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जुलाई 1914 में पहली आलमी जंग शूरू हुई थी। यह जंग नवंबर 1918 तक चली थी। इस जंग में ख़िलाफ़त-ए-उस्मानिया की शिकस्त के बाद ख़िलाफ़त टुकड़ों में तक़सीम हो चुकी थी। जुलाई 1920 में फ़्रांस ने सीरिया पर कंट्रोल कर लिया था। सीरिया पर कंट्रोल के बाद फ़्रेंच जनरल "General Henri Gouraud" जब दमिश्क में दाख़िल हुआ था तब वो दुनिया के अज़ीम फ़ातेह सुल्तान सलाह-उ-द्दीन अय्यूबी रह० की मज़ार पर गया था और उनके रौज़े पर अपनी फ़ौजी जूते से ठोकर मारकर कहा था- "उठो सलाह-उ-द्दीन हम यहां आ गए हैं"
तस्वीर फ़्रेंच जनरल "General Henri Gouraud" की है।

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मैं दिल से धन्यवाद करना चाहती हूं,हमारे विश्वकर्मा समाज का💐🙏🏻मेरा कार्यक्रम पूरे हिंदोस्तान में जहां भी रहता है,समाज के स्नेहीजन मेरा सम्मान करने और मिलने ज़रूर पहोंचते है😊🙏🏻दिलसे धन्यवाद #विश्वकर्मा #समाज हरदा💐

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एक लखनवी मुंबई पहली बार गया ,उसने एक मुंबईकर से पूछा"मुआफ कीजिएगा बंदापरवर, एक तकलीफ देना चाहूंगा,जरा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का पता बताने की जहमत गवारा कीजिएगा?"
मुंबईकर"कोई वांदा नहीं भाऊ, तुमकू चर्चगेट में उतरने का, बाहिर ब्रिज गिरेंगा, ब्रिज के निचू से जाने का फिर सिग्नल गिरेंगा,उधर से राइट मारने का पेट्रोल पंप गिरेंगा,लेफ्ट लेने का एलआईसी बिल्डिंग गिरेंगा,आगे टपकेगा तो सीधा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में गिरेंगा"
लखनवी"ऐसे ही हम नाजुक मिजाज़ हैं,हुजूर जब इतना सब कुछ गिरेगा तो बैंक तक पहुंचते पहुंचते हम बचेंगे या फौत हो जाएंगे?"
- Amitabh Shukla की क़लम से

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2 yıl

2 yıl

"शान.....
नेहा पग फेरा मे मायके आई तो नेहा की मां ने देखा...
नयी दुल्हन के चेहरे पर जो रौनक रहती है वह नेहा के चेहरे मे कहीं नहीं दिख रही है...
जो लड़की दिन भर बक-बक करती थी, एक रात मे कैसे चुप हो सकती है.....
जरुर.. कुछ ना कुछ तो बात है....
मां का दिल अनजान आंशका से घिरने लगा था वह चाह रही थी, जल्दी से बात करे...
पर पास पडो़स के लोग जो नेहा को देखने आये थे हट नहीं रहे थे...
जब पड़ोस के लोग चले गये तब मां ने धड़कते दिल से ससुराल का हाल पुछा....
नेहा ने सबकी तारीफ की बस पति के नाम पर चुप रह गई तब मां ने दुबारा पूछा...
बेटा.....दामाद जी कितने बजे लेने आयेंगे...
नेहा चुप रही... तब मां ने नेहा का हाथ पकडा़ और बोली,
बेटा शेखर कैसे है......
नेहा की आँखें भर आई.....
क्या बात है.... मुझे बता.... मैं तेरी माँ हूं...
कुछ दिक्कत है तो मुझे बोल बेटा....
नेहा तब भी चुप रही अब मां को पक्का यकीन हो गया कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है वह एकदम शातं स्वर में बोली,
नेहा मां बाप से कोई बात छुपानी नहीं चाहिए ...
तब नेहा ने रोते हुये बताया कि शेखर ने विवशता में शादी की है वह किसी और से प्यार करता है....
मैने कहा कि आपने उससे शादी क्यों नहीं की...
तो बोले करुंगा....बहन की शादी हो जाने के बाद...
और तुमको क्या तकलीफ है यहां.....
कहां थी और कहां आ गई पैसों के ढेर में बैठी हो...
देखो, यह आलमारी है कपडों और गहनों से भरा है तुम्हारे लिए एक गाडी़ डाईवर के साथ खड़ा रहेगा...
लो यह कार्ड है.... एक लाख महीना खर्चे कर सकती हो जहां मन हो जब मन हो जाओ कोई रोक-टोक नही... बस घर की इज्जत का ध्यान रखना मुझसे तुम्हारा कोई संबंध नहीं... दुनियां की नजर में बस तुम मेरी पत्नी हो। किसी को शक न हो इसलिए मैं बीच बीच में आता रहूंगा
मां....उन लोगों ने जान कर मुझे चुना...
गरीब घर की लड़की लायेगें तो वह हर बात सहेगी इतना कह कर नेहा रोने लगी...
नेहा की माँ ने कहा....बेटा...हम गरीब जरुर हैं पर अपनी बेटी गिरवी नहीं रखते.... तुझे ड़रने की जरुरत नहीं है पति नही तो ऐसी शादी का अर्थ क्या....
वो क्या तुझे छोड़ेगा तुझे अब वहां जाने की जरुरत नहीं है मेरी बेटी गरीब ही सही मेरे घर की शान है....
नेहा पहली बार अपनी मां का ऐसा रुप देख रही थी.....
"मेरा सभी माता पिता से निवेदन है कि शादी असफल होने पर अपनी बेटी का स्वागत करें, न कि उसको ताना मारे, उसके बुरे हालात में साथ दे, एक तलाकशुदा बेटी अच्छी है एक मरी हुई बेटी के मुकाबले.."

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कल श्याम ऋषिकेश मेयर श्रीमती अनीता ममगाईं जी के पुत्र Dr हिमांशु ममगाईं जी के मेंहदी कार्यक्रम ऋषिकेश GMVN भारतभूमि में शामिल हो शुभकामनाएं प्रेषित करी।

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हिमाचल प्रदेश के तेज गेंदबाज सिद्धार्थ शर्मा का निधन

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फुर्सत के पलों का आनंद लेते विराट कोहली और अनुष्का शर्मा
तस्वीर ने जीत लिया सबका दिल

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डबवाली (लहू की लौ)सरदार सरबजीत सिंह। उम्र 17 साल। कद छह फीट। भाला खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। टैंट की पाइप को काटकर भाला बनाया और डबवाली के सिरसा रोड पर स्थित गुरु गोविंद सिंह खेल स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरु कर दी। वर्ष 2022 में स्कूल गेम्स शुरु हुई। जिला स्तर पर 58 मीटर दूर भाला फेंककर राज्य स्तर के लिए चयन हुआ। राज्य स्तर पर 61.11 मीटर भाला फेंककर राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला था। कहते हैं मेहनत से मुकाम हासिल होता है। ठीक वैसा ही हुआ छह-सात जनवरी 2023 को रेवाड़ी के हरदयाल टेक्निकल कैंपस में हुई राष्ट्रीय स्तरीय स्कूल गेम्स में हरियाणा की ओर से खेलते हुए सरबजीत ने 65.11 मीटर दूर भाला फेंक स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

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