“जिस धुएँ में जवानियाँ खोयीं
उस में मैं भी तो खो गया होता..
तुम अगर मुझ से न बिछड़ जाती
मैं तो बर्बाद हो गया होता”
#tuesdayfeeling
Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
“जिस धुएँ में जवानियाँ खोयीं
उस में मैं भी तो खो गया होता..
तुम अगर मुझ से न बिछड़ जाती
मैं तो बर्बाद हो गया होता”
#tuesdayfeeling
फोटो 1- रामसेतु
फोटो 2- Union Pecific रेल लाइन ग्रेट साल्ट लेक के बीचोबीच से गुजरती हुई
अमेरिका में जब रेलवे ट्रैक का विस्तार हुआ तब कई रेल कंपनियों में रेलवे ट्रैक बिछाकर खूब सारी ट्रेन चला कर पैसे कमाने की होड़ मच गई
लेकिन पूर्वी अमेरिका को पश्चिम अमेरिका को जोड़ते समय बीच में एक बेहद विशाल समुद्र जैसी झील थी जो अमेरिका की सबसे बड़ी झील है जिसका नाम द ग्रेट साल्ट लेक है
बड़े-बड़े इंजीनियर के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी इस झील के आर पार रेलवे ट्रैक कैसे बिछाया जाए
यूनियन पेसिफिक की टीम में एक इंजीनियर था जिसने रामायण पढ़ी थी और उसे रामसेतु के बारे में जानकारी थी वह भारत आया और राम सेतु का अध्ययन किया तब उसके दिमाग की घंटी बज गई और उसने यह पता लगा लिया कि यदि हम झील में एकदम सीधी रेलवे लाइन बिछाएंगे तब यह रेलवे ट्रैक लहरों से टूट सकता है और उसने ठीक रामसेतु के डिजाइन पर अपना रेलवे ट्रैक बनाया वो ट्रेक पिछले 60 सालों से अमेरिका में वही का वही खड़ा है और सेवा दे रहा है
दरअसल जहां पर पानी लहरदार होती है वहां जिग जेग डिजाइन से ही स्टेबिलिटी मिलती है
और रामसेतू रचना मुनिन्द्र ऋषि की कृपा से हुयी जो नल नील के पुज्य गुरूदेव थे ।
फोटो 1- रामसेतु
फोटो 2- Union Pecific रेल लाइन ग्रेट साल्ट लेक के बीचोबीच से गुजरती हुई
अमेरिका में जब रेलवे ट्रैक का विस्तार हुआ तब कई रेल कंपनियों में रेलवे ट्रैक बिछाकर खूब सारी ट्रेन चला कर पैसे कमाने की होड़ मच गई
लेकिन पूर्वी अमेरिका को पश्चिम अमेरिका को जोड़ते समय बीच में एक बेहद विशाल समुद्र जैसी झील थी जो अमेरिका की सबसे बड़ी झील है जिसका नाम द ग्रेट साल्ट लेक है
बड़े-बड़े इंजीनियर के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी इस झील के आर पार रेलवे ट्रैक कैसे बिछाया जाए
यूनियन पेसिफिक की टीम में एक इंजीनियर था जिसने रामायण पढ़ी थी और उसे रामसेतु के बारे में जानकारी थी वह भारत आया और राम सेतु का अध्ययन किया तब उसके दिमाग की घंटी बज गई और उसने यह पता लगा लिया कि यदि हम झील में एकदम सीधी रेलवे लाइन बिछाएंगे तब यह रेलवे ट्रैक लहरों से टूट सकता है और उसने ठीक रामसेतु के डिजाइन पर अपना रेलवे ट्रैक बनाया वो ट्रेक पिछले 60 सालों से अमेरिका में वही का वही खड़ा है और सेवा दे रहा है
दरअसल जहां पर पानी लहरदार होती है वहां जिग जेग डिजाइन से ही स्टेबिलिटी मिलती है
और रामसेतू रचना मुनिन्द्र ऋषि की कृपा से हुयी जो नल नील के पुज्य गुरूदेव थे ।
फोटो 1- रामसेतु
फोटो 2- Union Pecific रेल लाइन ग्रेट साल्ट लेक के बीचोबीच से गुजरती हुई
अमेरिका में जब रेलवे ट्रैक का विस्तार हुआ तब कई रेल कंपनियों में रेलवे ट्रैक बिछाकर खूब सारी ट्रेन चला कर पैसे कमाने की होड़ मच गई
लेकिन पूर्वी अमेरिका को पश्चिम अमेरिका को जोड़ते समय बीच में एक बेहद विशाल समुद्र जैसी झील थी जो अमेरिका की सबसे बड़ी झील है जिसका नाम द ग्रेट साल्ट लेक है
बड़े-बड़े इंजीनियर के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी इस झील के आर पार रेलवे ट्रैक कैसे बिछाया जाए
यूनियन पेसिफिक की टीम में एक इंजीनियर था जिसने रामायण पढ़ी थी और उसे रामसेतु के बारे में जानकारी थी वह भारत आया और राम सेतु का अध्ययन किया तब उसके दिमाग की घंटी बज गई और उसने यह पता लगा लिया कि यदि हम झील में एकदम सीधी रेलवे लाइन बिछाएंगे तब यह रेलवे ट्रैक लहरों से टूट सकता है और उसने ठीक रामसेतु के डिजाइन पर अपना रेलवे ट्रैक बनाया वो ट्रेक पिछले 60 सालों से अमेरिका में वही का वही खड़ा है और सेवा दे रहा है
दरअसल जहां पर पानी लहरदार होती है वहां जिग जेग डिजाइन से ही स्टेबिलिटी मिलती है
और रामसेतू रचना मुनिन्द्र ऋषि की कृपा से हुयी जो नल नील के पुज्य गुरूदेव थे ।