_इतिहासकार उसके
महत्व को समझ न पाये।
विश्व इतिहास में सबसे महानतम
योद्धाओं में एक नाम महाराणा
प्रताप का है।
वीरता और बुद्धिमत्ता
के साक्षात देव थे।
उनके सामने जो दुश्मन था वह
उस काल का सबसे शक्तिशाली
शासक था।
रूस,यूक्रेन में जितना अंतर है,
उससे अधिक अंतर था।
25 : 1 का अनुपात था अकबर
और राणा कि सेनाओं में।
अकबर की तोप खानों से सुसज्जित
एक लाख की सेना उनके सामने है।
उनके साथ 15-20 हजार सैनिक है।
उसमें से एक चौथाई कोल भील है।
इसके लिये उन्होंने रणनीति बनाई,
ऐसा स्थान चुना जँहा बहुत बड़ी
संख्या में सैनिक हमला न कर सकें।
उनको घेर कर मारा जा सके।
हल्दीघाटी !
यह वही सकरा स्थान जिसका नाम
भारत का हर व्यक्ति जानता है।
मुगलों के सभी दुर्दांत लड़ाके
हल्दीघाटी में मारे गये।
इस युद्ध में इतने मुगल सैनिक मारे
गये कि अकबर में राणा का भय घर
कर गया।
उसने कभी भी सामने आकर
युद्ध नहीं किया।
राणा प्रताप कभी पराजित नहीं हुये।
वह वीरता,रणनीति के प्रतीक है।
जिसे बहादुरी और मूर्खता में अंतर
समझ न आये उन्हें देवपुरुष राणा
प्रताप को अध्ययन करना चाहिये।

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सिर उठातीं भारत तोड़ो शक्तियां
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(आज दिनांक 11 मार्च 2023 को दैनिक जागरण में प्रकाशित मेरा यह लेख.)
🌸

देश में आतंकी विभाजनकारी शक्तियां सक्रियता की दिशा में आगे बढ़ती दिख रही हैं. बस्तर क्षेत्र में कुछ ही दिनों पहले सेना के एक जवान मोतीराम अंचला सहित सात सुरक्षाकर्मियों की माओवादियों द्वारा हत्या की जा चुकी है. कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं का क्रम बावजूद इसके कि पाकिस्तान के बुरे हाल हैं, रुकता नहीं दिख रहा है. इसी कड़ी मेंं एक कश्मीरी संजीव शर्मा की हत्या कर दी गयी है. तीसरा, पंजाब के हालात भी बिगड़ने लगे हैं. भिंडरावाले के जिस भूत को हम अपनी समझ में कहीं गहरे दबा आए थे, वह नये सिरे से सर उठाता दिख रहा है. कृषि आंदोलन के बाद से ऐसा अहसास हो रहा था कि कृषि आंदोलन के पीछे जो विदेशी प्रायोजक खड़े हैं उनका अगला कदम नये एजेंडे के साथ पंजाब में अस्थिरता, अलगाववादी सोच का माहौल बनाना, हो सकता है. तब से अब तक के इस समय का उपयोग उन्होंने नये नेतृत्व की खोज व उसको तैयार करने में लगाया है. आज अमृतपाल उसी अभियान का प्रतिफल है. लेफ्ट लिबरल लाबी, मुख्य भारत की साम्प्रदायिक शक्तियां व कश्मीरी अलगाववादियों में एक साथ सक्रियता का संचार होता दिख रहा है. ऐसा आभास हो रहा है कि इन तीनों राष्ट्रविरोधी शक्तियों में सामंजस्य स्थापित होने का कार्य पूर्ण हो चुका है. संभवतः राज्यों व केंद्रीय सरकार की प्रतिक्रियाओं का जायजा लेने के लिए तीन अलग अलग क्षेत्रों में ये मौसमी बैलून छोड़े गये हैं.

स्व. जनरल रावत ने एक बार कहा था कि आज परिस्थितियां ऐसी हो रही हैं कि देश को 2.5 मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार रहना होगा. तो यह जो 0.5 का मोर्चा है वही माओवादियों, अलगाववादियों, जेहादियों का संयुक्त आंतरिक गठजोड़ है जो राष्ट्रशत्रुओं में समन्वय कर उन्हें एक संयुक्त युद्धक शक्ति बना रहा है. जैसा कि हम देखते हैं, इसे मीडिया के एक बड़े समूह का प्रश्रय मिला हुआ है. वाम, साम्प्रदायिक दक्षिणीपंथी दोनों प्रकार की वैचारिकता की आड़ लिये हुए प्रारंभ से ही इन लोगों का लक्ष्य भारत का विभाजन है अतः वे बीबीसी डाक्यूमेंट्री, जार्ज सोरोस से लेकर बस्तर में हत्याओं तक देशी विदेशी हर प्रकार के प्लेटफार्म पर वे अपनी रणनैतिक पहल करते देखे जा रहे हैं. एक अरसे से यह समूह हिंदू राष्ट्र, हिंदुत्व के विचार को कटघरे में खड़ा कर रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्वहिंदू परिषद् जैसे संगठनों को रक्षात्मक बनाने का प्रयास इनकी रणनीति का महत्वपूर्ण भाग है. इनके देशी विदेशी एजेंटों ने यह काम प्रारंभ कर भी दिया है. भारत में तो हमने हिंदू आस्था के आधार रामचरित मानस पर हो रहा आक्रमण देखा है. दूसरी ओर ब्रिटेन आस्ट्रेलिया के मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है. देखा जाये तो बिना किसी कारण के अचानक यह बिंदु इस समय में उभरने का कोई औचित्य बनता ही नहीं दिखता लेकिन तार दूर दूर तक जुड़े हैं. हिंदू को अक्षम असहाय दिखाना मनोबल तोड़ना भी लक्ष्य है. यह भारत विखंडन की टूलकिट के प्रारंभिक कदम हैं. स्वामी प्रसाद मौर्या का नया रामचरित मानस विरोधी विमर्श व एक समूह द्वारा मानस की प्रतियां जलाना और उधर ब्रिसबेन आस्ट्रेलिया में मंदिर में तोड़फोड़ करना आस्था पर आक्रमण की कोई अचानक स्वतःस्फूर्त घटना न होकर एक बड़ी योजना का एक हिस्सा भर है. 'भारत तोड़ो' शक्तियों ने राष्ट्रीय शक्तियों को उनके अपने मैदान पर उनकी योजनानुसार खेलने को आमंत्रित किया है. प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध बीबीसी की डाक्यूमेंट्री फिर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का संयुक्त तूफान भारत के अर्थतंत्र को अक्षम करने की योजना का हिस्सा है. लोकसभा में विपक्षी दलों का सामान्य शालीनताओं को अतिक्रमित करता हुआ अप्रत्याशित व्यवहार भी ऐसी ही कहानी कहता है. आक्टोपस का एक मस्तिष्क व बहुत से हाथ होते हैं. वे हाथ एक एक करके सक्रिय होते जा रहे हैं.

पाकिस्तान के पास धन नहीं है लेकिन आतंकवादी एजेंसियां, पर्याप्त आतंकी मानव संसाधन, हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकवादी सरगना तो हैं ही. धन की व्यवस्था भारत विरोधी धनाढ्य अन्तर्राष्ट्रीय षड़यंत्रकारियों, कतिपय विदेशी सरकारों द्वारा होने के प्रमाण तो मिल ही रहे हैं.
हमने अब तक चाहे वह पंजाब की आतंकवादी समस्या रही हो या कट्टर कश्मीरी आतंकवाद व पीएफआई जेहादी अभियानों की, पहल हमेशा इन आतंकी, विभाजनकारी शक्तियों के हाथों में ही दे रखी है. राज्य अब तक मात्र प्रतिक्रिया ही देता रहा है. हम चाहें तो इसका दोष राज्यों में सत्ता लोभी राजनीति को दें लेकिन पंजाब में आप, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, बंगाल में टीएमसी के केंद्रीय सरकार के धुर विरोध का लाभ अंततः इन विभाजनकारी शक्तियों को ही मिल रहा है.

2014 के बाद से जिन क्षेत्रों में केंद्र ने पहल करनी प्रारंभ की है वहां सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. राष्ट्रविरोधी संगठन पीएफआई के सम्बंध में हमने देखा है कि इससे पहले कि वे अपने आक्रमण प्रारंभ कर सकें, केंद्र सरकार ने उन के हथियार रखवा कर उन्हें फिलहाल अक्षम कर दिया है. अब परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रशत्रुओं के आगामी अभियान में उनका एक सशक्त भागीदार, खेल प्रारंभ होने पहले ही मैदान से ही बाहर हो गया है. उनका देश को 2047 तक धर्मांतरित कराने की योजना आम हो कर सड़क पर आ गयी है. इन सब गतिविधियों से संकेत मिलता है कि 2024 के चुनाव का लक्ष्य लेकर चलने वाला टूलकिट लांच हो गया है और शतरंज के सभी मोहरे उसी के अनुसार चलाए जा रहे हैं.

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जब भारत ने यह घोषणा किया कि G20 कि बैठकें 250 शहरों में होग़ी तो विदेशों में लोग हैरान रह गये की क्या भारत के पास ऐसे 250 शहर है।
लेकिन जब उसकी लिस्ट भेजी गई तो वह सभी सुविधाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर, हवाई पट्टी, मेट्रो सब कुछ थे।
विषम परिस्थितियों में भारत का विकास आश्चर्यजनक है। आज हाइवे के मामलों में विश्व मे दूसरे स्थान पर पहुँच गया। सबसे अधिक मेट्रो निर्माण, मोबाइल निर्माण, साफ्टवेयर, मेडिसिन भारत ने बनाये है।
भारत का सौभाग्य है जब चीन से दुनिया का मोहभंग हो रहा था। उसी समय एक स्थिर , दूरदर्शी सत्ता थी। जिसने राष्ट्र के लाभ को सबसे उपर रखा।
अब इसी का एक दूसरा पक्ष है। जब भारत के छात्र बड़ी बड़ी कम्पनियों के CEO बन रहे है। अन्य देशों मे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री चुने जा रहे है तो भारत में खानदानी नेता कुंडली मारकर राजनीति पर बैठे है। यह तीस वर्ष पुरानी राजनीति को ढो रहे है। इसमें से अधिकतर भ्र्ष्ट है।
यह भारत के लोगों को तय करना है कि उनको आगे जाना है या पीछे जाना है।
जब राष्ट्र उन्नति करता है तो हर क्षेत्र में उन्नति होती है। हर क्षेत्र मजबूत होता, तकनीकी का विस्तार होता है।
ऐसे समय में कोई कैसे सोच सकता है कि NIA, CBI , ED मजबूत नहीं होगी। वह इसलिये भी कि उनके पास सूचना के तंत्र विकसित हुये है।
भ्र्ष्ट नेतागण सोच रहे है उनके खिलाफ जाँच एजेंसी काम कर रही है। इनको यह पता नहीं है कि तुम्हारी एक एक कौड़ी कि सूचना उनके पास है। जो पहले नहीं हुआ करती थी।
मान लीजिये आप अधिकारी हो, आपके सामने कम्प्यूटर में डाटा आ रहा है।
जब नई शराब नीति नहीं थी तो दिल्ली सरकार को 12 हजार करोड़ मिलते थे, और ठेकेदारों को 3 हजार करोड़।
नई नीति के बाद दिल्ली सरकार को 300 करोड़ मिल रहे है, और ठेकेदारों को 15 हजार करोड़।
दिमाग घूम जायेगा कि ये कौन सी नीति है जिसमें सरकार को इतना बड़ा घाटा हो रहा है। जबकि बिक्री, उत्पाद सब बढ़ गये।
शाम को CBI पहुँची मनीष दद्दा को उठा लिया।
यही डाटा आज के 10 वर्ष पूर्व का होता तो 25 साल बाद पता चलता था। तब तक पता नहीं कितने अधिकारी बदलते और नेतृत्व बदल जाता था।
अब बच पाना असंभव सा है। यह अनिवार्यता भी है कि भारत जिस तरह से तेजी से बदल रहा है उसको खतरा भी उतना अधिक है।।

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जब भारत ने यह घोषणा किया कि G20 कि बैठकें 250 शहरों में होग़ी तो विदेशों में लोग हैरान रह गये की क्या भारत के पास ऐसे 250 शहर है।
लेकिन जब उसकी लिस्ट भेजी गई तो वह सभी सुविधाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर, हवाई पट्टी, मेट्रो सब कुछ थे।
विषम परिस्थितियों में भारत का विकास आश्चर्यजनक है। आज हाइवे के मामलों में विश्व मे दूसरे स्थान पर पहुँच गया। सबसे अधिक मेट्रो निर्माण, मोबाइल निर्माण, साफ्टवेयर, मेडिसिन भारत ने बनाये है।
भारत का सौभाग्य है जब चीन से दुनिया का मोहभंग हो रहा था। उसी समय एक स्थिर , दूरदर्शी सत्ता थी। जिसने राष्ट्र के लाभ को सबसे उपर रखा।
अब इसी का एक दूसरा पक्ष है। जब भारत के छात्र बड़ी बड़ी कम्पनियों के CEO बन रहे है। अन्य देशों मे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री चुने जा रहे है तो भारत में खानदानी नेता कुंडली मारकर राजनीति पर बैठे है। यह तीस वर्ष पुरानी राजनीति को ढो रहे है। इसमें से अधिकतर भ्र्ष्ट है।
यह भारत के लोगों को तय करना है कि उनको आगे जाना है या पीछे जाना है।
जब राष्ट्र उन्नति करता है तो हर क्षेत्र में उन्नति होती है। हर क्षेत्र मजबूत होता, तकनीकी का विस्तार होता है।
ऐसे समय में कोई कैसे सोच सकता है कि NIA, CBI , ED मजबूत नहीं होगी। वह इसलिये भी कि उनके पास सूचना के तंत्र विकसित हुये है।
भ्र्ष्ट नेतागण सोच रहे है उनके खिलाफ जाँच एजेंसी काम कर रही है। इनको यह पता नहीं है कि तुम्हारी एक एक कौड़ी कि सूचना उनके पास है। जो पहले नहीं हुआ करती थी।
मान लीजिये आप अधिकारी हो, आपके सामने कम्प्यूटर में डाटा आ रहा है।
जब नई शराब नीति नहीं थी तो दिल्ली सरकार को 12 हजार करोड़ मिलते थे, और ठेकेदारों को 3 हजार करोड़।
नई नीति के बाद दिल्ली सरकार को 300 करोड़ मिल रहे है, और ठेकेदारों को 15 हजार करोड़।
दिमाग घूम जायेगा कि ये कौन सी नीति है जिसमें सरकार को इतना बड़ा घाटा हो रहा है। जबकि बिक्री, उत्पाद सब बढ़ गये।
शाम को CBI पहुँची मनीष दद्दा को उठा लिया।
यही डाटा आज के 10 वर्ष पूर्व का होता तो 25 साल बाद पता चलता था। तब तक पता नहीं कितने अधिकारी बदलते और नेतृत्व बदल जाता था।
अब बच पाना असंभव सा है। यह अनिवार्यता भी है कि भारत जिस तरह से तेजी से बदल रहा है। उसको खतरा भी उतना अधिक है।।
Ravishankar Singh

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भारतीय दर्शन क्या कहता है। उसको समझने में बड़ी भूल हो जाती है।
यह क्रमिक विकास है, न कि कोई स्थूल विचार है।
किसी भी शास्त्र या दर्शन या आचार्य को सुनने के पूर्व या बाद में निर्णय लेने से पहले यह समझना होगा।
यह प्रयास कर रहा हूँ। इससे सरलता से समझा जा सकता है।
जैसे एक मंदिर है।
उस मंदिर में चप्पल पहनकर नहीं जा सकते है।
उस मंदिर का प्रबन्धनकर्ता, इसे लागू करने के लिये तख्ती लिखकर ढांग सकता है।
चप्पल पहनकर जाना वर्जित है।
या एक गार्ड खड़ा कर दे जो चप्पल पहनकर जो जाते है, उसे रोक दे।
भारतिय दर्शन इसे उत्तम उपाय नहीं कहता है। नियम बनाकर मूल्य पैदा नहीं किये जाते है। हृदय परिवर्तन न हुआ तो नियमो का कोई अर्थ नहीं है।
' मंदिर के प्रति लोगों में आस्था, भक्ति पैदा करिये जिससे लोग स्वतः ही चप्पल पहनकर अंदर न जाय। '
धर्म नियम बनाकर विकसित नहीं होता, हृदय में जागृति पैदा करने से होता है।
तख्ती लगाना, गार्ड लगाना सरल उपाय है। इसका कोई मूल्य भी नहीं है।
कभी तख्ती नहीं रही या गार्ड न रहा तो लोग चप्पल पहनकर घुस जायेंगे। लेकिन यदि मंदिर के प्रति आस्था है, श्रद्धा है तो किसी तख्ती या गार्ड कि आवश्यकता नहीं है।
बहुत सारे लोग तख्ती, गार्ड पर अटके हुये है। वह उसे निषेध और अनुमति के रूप में देखते है।
सदाचार से पहले धर्म है।
धर्म पाने के लिये सदाचार नहीं चाहिये।
धर्म होगा तो सदाचार स्वतः आ जायेगा।
--------जारी है।