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अपनी मां के चरित्र पर सवाल खड़ा करता हुआ एक अंधभक्त!
क्या लिख रहे हो इतनी तो समझ होनी चाहिए!

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“ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत।।”
“ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ”

ॐ सूर्याय नमः
🙏
जय सूर्य देव
जय श्री राम
#सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है?

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" दामाद है वो पाकिस्तान का " नारियल लाओ, टिका लगाओ , वरना इस बार वो दहेज में पूरा लाहौर ले जाएगा !!

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600 करोड़ की movie

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आमिर खान!....लगान नजदीकी सिनेमाघरों में साथ आएगी तो क्या गदर....कमाई नहीं करेगी?....करेगी और जरूर करेगी। गदर को बॉक्स ऑफिस का कोई भी क्लेश कमाई करने से नहीं रोक सकता है।
गदर-एक प्रेम कथा! 15 जून 2001 यानी बाईस साल पहले आज के दिन नज़दीकी सिनेमाघरों में पहुँची थी और भयँकर गदर काटा था।
दर्शक बावले हो चले थे। भारतीय सिनेमा इतिहास की पहली फ़िल्म रही होगी। जिसके आठ शो चलाए गए। फिर भी दर्शक बेकाबू थे। नज़दीकी सिनेमाघरों के मालिक परेशान, उन्हें समझ न आ रहा था। कि क्या करे? क्या न करें?
15 जून 2001 की सुबह भुवनेश्वर उड़ीसा के नज़दीकी सिनेमाघर मालिक ने निर्देशक अनिल शर्मा को फ़ोन करके पूछा कि सर! आपने क्या बना दिया है? इतना बवाल हो रहा है?
निर्देशक अनिल शर्मा हैरानी भरे स्वर में बोले कि 'क्यों कही दंगा हो गया है?
नहीं सर! लेकिन दर्शकों को काबू करना मुश्किल हो रहा है। जितना पब्लिक अंदर है उससे अधिक बाहर है। दर्शकों से सब्र नहीं हो रहा है। रिपीट वेल्यू अधिक है। पहला शो खत्म कर रहे है। दूसरे में अंदर जा रहे है। नए लोगों को मौका नहीं मिल पा रहा है।
इधर, फ़िल्म समीक्षक वर्ग उल्टियां पर उल्टियां कर रहा था। क्योंकि गदर ने उनका हाजमा बिगाड़ दिया था। अपच हो गई थी। गदर का कंटेंट उन्हें डाइजेस्ट नहीं हुआ। एक समीक्षक ने अखबार को हेड लाइन दी। 'गदर- गटर एक प्रेम कथा' अति राष्ट्रवाद का हैवी डोज।
समीक्षक वर्ग तारा सिंह के झटके को झेल न पाया था। बॉक्स ऑफिस पहले से बेहोश पड़ा था। लोग ट्रक में बैठकर तारा से मिलने आ रहे थे। उसके संवाद गुनगुना रहे थे। गीत बज रहे थे। दर्शकों के लिए उसत्व जैसा माहौल बन गया था।
गदर का सिग्नेचर एक्शन सीक्वेंस हैंडपंप उखाड़ने वाला ठीक से शूट न हुआ। सूरज की रोशनी ने हल्का खलल डाल दिया था। परन्तु इससे पहले हुई डायलॉगबाजी ने सब संभाल दिया था।
अमीषा पटेल की जगह काजोल रहती। जो निर्देशक की पहली पसंद थी। गदर के रोमांच में इजाफा हो जाता।
उस दिन बॉक्स ऑफिस पर लगान न लगाया होता। तो गदर सुनामी ला देती। ऐसा नहीं है कि लगान अच्छी फिल्म न थी। बहुत अच्छी फिल्म थी। लेकिन गदर का माहौल बिगाड़ने की क्या जरूरत थी। एक हफ्ता जल्दी/देरी से लगान वसूल कर लेते। क्योंकि लगान से 270 स्क्रीन काउंट कम हो गए थे। सोलो रिलीज में गदर भारतीय सिनेमा इतिहास की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म हो जाती।
अगर गदर आज के परिवेश में रिलीज होती तो बाहुबली के सिंहासन को टक्कर दे रही होती या कहे बॉक्स ऑफिस के पार्किंग लॉट में तारा सिंह का ट्रक खड़ा होता। मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन नजदीकी सिनेमाघर जाम हो चुके होते। ख़ैर अब तो गदर २ आ रही है अगस्त में.... ट्रेलर से ही बवाल लग रहा है
15 जून 2001 के दिन केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती तो यकीनन गदर सेंसर बोर्ड में पास न होती। उसे लटकाए रखते। या फिर कुछ कट के साथ, बॉलीवुड के संविधान को लागू करने का आदेश दिया जाता।

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