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एक बेबाक वक्ता का इस लोक से गमन जिसने अपनी मातृभूमि से दूर रहकर
भगवान राम की तरह अपनी मिट्टी को हमेशा याद किया
तारेक फतह आप यही
इस मिट्टी में जन्म लो भगवान से यही कामना है
ताकि हमारी गूंगी आवाज को कोई आवाज दे
चित्र भोपाल लोकमंथन 2016 के
एक चित्र में fb के विवादग्रस्त दद्दा भी है जिन्होंने तारेक फतह के साथ वह पल शेयर किया था
एक बेबाक वक्ता का इस लोक से गमन जिसने अपनी मातृभूमि से दूर रहकर
भगवान राम की तरह अपनी मिट्टी को हमेशा याद किया
तारेक फतह आप यही
इस मिट्टी में जन्म लो भगवान से यही कामना है
ताकि हमारी गूंगी आवाज को कोई आवाज दे
चित्र भोपाल लोकमंथन 2016 के
एक चित्र में fb के विवादग्रस्त दद्दा भी है जिन्होंने तारेक फतह के साथ वह पल शेयर किया था
एक बेबाक वक्ता का इस लोक से गमन जिसने अपनी मातृभूमि से दूर रहकर
भगवान राम की तरह अपनी मिट्टी को हमेशा याद किया
तारेक फतह आप यही
इस मिट्टी में जन्म लो भगवान से यही कामना है
ताकि हमारी गूंगी आवाज को कोई आवाज दे
चित्र भोपाल लोकमंथन 2016 के
एक चित्र में fb के विवादग्रस्त दद्दा भी है जिन्होंने तारेक फतह के साथ वह पल शेयर किया था

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अपने देश के विषय में तो हर व्यक्ति सोचता है।
हम सोचते है कि भारत कैसा हो। मेरा विकास आदि से कोई विरोध नहीं है।
लेकिन मेरा भारत कैसा होना चाहिये।
हरा भरा हो। पूरा राष्ट्र वृक्ष, बाग, उपवन से आच्छादित हो।
स्वच्छ नदियां हो,
तालाब , कुँआ हो।
चारो तरफ गौशाला हो।
प्रदूषण कम से कम हो,
मजबूत पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था हो।
तीर्थयात्रा के लिये पथ होना चाहिये।
योग, ध्यान, वेद, उपनिषद के गुरुकुल हो।
शास्त्रीय संगीत हो,
नाटक का मंचन हो।
अनाज से गोदान भरा हो।
सबके लिये सुलभ शिक्षा व्यवस्था हो।
बहुत कम नियम , कानून होने चाहिये।
संसद, विधानसभा के अतिरिक्त कोई भी चुनाव न हो।
अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक जैसी अवधारणा खत्म करके सबको समान अधिकार देने चाहिये।
एक ऐसा भारत जिसमें प्राचीनता की महक हो, आधुनिकता का विचार होना चाहिये।
एक ऐसा भारत जिसमें वृक्ष फलों से लदे हो। पँछी गुनगुनाते हो। संध्या गोधुल से सुशोभित हो।।
#नारू_सिंड्रोम -
आस्ट्रेलिया के पास नारू एक छोटा सा देश है।
बहुत कम जनसंख्या है।
70 के दशक में पता चला कि इस देश के पास
फास्फेट का अकूत भंडार है।
अब फास्फेट का खनन करते और पूरी दुनिया को बेचते थे।
दस वर्ष में इस देश की प्रतिव्यक्ति आय 50 हजार डॉलर हो गई।
ऐसे समझिये की दुनिया के सबसे धनी देश अमेरिका की प्रतिव्यक्ति आय इस समय 22 हजार डॉलर है।
अब इतना धन है तो खेती, पशुपालन कौन करेगा।
नारू के लोग यह सब करना छोड़ दिये। वह डिब्बा बंद भोजन मंगाते और दबाकर खाते।
धीरे धीरे फास्फेट खत्म हो गया।
लेकिन यह समस्या नहीं थी।
पूरा देश मोटापे की भयंकर बीमारी से ग्रसित हो गया।
80% महिलाएं मोटापे का शिकार हुई। डाइबटीज, हृदय की बीमारी ने घेर लिया।
अब खेती चाह भी लें तो नहीं कर सकते हैं।
सन 2000 में यह देश दीवालिया हो गया। आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के सहयोग से जीवित है।
आज भारत में आधुनिक धनिकों को देखिये।
वह और उनके बच्चे किस तरह मोटापे का शिका