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श्री हरि विष्णु की विश्व की सबसे ऊंची यह मूर्ति भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया में है।
एक समय हिन्दू बहुल इस देश मे हमारी सनातन संस्कृति और धर्म के चिन्ह और उनके साक्ष्य हर और बिखरे हुए थे। किन्तु समय के साथ कम होते होते अब यह बहुत सीमित है।
इस समय इंडोनेशिया में हिंदुओं की संख्या 2% से भी कम है।
यहाँ के 17 हजार से अधिक द्वीप समूहों में बाली ही एकमात्र द्वीप है, जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं।
लेकिन इन दिनों जिस प्रकार से यहां के लोग फिर से हिन्दू धर्म में लौट रहे हैं, यह सम्पूर्ण विश्व के लिये किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
इंडोनेशिया के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति सुकर्णो की पुत्री सुकमावती ने 26 अक्टूबर 2021 को जैसे ही हिन्दू धर्म अपनाया, भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में इंडोनेशिया सुर्खियाँ बटोरने लगा।
आने वाला समय यहां पर एक नया इतिहास लिखेगा...यह तय है।
गर्वित सनातन🙏🌼
श्री हरि विष्णु की विश्व की सबसे ऊंची यह मूर्ति भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया में है।
एक समय हिन्दू बहुल इस देश मे हमारी सनातन संस्कृति और धर्म के चिन्ह और उनके साक्ष्य हर और बिखरे हुए थे। किन्तु समय के साथ कम होते होते अब यह बहुत सीमित है।
इस समय इंडोनेशिया में हिंदुओं की संख्या 2% से भी कम है।
यहाँ के 17 हजार से अधिक द्वीप समूहों में बाली ही एकमात्र द्वीप है, जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं।
लेकिन इन दिनों जिस प्रकार से यहां के लोग फिर से हिन्दू धर्म में लौट रहे हैं, यह सम्पूर्ण विश्व के लिये किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
इंडोनेशिया के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति सुकर्णो की पुत्री सुकमावती ने 26 अक्टूबर 2021 को जैसे ही हिन्दू धर्म अपनाया, भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में इंडोनेशिया सुर्खियाँ बटोरने लगा।
आने वाला समय यहां पर एक नया इतिहास लिखेगा...यह तय है।
गर्वित सनातन🙏🌼
श्री हरि विष्णु की विश्व की सबसे ऊंची यह मूर्ति भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया में है।
एक समय हिन्दू बहुल इस देश मे हमारी सनातन संस्कृति और धर्म के चिन्ह और उनके साक्ष्य हर और बिखरे हुए थे। किन्तु समय के साथ कम होते होते अब यह बहुत सीमित है।
इस समय इंडोनेशिया में हिंदुओं की संख्या 2% से भी कम है।
यहाँ के 17 हजार से अधिक द्वीप समूहों में बाली ही एकमात्र द्वीप है, जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं।
लेकिन इन दिनों जिस प्रकार से यहां के लोग फिर से हिन्दू धर्म में लौट रहे हैं, यह सम्पूर्ण विश्व के लिये किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
इंडोनेशिया के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति सुकर्णो की पुत्री सुकमावती ने 26 अक्टूबर 2021 को जैसे ही हिन्दू धर्म अपनाया, भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में इंडोनेशिया सुर्खियाँ बटोरने लगा।
आने वाला समय यहां पर एक नया इतिहास लिखेगा...यह तय है।
गर्वित सनातन🙏🌼
शिवरात्रि हो या होली हर बार भांग पीने के मौके बन जाते हैं, पर कभी भी पीने की हिम्मत न हुई।
बचपन मे अपने भाई को देखा था एक बार किसी ने उसे भांग पिला दी...भईया उसका जो हाल हुआ था...हँस रहा तो हँसता रहा, तो कभी खुद बाइक बन कर ब्रूम ब्रूम कर के पूरे घर मे दौड़ता रहा तो कभी हम सब को डांट लगाता रहा। कभी कहता....'एक एक पत्ता हिल रहा तो मुझको पता चल रहा' तो कभी कह रहा मैं तो मिल्ककेक खाऊंगा... हम लोग उसे देख देख के हँस हँस के लोटपोट हो गए थे। क्या मज़ा आया था उस समय उसे ऐसा देखकर!
पर उसके बाद डर बन गया कि भई प्रसाद के नाम पर भी नहीं, नहीं तो नहीं ही लेना है।
इस बार जब शिवरात्रि पर सोसायटी के मंदिर में भांग की ठंडाई बंटी तो मुझे तो बचपन के किस्से के चलते पहले ही पता था कि यह अपने बस की चीज़ नहीं।
एक फ्रेंड ने पी ली। अब नॉर्मल पी लेती तो ठीक पर उसने 3 गिलास पी। उसके बाद तो जो उसने ग़दर मचाया है 'बाई गॉड की कसम'....!
जैसे तैसे उसको घर पहुंचाया...वहाँ उसे पूरे टाइम भूख लगती रही। अब पति बिचारा खिला खिलाकर हार गया पर वो खा खा कर नहीं हारी। एक टाइम के बाद पेट ने विद्रोह कर दिया और खाने को मना कर दिया तो इसका रोना चालू हो गया...
सारी दुनिया खा रही है, मैं तो खा भी न पा रही!
हँसने वाली चाभी तो उसकी बजी नहीं, उसका रोना और खाना रातभर चलता रहा।
अगले दिन जब उसको अपनी हरकतें पता चली तो मारे शर्मिंदगी उसने उसके साथ अपनी 7 पुश्तों की कसम खाई की अब यह नहीं होगा। बोली कि तेरा सही है यार तू बच गई!
मैने कहा बड़े बूढ़े कह गए है... शादी कर के पछताने की बजाय बारात में जाकर ही पछता लेना बहुत होता है!
बाकी तो...आल इज वेल!
कभी कभी कुछ लोगों का कॉन्फिडेंस देखकर आश्चर्य होता है। कुछ लोगों को कुछ बातों के जवाब हाथोंहाथ वहीं...थोड़े स्पष्ट तरीके से या यूँ कहूँ तो मेरे लिए रूड, मगर किसी का मुँह बन्द करने के लिए पर्याप्त तरीके से देते हुए देखती हूँ तो लगता है, मैं ऐसा क्यों नहीं कर पाती?
कुछ लोग ओवर कॉन्फिडेंस वाले होते हैं। और अक्सर वही लोग ओवर कॉन्फिडेंट होते हैं जिनका दूर दूर तक परफेक्शन से कोई नाता नहीं।
ऐसे लोगों को देखकर आश्चर्य नहीं बल्कि हँसी आती है। लगता है भाईसाब जिंदगी तो यही लोग जी रहे! कुछ न होते हुए भी खुद को तुर्रम खां समझना और बाकी लोग को उन्हें ऐसा समझने के लिए मजबूर करना...उनके प्रिय शगल होते हैं।
दोनो स्थितियों में मैं हमेशा दर्शक दीर्घा में होती हूँ।
दूसरी स्थिति में स्वयं को उछल उछल कर श्रेष्ठ बताने वाले लोगों को ' वाह ' 'वाकई आप तो हैं ही कमाल' कर के उनकी एक्सपर्टी के किस्से सुनने के बजाय और तारीफ कर के स्वयं के लिए सुकून के पल तलाश लेती हूँ।
पर पहली स्थिति वाले लोगों को देखकर लगता है...इसके जैसा होना है मुझको। पर जब मेरी बारी आती है, तो मैं बस अपने जैसी हो पाती हूँ।
बाकी तो...
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