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तबला बाई🤣🤣 बजाते रहो 🤸🙋

ये कपिल सिब्बल हर देश द्रोहियों का वकील……

नेहा राठौड़ पर कई जगह FIR हुई तो उसने कहा कि मेरे एकाउंट में मात्र 500 या 600 रुपया है ...अब नेहा का मुकदमा ये सिब्बल लड़ने वाला है, इसका मतलब ये हुआ कि ये सिब्बल 500 रुपए वाला ही वकील है

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अभी नहीं तो कभी नहीं, जभी जागो तभी सबेरा👏
अब्दुल ने बिस्तर से धकेलना शुरू कर दिया है
आप देखिए 70% बिस्तर पर अब्दुल का कब्जा है
कुछ देर बाद बाबाजी नीचे मिलेंगे और अब्दुल पूरे बिस्तर पर पैर फैला कर आराम से सोता रहेगा।
यह जिस भी देश में गए हैं यही किया है, समझिए....

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केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने 41वीं बटालियन के जवान सीटी/जीडी मुनीर अहमद को सुरक्षा मानकों के गंभीर उल्लंघन के चलते तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया है. अहमद पर एक पाकिस्तानी नागरिक से शादी करने और उसकी वीजा वैधता समाप्त होने के बाद भी उसे भारत में शरण देने का आरोप है, जिसकी जानकारी उन्होंने विभाग से छिपाई थी. मुनीर अहमद ने फोन पर वीडियो कॉल के जरिए निकाह किया था.

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स्वामी शिवानंद बाबा : एक युग का अंत 🌟💔👏🫡🌺
आज हम एक ऐसे महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने 128 वर्षों तक इस धरती पर योग, अध्यात्म और मानवता की मशाल जलाए रखी। वाराणसी के पद्मश्री योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का शनिवार रात निधन हो गया। सांस लेने में तकलीफ के कारण उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। स्वामी शिवानंद केवल एक योग गुरु ही नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा थे।
8 अगस्त 1896 को जन्मे, उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण को सादगी, अनुशासन और सेवा के लिए समर्पित किया। उनकी उम्र भले ही 128 वर्ष थी, लेकिन उनकी ऊर्जा और उत्साह किसी युवा से कम नहीं थे। योग के माध्यम से उन्होंने न केवल स्वयं को स्वस्थ रखा, बल्कि लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई।
🌼 पद्मश्री सम्मान : एक ऐतिहासिक उपलब्धि :
भारत सरकार ने 2022 में स्वामी शिवानंद को उनकी योग और सामाजिक सेवा में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया। वे इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे। यह सम्मान न केवल उनकी दीर्घायु का, बल्कि उनके अटूट समर्पण और समाज के प्रति उनके योगदान का प्रतीक था।

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महाराज 🔥🔥

यूपी के श्रावस्ती जिले में बाबा जी के तीन सिपाही जाते हैं, और 86 मदरसे बंद करा कर चले आते हैं।👍🏻

कभी 8 थाने की पुलिस आजम खान की भैंस ढूंढा करती थी।😂

हम भाग्यशाली हैं जो योगी जैसे मुख्यमंत्री पाए 🫡

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इंदिरा गाँधी को महान और आयरन लेडी समझने और मानने वाले अपनी गलतफहमी दूर कर लें ...!!! वो पक्की व्यभिचारिनी ही थी!!!
वामपंथी और गुलाम इतिहास कारों ने इंदिरा गाँधी को एक बहुत ही जिम्मेदार, ताकतवर और राष्ट्रभक्त महिला बताया हैं, चलिए इसकी कुछ कडवी हकीकत से मैं भी आज आपको रूबरू करवाता हूँ!!!
इंदिरा प्रियदर्शिनी ने नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन के कारण बाहर निकाल दी गयी.
उसके बाद उनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके व्यभिचारी दुराचरण के लिए बाहर कर दिया था.
शान्तिनिकेतन से बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के स्विट्जरलैंड में मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के मुस्लिम व्यापारी ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था. फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम लफडा स्थापित हो गया. महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि वो फिरोज खान के साथ अवैध संबंध बना रही थी. फिरोज खान इंग्लैंड में था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही इन्दिरा अपने धर्म का त्याग कर, एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने अपना नया नाम ●मैमुना बेगम● रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत ओर ज्यादा बिगड़ गयी. नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि, तुम अपना उपनाम खान से गांधी कर लो, तो कर लिया. परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना - देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था. और तब से ये मुस्लिम फिरोज खान नकली फिरोज गांधी बन गया!!!

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डॉ. अब्दुल कलाम जब राष्ट्रपति थे तब एक बार उन्होंने कुन्नूर का दौरा किया था। जब वे वहां पहुंचे तो उन्हें पता चला कि फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का वहां के सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा था।

डॉ. कलाम सैम मानेकशॉ से मिलने अस्पताल पहुंचे। उन्होंने सैम के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की। जाने से पहले डॉ. कलाम ने सैम से पूछा, "क्या तुम्हें यहां कोई परेशानी हो रही है? क्या मैं ऐसा कुछ कर सकता हूँ जिससे आपको अधिक सहज महसूस करने में मदद मिले? तुम्हें कोई शिकायत तो नहीं है?"'

सैम ने कहा, "हाँ.. मुझे एक शिकायत है।"

चिंतित कलाम जी ने चिंतित स्वर में पूछा, "आपकी शिकायत क्या है?"

सैम ने कहा, "सर, मेरी शिकायत यह है कि मेरे प्यारे देश के सबसे सम्मानित राष्ट्रपति यहां खड़े हैं, लेकिन मैं उन्हें सलामी नहीं दे पा रहा हूं।"

यह सुनकर डॉ. कलाम ने सैम का हाथ थाम लिया.. एक पल के लिए दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे।

जाते जाते मानेकशॉ ने राष्ट्रपति को एक बात बताई। उन्हें फील्ड मार्शल के पद की बढ़ी हुई पेंशन नहीं मिली थी।

(2007 में सरकार ने निर्णय लिया था कि जीवित फील्ड मार्शलों को सेवा प्रमुखों के बराबर पूर्ण पेंशन मिलनी चाहिए, क्योंकि फील्ड मार्शल रैंक के अधिकारी कभी सेवानिवृत्त नहीं होते हैं।)

दिल्ली पहुंचने पर कलाम ने मात्र एक सप्ताह में उनकी पेंशन की पूरी बकाया राशि सहित भुगतान करवा लिया। रक्षा सचिव लगभग 1.30 करोड़ रुपये का चेक लेकर विशेष विमान से वेलिंग्टन, ऊटी पहुंचे।

एक महान व्यक्ति ने दूसरे महान व्यक्ति के काम की कद्र की थी।

लेकिन.. जैसे ही उन्हें चेक मिला, सैम मानेकशॉ ने पूरी राशि सेना राहत कोष में दान कर दी!!

ऐसे ही महान विभूतियों के कारण भारत सनातन है
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳❤️

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