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#शुभ_गुरुवार_नवरात्र_षष्ठम_दिवस_माँ_कात्यायनी
माँ दुर्गा का छठवां स्वरूप माँ कात्यायनी एवं त्रिदेवों (ब्रह्मा विष्णु एवं महेश) जी की कृपा से आपका दिन शुभ हो!!
मंङ्गलम् भगवान विष्णु:, मंङ्गलम् गरुणध्वज:।
मंङ्गलम् पुण्डरी कक्ष:, मंङ्गलाय तनो हरि:।।
ॐ नमो ब्रह्मा विष्णु महेश नमः
ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नमः
#माँ_कात्यायनी
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
माँ दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी कहते हैं। कात्यायनी महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी इसलिए ये कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। माँ कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं। दुर्गा पूजा के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देता है। भक्त को सहजभाव से माँ कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। इनका साधक इस लोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज से युक्त होता है।।