अफगानिस्तान के पकतीका प्रांत के मज़दूर मिया ख़ान की कहानी इंसानियत और उम्मीद की मिसाल है। खुद पढ़ाई से महरूम रहने वाले मिया ख़ान हर रोज़ बारह किलोमीटर का सफर तय करके अपनी बेटियों को स्कूल छोड़ते हैं और घंटों धूप, बारिश या बर्फ़ में बैठकर उनका इंतज़ार करते हैं। उनके लिए बेटियों की तालीम सबसे कीमती दौलत है, क्योंकि वो चाहते हैं कि उनकी बेटियाँ उनके शहर की पहली महिला डॉक्टर बनें। यह सपना न सिर्फ़ उनकी बेटियों का भविष्य बदलेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक नई राह खोलेगा, जहाँ बेटियाँ भी सपने देख सकें और उन्हें पूरा कर सकें।
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