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लोकमाता रानी अहिल्याबाई होल्कर
(उनके त्रिजन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में)
हमारा समाज पितृसत्तात्मक रहा है। अतः महिलाओं को शासन चलाने का अवसर जल्दी प्राप्त नहीं होता था। जब किसी राजा की मृत्यु हो जाती थी , तब उसकी विधवा पत्नी (रानी) को यह अवसर प्राप्त होता था , वह भी उस समय जब उसका (रानी का) पुत्र नाबालिग हो अथवा वह नि:संतान हो। जब राजा के पुत्र नहीं रहते थे , तब पुत्री को यह अवसर प्राप्त होता था।
इन्हीं परिस्थितियों में अपने देश की नारियों को शासन-सूत्र अपने हाथ में लेने का अवसर मिला है।
12 साल बाद, भारत फिर बना एशिया का सिरमौर!1🥳
जिन्सना मैथ्यू, रूपल चौधरी, रजिथा कुंजा और शुभा वेंकटेशन की अटूट चौकड़ी ने 4x400 मीटर रिले में 3:34.18 का सीज़न बेस्ट टाइम निकाला और एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप्स 2025 में गोल्ड मेडल जीत लिया!
बधाई हो चैंपियंस! आपने पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। 👏🎊
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🌄 कैलाश की कहानी – जहाँ महादेव और मां पार्वती का दिव्य वास है 🌺
हिमालय की ऊँचाइयों पर बसा एक रहस्यमयी पर्वत — कैलाश। यह केवल एक पहाड़ नहीं, बल्कि भगवान शिव का निवास है। जहां साधारण मनुष्यों का पहुंचना लगभग असंभव है, वहीँ शिवशंकर अपनी अर्धांगिनी मां पार्वती के साथ निवास करते हैं। यह वह स्थल है, जहाँ तप, ध्यान, वैराग्य और प्रेम – सब एक साथ प्रवाहित होते हैं।
🕉️ कैलाश – ब्रह्मांड का केंद्र
पुराणों में कहा गया है कि कैलाश पर्वत न केवल पृथ्वी का, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र है। यह चारों दिशाओं में पवित्र नदियों – गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र और सतलुज – का उद्गम स्थल है। इसे “देवताओं का धाम” भी कहा जाता है।
🌺 मां पार्वती का तप और शिव का वरदान
एक समय था जब सती का देहत्याग हुआ, और शिवजी गहन शोक में डूबे। युगों बाद, सती ने हिमवान की पुत्री पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। पार्वती ने कठोर तप किया, वर्षों तक वनों में रहकर अन्न-जल त्यागकर भगवान शिव को पाने के लिए साधना की।
शिवजी, जो ध्यानस्थ और वैरागी थे, पार्वती के प्रेम, तप और श्रद्धा से पिघल गए। और अंततः कैलाश पर उनका विवाह संपन्न हुआ — एक दिव्य मिलन, जो शिव और शक्ति के संगम का प्रतीक बना।
🔱 कैलाश पर जीवन
कैलाश पर भगवान शिव तपस्वी रूप में विराजमान रहते हैं — गले में सर्प, शरीर पर भस्म, जटाओं में गंगा, और सिर पर अर्धचंद्र। उनके पास ही माता पार्वती, प्रेम और ममता की मूर्ति, सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक बनकर बैठती हैं।
नंदी बैल उनका वाहन है, वहीं गणेश और कार्तिकेय उनके पुत्र हैं, जो कैलाश के दिव्य परिवार का हिस्सा हैं।
🔮 रहस्यों से भरा कैलाश
कहा जाता है कि आज भी कैलाश पर्वत पर कोई नहीं चढ़ सका। जो चढ़ने गए, वे या तो लौटे नहीं या कुछ बोलने की स्थिति में नहीं रहे। वैज्ञानिक भी कैलाश के ऊर्जा क्षेत्र को समझ नहीं पाए हैं।
लोग मानते हैं कि कैलाश पर आज भी भगवान शिव ध्यान में लीन हैं। कुछ साधु कहते हैं कि रात में वहां डमरू की आवाज़ सुनाई देती है, और एक दिव्य प्रकाश फैला होता है।
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✨ कैलाश की कहानी हमें क्या सिखाती है?
त्याग, प्रेम और तपस्या ही सच्चा मार्ग है।
वैराग्य और भक्ति साथ चल सकते हैं।
जहाँ शिव हैं, वहाँ शक्ति भी है — संतुलन ही सृष्टि का मूल है।
हर हर महादेव!
"ॐ नमः शिवाय"
Har Har Mahadev
#vardaan #vardan #shivshankar
#shivtrishul #damru #damruwala
#हर_हर_महादेव #शिवशक्ति #shivparvati #shiva #shakti #divinelove
#harharmahadev #महादेव #शिवशक्ति #तांडवरूप #शिवभक्ति #शिवतत्व
#शिव_पार्वती #अमर_प्रेम #पहली_प्रेमकहानी
🌄 कैलाश की कहानी – जहाँ महादेव और मां पार्वती का दिव्य वास है 🌺
हिमालय की ऊँचाइयों पर बसा एक रहस्यमयी पर्वत — कैलाश। यह केवल एक पहाड़ नहीं, बल्कि भगवान शिव का निवास है। जहां साधारण मनुष्यों का पहुंचना लगभग असंभव है, वहीँ शिवशंकर अपनी अर्धांगिनी मां पार्वती के साथ निवास करते हैं। यह वह स्थल है, जहाँ तप, ध्यान, वैराग्य और प्रेम – सब एक साथ प्रवाहित होते हैं।
🕉️ कैलाश – ब्रह्मांड का केंद्र
पुराणों में कहा गया है कि कैलाश पर्वत न केवल पृथ्वी का, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र है। यह चारों दिशाओं में पवित्र नदियों – गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र और सतलुज – का उद्गम स्थल है। इसे “देवताओं का धाम” भी कहा जाता है।
🌺 मां पार्वती का तप और शिव का वरदान
एक समय था जब सती का देहत्याग हुआ, और शिवजी गहन शोक में डूबे। युगों बाद, सती ने हिमवान की पुत्री पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। पार्वती ने कठोर तप किया, वर्षों तक वनों में रहकर अन्न-जल त्यागकर भगवान शिव को पाने के लिए साधना की।
शिवजी, जो ध्यानस्थ और वैरागी थे, पार्वती के प्रेम, तप और श्रद्धा से पिघल गए। और अंततः कैलाश पर उनका विवाह संपन्न हुआ — एक दिव्य मिलन, जो शिव और शक्ति के संगम का प्रतीक बना।
🔱 कैलाश पर जीवन
कैलाश पर भगवान शिव तपस्वी रूप में विराजमान रहते हैं — गले में सर्प, शरीर पर भस्म, जटाओं में गंगा, और सिर पर अर्धचंद्र। उनके पास ही माता पार्वती, प्रेम और ममता की मूर्ति, सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक बनकर बैठती हैं।
नंदी बैल उनका वाहन है, वहीं गणेश और कार्तिकेय उनके पुत्र हैं, जो कैलाश के दिव्य परिवार का हिस्सा हैं।
🔮 रहस्यों से भरा कैलाश
कहा जाता है कि आज भी कैलाश पर्वत पर कोई नहीं चढ़ सका। जो चढ़ने गए, वे या तो लौटे नहीं या कुछ बोलने की स्थिति में नहीं रहे। वैज्ञानिक भी कैलाश के ऊर्जा क्षेत्र को समझ नहीं पाए हैं।
लोग मानते हैं कि कैलाश पर आज भी भगवान शिव ध्यान में लीन हैं। कुछ साधु कहते हैं कि रात में वहां डमरू की आवाज़ सुनाई देती है, और एक दिव्य प्रकाश फैला होता है।
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✨ कैलाश की कहानी हमें क्या सिखाती है?
त्याग, प्रेम और तपस्या ही सच्चा मार्ग है।
वैराग्य और भक्ति साथ चल सकते हैं।
जहाँ शिव हैं, वहाँ शक्ति भी है — संतुलन ही सृष्टि का मूल है।
हर हर महादेव!
"ॐ नमः शिवाय"
Har Har Mahadev
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🌄 कैलाश की कहानी – जहाँ महादेव और मां पार्वती का दिव्य वास है 🌺
हिमालय की ऊँचाइयों पर बसा एक रहस्यमयी पर्वत — कैलाश। यह केवल एक पहाड़ नहीं, बल्कि भगवान शिव का निवास है। जहां साधारण मनुष्यों का पहुंचना लगभग असंभव है, वहीँ शिवशंकर अपनी अर्धांगिनी मां पार्वती के साथ निवास करते हैं। यह वह स्थल है, जहाँ तप, ध्यान, वैराग्य और प्रेम – सब एक साथ प्रवाहित होते हैं।
🕉️ कैलाश – ब्रह्मांड का केंद्र
पुराणों में कहा गया है कि कैलाश पर्वत न केवल पृथ्वी का, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र है। यह चारों दिशाओं में पवित्र नदियों – गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र और सतलुज – का उद्गम स्थल है। इसे “देवताओं का धाम” भी कहा जाता है।
🌺 मां पार्वती का तप और शिव का वरदान
एक समय था जब सती का देहत्याग हुआ, और शिवजी गहन शोक में डूबे। युगों बाद, सती ने हिमवान की पुत्री पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। पार्वती ने कठोर तप किया, वर्षों तक वनों में रहकर अन्न-जल त्यागकर भगवान शिव को पाने के लिए साधना की।
शिवजी, जो ध्यानस्थ और वैरागी थे, पार्वती के प्रेम, तप और श्रद्धा से पिघल गए। और अंततः कैलाश पर उनका विवाह संपन्न हुआ — एक दिव्य मिलन, जो शिव और शक्ति के संगम का प्रतीक बना।
🔱 कैलाश पर जीवन
कैलाश पर भगवान शिव तपस्वी रूप में विराजमान रहते हैं — गले में सर्प, शरीर पर भस्म, जटाओं में गंगा, और सिर पर अर्धचंद्र। उनके पास ही माता पार्वती, प्रेम और ममता की मूर्ति, सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक बनकर बैठती हैं।
नंदी बैल उनका वाहन है, वहीं गणेश और कार्तिकेय उनके पुत्र हैं, जो कैलाश के दिव्य परिवार का हिस्सा हैं।
🔮 रहस्यों से भरा कैलाश
कहा जाता है कि आज भी कैलाश पर्वत पर कोई नहीं चढ़ सका। जो चढ़ने गए, वे या तो लौटे नहीं या कुछ बोलने की स्थिति में नहीं रहे। वैज्ञानिक भी कैलाश के ऊर्जा क्षेत्र को समझ नहीं पाए हैं।
लोग मानते हैं कि कैलाश पर आज भी भगवान शिव ध्यान में लीन हैं। कुछ साधु कहते हैं कि रात में वहां डमरू की आवाज़ सुनाई देती है, और एक दिव्य प्रकाश फैला होता है।
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✨ कैलाश की कहानी हमें क्या सिखाती है?
त्याग, प्रेम और तपस्या ही सच्चा मार्ग है।
वैराग्य और भक्ति साथ चल सकते हैं।
जहाँ शिव हैं, वहाँ शक्ति भी है — संतुलन ही सृष्टि का मूल है।
हर हर महादेव!
"ॐ नमः शिवाय"
Har Har Mahadev
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