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"गाँव से शहर आई लड़कियाँ" गलियों में कमरा ढूंढ़ने के लिए भटकती लड़कियाँ इस बात का साक्ष्य है अब गाँव भी शिक्षा को समझ रहा है शिक्षा में समान भागीदारी को समझ रहा है।
इन लड़कियों पे उन सभी लड़कियों की ज़िम्मेदारी है जिनके माँ-बाप अभी भी अकेले शहर में भेजने से डरते हैं ये भी सोचते हैं पढ़कर क्या कर लेगी, अंत में पति के घर ही जाना है, रसोई संभालना है फिर बच्चे का ख्याल रखना है।
लड़कियों तुम पर निगाहें टिकी है पुरे परिवार की, समाज की, उच्च शिक्षा से वंचित उन सभी लड़कियों की तुम खाली हाथ न लौटना कामयाब होकर ही घर आना ताकि तुम्हे देख कोई कह सके मुझे भी पढना है मुझे भी मेरे सपने को पूरा करना है किसी व्यक्ति के इधर-उधर की बातों में पड़ने से अच्छा है कि अपनी और अपने मां-बाप के सपनों को पूरा करने में लगे रहिए।