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The skeleton called the “Ring Lady” unearthed in Herculaneum near Pompeii. 79 A.D. Aprox 45 years old woman was found buried in ash with her gold jewellery: rings and braclets. This photo was made few hours after discovery. 2000 years old jewellery was in perfect condition.

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Why is this picture trending?😎 — feeling crazy.

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आईसीसी वनडे रैंकिंग में 169वें नंबर पर मौजूद ईशान अब 37वें नंबर पर आ गए हैं। वनडे क्रिकेट रैंकिंग के इतिहास में पहली बार कोई बल्लेबाज एक साथ 132 पायदान चढ़ा है। ODI इतिहास में 126 गेंदों पर सबसे तेज दोहरा शतक जड़ने वाले ईशान पहली बार BCCI की ग्रेडिंग लिस्ट में शामिल हो सकते है। खबरों के मुताबिक बीसीसीआई ईशान किशन को सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट के ग्रुप बी में जगह दे सकती है।
इसके तहत ईशान किशन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की तरफ से ₹3 करोड़ सालाना दिए जाएंगे। ग्रुप बी में उन्हीं खिलाड़ियों को जगह दी जाती है, जो भारत के लिए कम से कम 2 फॉर्मेट में जरूर खेलेंगे। अब यह तय माना जा रहा है कि वनडे और टी-20 में ईशान किशन बतौर ओपनर नजर आएंगे। सपने अगर शिद्दत से देखे जाएं तो पूरे जरूर होते हैं। ईशान किशन ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है। साल था 2007 और भारत वनडे वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के हाथों हारकर ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गया था।
शर्मनाक शिकस्त के बाद समूचे देश में आंसुओं का सैलाब था लेकिन तब 9 साल का नन्हा ईशान अपने दादीघर नवादा, बिहार में टेनिस बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट का सिरमौर बन रहा था। ईशान के बचपन के तमाम दोस्त बताते हैं कि उसी उम्र से ईशान पुल शॉट खेलने में माहिर हो गए थे। उनके बल्ले पर गेंद लगने का मतलब ही था कि वह सीमा रेखा के बाहर छक्के के लिए निकल जाएगी। अपने घरेलू टूर्नामेंट में ईशान ने सबसे ज्यादा रन बनाए थे। अपनी टीम की जीत के बाद उन्हें मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी दिया गया था।
पिता बिहार की राजधानी पटना में रहते थे। ऐसे ईशान का दाखिला डीपीएस, पटना में करा दिया गया। एक मैच के दौरान स्कूल का विकेटकीपर नहीं आया तो ईशान ने कीपिंग करते हुए दो शानदार कैच लपकने के अलावा एक स्टंपिंग भी कर दिखाया। टीम जीत गई तो बदले में स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI) के ट्रायल में भी ईशान का सिलेक्शन हो गया। अब तक सब सही चल रहा था लेकिन फिर स्कूल वालों को डर लग गया कि लड़का मैट्रिक पास नहीं कर पाएगा। ऐसे में ईशान को स्कूल से निकाल दिया गया। हिंदुस्तान में खेल में करियर बनाने से लोग क्यों मना करते हैं, वह डीपीएस,पटना के व्यवहार से समझ में आता है। वह अलग बात है कि आज वही डीपीएस वाले ईशान के नाम पर जमकर पब्लिसिटी बटोर रहे हैं।
ईशान ने जिद नहीं छोड़ी। समूचे बिहार के अलग-अलग जिलों में लेदर बॉल क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। इसी क्रम में वह 2013 की सर्दियों में पूर्णिया, बिहार आए थे। तब मैं भी वहीं था। डीएसए ग्राउंड के आसपास बहुत सारे घर बने हुए हैं। ऐसे में जब ईशान ने गेंदबाजों का धागा खोलना शुरू किया तो लोग कमेंट्री की आवाज सुनकर मैदान पर दौड़े चले आए। मैं भी उस वक्त स्टूडेंट ही था और सीनियर्स से रिक्वेस्ट करने पर मुझे थोड़ी देर कमेंट्री करने का मौका दिया गया था। आज जब उस ऐतिहासिक पारी को याद करता हूं, तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। पूर्णिया की उस ऐतिहासिक बल्लेबाजी में हिंदुस्तान के भविष्य की झलक छिपी हुई थी।
हालांकि तब बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई ने मान्यता नहीं दी थी। ऐसे में कोच संतोष के कहने पर 2015 में ईशान झारखंड शिफ्ट हो गए। आज भी झारखंड की तरफ से 14 छक्कों की मदद से 273 रनों की सबसे बड़ी रणजी पारी खेलने का रिकॉर्ड ईशान के नाम है। इसके बाद ईशान को भारत का अंडर-19 कप्तान चुन लिया गया। सबको लगा कि अब खिलाड़ी बड़ा हो गया तो जड़ों को भूल जाएगा। फिर 2016 में भागलपुर, बिहार के सैंडिस कंपाउंड में अंगिका कप आयोजित हुआ। व्यस्तता के बावजूद ईशान किशन पहुंचे और बल्लेबाजी से सिर्फ एक दफा चाहने वालों का दिल जीत लिया। यहां जब उनकी तुलना महेंद्र सिंह धोनी से की गई तो उन्होंने साफ किया कि माही भाई सिर्फ एक हैं। उनकी तरह दूसरा कोई कभी नहीं बन सकता। दरअसल सैंडिस कंपाउंड भागलपुर में माही भी पहले हेलीकॉप्टर शॉट जड़ चुके थे और इसलिए लोग ईशान से उनकी तुलना कर रहे थे।
24 साल की उम्र में वनडे इतिहास का सबसे तेज दोहरा शतक जड़ना बताता है कि इस खिलाड़ी में प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है। अगर बीसीसीआई ईशान को लगातार मुकाबले खेलने का अवसर देगा तो पूरा हर ख्वाब होगा। Lekhanbaji को यकीन है कि ईशान किशन इंडियन क्रिकेट का अगला नवाब होगा।
हर हाल में पूरा होगा वर्ल्ड कप जीत का मिशन
अगर टीम इंडिया में शामिल होगा ईशान किशन ❤️

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एक ही शख़्स था ज़हान में क्या /
भारत के अमरोहा में 1931 में जन्मे और देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान जा बसे जान एलिया का शुमार बीसवी सदी के उत्तरार्ध्द के महान शायरों में होता है। हमारे मशहूर फ़िल्मकार कमाल अमरोही और दार्शनिक सय्यद मुहम्मद तकी के छोटे भाई एलिया ने अपने लिए शायरी चुनी तो अपने समकालीनों से अलग अभिव्यक्ति का एक अलग अंदाज़ विकसित किया। प्रेम के टूटने की व्यथा, अकेलेपन और आदमी के अजनबीयत के गहरे एहसास उनकी शायरी में जिस तीखेपन के साथ व्यक्त हुए हैं, उनसे गुज़रना बिल्कुल ही अलग-सा एहसास है। अपनी फक्कड तबियत, अलमस्तजीवन जीवन शैली, हालात से समझौता न करने की आदत और समाज के स्थापित मूल्यों के साथ अराजक हो जाने तक उनकी तेज-तल्ख़ झड़प ने उन्हें अकेला भी किया और उनकी रचनात्मकता को एक खासियत भी बख्शी। उनकी शायरी में जो अवसाद और अकेलापन है, उसकी वज़ह उनकी निज़ी ज़िन्दगी में खोजी जा सकती है। उनकी पूर्व पत्नी जाहिदा हिना पाकिस्तान की प्रसिद्ध पत्रकार हैं। अप्रिय स्थितियों में दोनों के बीच तलाक के बाद एलिया ने न सिर्फ ख़ुद को शराब में डुबो दिया, बल्कि ख़ुद को बर्बाद करने के नए-नए बहाने और तरीक़े इज़ाद करने लगे। जानने वाले कहते हैं कि शाम होते ही एक अजीब कैफ़ियत उनपर तारी हो जाती थी और वो घंटों भारत की ओर मुंह करके उदास बैठे रहते थे। उनकी एक नज़्म है - मत पूछो ग़मगीन हूं कितना गंगा जी और जमुना जी / क्या मैं तुमको याद नहीं हूं गंगा जी और जमुना जी। बहुत ही त्रासद परिस्थितियों में वर्ष 2002 में उनका निधन हुआ। मरहूम जान एलिया के जन्मदिन पर उन्हें खेराज-ए-अक़ीदत, उनकी ही एक लोकप्रिय ग़ज़ल के साथ !
उम्र गुज़रेगी इम्तहान में क्या
दाग ही देंगे मुझको दान में क्या
मेरी हर बात बेअसर ही रही
नुक्स है कुछ मेरे बयान में क्या
बोलते क्यो नहीं मेरे हक़ में
आबले पड़ गये ज़बान में क्या
मुझको तो कोई टोकता भी नहीं
यही होता है खानदान मे क्या
वो मिले तो ये पूछना है मुझे
अब भी हूं मै तेरी अमान में क्या
यूं जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
ये मुझे चैन क्यो नहीं पड़ता
एक ही शख्स था जहान में क्या

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Preeti Pandey shared a post  
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