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108 साल उम्र में तमिलनाडु की महीला ने टेस्ट में टॉप किया है। लोग यह खबर सुन हैरान हो रहे हैं। आइए जानते हैं 108 साल की कमलकन्नी के बारे में।
अलग-अलग राज्यों में समय-समय पर टेस्ट होते रहते हैं। टेस्ट सुनकर हमारी आंखों के आगे बच्चों की स्मृति आती है, लेकिन केरल के एक टेस्ट में 108 साल की बुजुर्ग महीला ने हिस्सा लिया। यही कारण है कि देखते ही देखते चारों तरफ उनकी चर्चा हो रही है। हर कोई उनसे प्रेरणा ले रहा है। आइए जानते हैं 108 साल की कमलकन्नी के बारे में विस्तार से।
कौन हैं कमलकन्नी
दरअसल हाल ही में केरल सरकार द्वारा एक साक्षरता प्रोग्राम आयोजित किया गया था। इस टेस्ट में टॉप करने वाला और कोई नहीं बल्कि 108 साल की कमलकन्नी हैं। 1915 में जन्मी कमलकन्नी तमिलनाडु के थेनी की रहने वाली हैं। परिवार के हालातों को देखते हुए उन्हें स्कूल बीच में ही छोड़ना पड़ा था। परंतु उन्होंने साक्षरता कार्यक्रम में पहली स्थान लाकर बता दिया है कि जहां चाह होती है, वहां राह जरूर होती है।
100 में से 97 अंक किए प्राप्त
108 साल की बुजुर्ग ने 100 अंकों के टेस्ट में 97 अंक प्राप्त किए हैं जो अपने आप में बड़ी बात है। हर कोई उनसे इस मुकाम को हासिल करने की प्रेरणा ले रहा है।
खुद की मेहनत
जरूरी नहीं है कि हर किसी को स्कूल जाने का मौका मिले। कमलकन्नी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। ऐसे में उन्होंने खुद लिखना और पढ़ना सीखा। खुद पढ़ाई कर उन्होंने अलग-अलग विषयों पर पकड़ बनाई। उन्हे तमिल के साथ-साथ मलयालम भाषा भी आती है। पूरा परिवार इस बात से बहुत खुश है कि कमलकन्नी ने उम्रदराज होने के बावजूद भी अपनी अलग पहचान बनाई है।
और भी हैं ऐसे कई उदाहरण
ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी बुजुर्ग महिला ने पढ़ाई की वजह की से इंटरनेट पर धूम मचाई हो। इससे पहले भी देश-विदेश की कई महिलाएं अपनी पढ़ाई की वजह से वायरल हो चुकी हैं। यह भी महिलाएं पढ़ाई के महत्व को बताती हैं।

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इस समाचार की पुष्टि मै नहीं करता किन्तु यदि यह सत्य है तो इस देश का दुर्भाग्य है।

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शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय माँ पार्वती के 11 नामों का भी उच्चारण और ध्यान अत्यंत ही पुण्यदायी होता है।
माँ पार्वती का स्मरण जप कम से कम शिव के मंत्रों के दशांश के रूप मे करना चाहिये।
01. ॐ पार्वत्यै नमः
02. ॐ हेमवत्यै नमः
03. ॐ अम्बिकायै नमः
04. ॐ गिरीश वल्लभायै नमः
05. ॐ गंभीर नाभ्यै नमः
06. ॐ अपर्णायै नमः
07. ॐ महादेव्यै नमः
08. ॐ कंठ कामिन्यै नमः
09. ॐ शणमुखायै नमः
10. ॐ लोकमोहिन्यै नमः
11.ॐ मेनका कुक्षीरत्नायै नमः
ये 11 नाम अमोघ हैं।

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क्या आप जानते हैं की समयसूचक AM और PM का उद्गगम भारत में ही हुआ था …??
लेकिन हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :
AM : Ante Meridian
PM : Post Meridian
एंटे यानि पहले, लेकिन किसके? पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके? यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।काफ़ी अध्ययन करने के पश्चात ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को साफ-साफ दृष्टिगत किया है। कैसे? देखिये...
AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य
PM = पतनम् मार्तण्डस्य
सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसी को गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस वास्तविक ‘मतलब' को इंगित नहीं करते।
आरोहणम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का आरोहण या चढ़ाव। पतनम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का ढलाव।
बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है - 'आरोहनम मार्तण्डस्य' (AM)। बारह के बाद सूर्य का अवसान/ ढलाव होता है - 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।
पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है।
हम अपनी हजारों साल की समृद्ध विरासत, परंपराओं और संस्कृति का पालन करते हुए भी आधुनिक और उन्नत हो सकते हैं।इस से शर्मिंदा न हों बल्कि इस पर गौरव की अनुभूति करें और केवल नकली सुधारवादी बनने के लिए इसे नीचा न दिखाएं।समय निकालें और इसके बारे में पढ़ें / समझें / बात करें / जानने की कोशिश करें।
अपने “सनातनी" होने पर गौरवान्वित महसूस करें।

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