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#रानीखेत एक सुंदरतम हिल स्टेशन है जिसके दुनिया भर में लाखों-लाखों प्रशंसक हैं। रानीखेत की कल्पना चौबटिया गार्डन के बिना नहीं की जा सकती है। जिस तरीके से कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर, कुमाऊं रेजिमेंट का सेंटर होना रानीखेत में लिए गर्व का विषय है। वहीं रानीखेत का गोल्फ ग्राउंड और सोमनाथ ग्राउंड, रानीखेत की शान में चार चांद लगाने का काम करते हैं। चौबटिया का गार्डन कभी रानीखेत सहित पूरे उत्तर प्रदेश का अभिमान था, था शब्द इसलिये इस्तेमाल कर रहा हूं, अंग्रेजों ने इस गार्डन की स्थापना की उत्तर प्रदेश सरकार ने इसको ऊंचाई में पहुंचाया। राज्य बनने के बाद धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आ गई कि मुझे तक यह कहना पड़ रहा है कि चौबटिया गार्डन था। धन्य है उत्तराखंड, राज्य बनने के बाद अब चौबटिया गार्डन का निरंतर पराभव हो गया है।
मैंने हाल में एक समाचार पढ़ा कि राज्य सरकार उसको सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करेगी। देखते हैं, हमको तो सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाओ या कुछ और बनाओ, पुराने चौबटिया गार्डन के गोल्डन डिलीशियस, रॉयल डिलीशियस, ग्रीन डिलीशियस, रीमर जोनाथन पतली दंडी न जाने कितनी वैरायटी के प्यारे-प्यारे सेब और गुलाबी रंग लिए पीली खुमानियां और चेरी, इतनी प्यारी कि कश्मीर की चेरी को पीछे छोड़ने वाली चेरी पैदा होती थी इस चौबटिया गार्डन में। देश के कई नामचीन हस्तियां जिनमें श्रीमती इंदिरा गांधी जी भी थी, वह चौबटिया गार्डन के चेरी और सेब की बहुत बड़ी प्रशंसक थी। आज वह सब हमने विलुप्त होने दिया। जब विज्ञान इतना सक्षम है कि नीचे मैदानों के करीब भी सेब उगा दे रहा है तो हम #चौबटिया के डिलीशियस, वहां के राइमर, वहां की पक्की डंडी या दूसरे प्रजातियों को क्यों नहीं हम संरक्षित कर पा पाये! रानीखेत कह रहा है कि मुझको जिला या नगर पालिका दो या न दो तुम्हारी मर्जी पर मुझको मेरा चौबटिया गार्डन वापस दे दो।