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दुनिया में यह पौधा है, ईश्वर का वरदान, इसके औषधीय गुण जानकर डॉक्टर भी हैं हैरान

#नागफनी को संस्कृत भाषा में वज्रकंटका कहा जाता है . इसका कारण शायद यह है कि इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं .

पहले समय में इसी का काँटा तोडकर कर्णछेदन कर दिया जाता था .इसके Antiseptic होने के कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी . कर्णछेदन से hydrocele की समस्या भी नहीं होती।

नागफनी फल का हिस्सा flavonoids, टैनिन, और पेक्टिन से भरा हुआ होता है नागफनी के रूप में इसके अलावा संरचना में यह जस्ता, तांबा, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मोलिब्डेनम और कोबाल्ट शामिल है।

आज हम आप लोगों को नागफनी के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहा हूँ। नागफली का पौधा काँटों युक्त होता है। नागफली की खेती मुख्य रूप से राजस्थान व गुजरात में की जाती है।

इसका प्रयोग सब्जी के रूप में भी किया जाता है, क्योंकि इस पौधे की सब्जी में बहुत से पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। यह पौधा औषधीय गुण से भरपूर होता है।

इस पौधे में विटामिन A, विटामिन B 6, विटामिन C और विटामिन K से भरपूर होता है। इस पौधे का स्वाद कड़वा व बहुत ही गर्म तासीर का होता है। इस पौधे में एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है।

नागफनी नीचे दिए गए रोगों के लिए वरदान होती है। नागफनी में कांटे होने के कारण इसे संस्कृत भाषा में वज्रकंटका भी कहा जाता है।

नागफनी के चमत्कारी फायदे

1-नागफनी एक रेशेदार सब्जी है जिसमे फाइबर अधिक मात्रा में होता है फाइबर आँतो के ठीक से काम करने के लिए बहुत जरुरी होता है। नागफनी कब्ज और दस्त में लाभदायक है।

2-कान के दर्द में नागफली की 2-3 बूँद कान में डालने से तुरंत लाभ होता है।

3-नागफनी में कैल्सियम की मात्रा भरपूर होती है। अगर सूजन है , जोड़ों का दर्द है या चोट के कारण आप को चलने मे दिक्कत ही रही है, तो आप पत्ते को बीच में काटकर गूदे वाले हिस्से पर हल्दी और सरसों का तेल लगाकर गर्म कर बांध लें। आप की सूजन मात्र 2-3 घंटों में गायब हो जायेगी।

4-कुक्कर खांसी, में इसके फल को भुन कर खाने से लाभ होता है।

5-नागफनी के रस में सूजन, गठिया और मांसपेशियों की टूट फूट को ठीक करने के गुण पाया जाता है।

6-नागफनी मधुमेय के रोगियों के लिये वरदान है। यह डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति में ग्लूकोस लेवल को नियंत्रित रखता है।

7-हैड्रोसिल की समस्या में इसके पत्ते को बांधने से बहुत ही जल्द आराम मिलता है।

8-यदि किसी को दमा की समस्या है तो नागफनी के फल के टुकड़े कर , इन्हे सुखाकर ,उसका काढ़ा बनाकर पीने से दमा में बहुत ही जल्द आराम मिलता है और इसके लगातार सेवन से आप को दमा से निजात मिल जायेगा।

9-यदि इसके पत्तों के 4 से 5 ग्राम रस का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो कैंसर जैसी समस्या को भी रोका जा सकता है।

10-इसके फल से बना शरबत लगातार पिने से पित्त में होने वाले विकार सही हो जाता है।

11-यदि किसी व्यक्ति को निमोनिया की समस्या हो गयी है तो पौधे टुकड़े काट लें और इन टुकड़ों को उबाल कर दिन में दो बार पांच दिनों के तक सेवन करें

12-यह बड़े हुए प्रोस्टेट में बहुत ही सहायक व ग्रंथि की सूजन को नागफनी के फूल के सेवन से कम कर सकते हैं।

जय हिन्द जय भारत ❤️🇮🇳

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100%Right 👎🤜👍🤛

ये लाइन 2014 से पहले लगती थी याद है ना🤔

कितना प्यारा 😛😂😀😆🤠उनकी सरकार🤓😛

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👏🙏🙋
फिट होने की कोशिश करना बंद करो। ।।।
इस तथ्य को स्वीकार करो कि तुम अलग हो।।।

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अपना तो पूरा का पूरा नंबर 🤜🤛
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरकार के 8 साल पूरे होने पर लखनऊ में सोमवार को अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया है. उन्होंने रिपोर्ट कार्ड के जरिए सरकार की उपलब्धियां गिनाई हैं. आप उनके कार्यकाल को 10 में से कितने नंबर देंगे ? कमेंट कर बताएं....
#cmyogi #uttarpradesh #bjp #lucknow #latestupdates #myogiadityanath #up #indian

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गांव_के_बियाह
पहले गाँव मे न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग
थी तो बस सामाजिकता ।।
गांव में जब कोई शादी ब्याह होते तो घर घर से चारपाई आ
जाती थी,
हर घर से थरिया, लोटा, कलछुल, कराही इकट्ठा हो जाता था
और गाँव की ही महिलाएं एकत्र हो कर खाना बना देती थीं ।।
औरते ही मिलकर दुलहिन तैयार कर देती थीं और हर रसम का
गीत गारी वगैरह भी खुद ही गा डालती थी ।।
तब DJ अनिल-DJ सुनील जैसी चीज नही होती थी और न ही
कोई आरकेस्ट्रा वाले फूहड़ गाने ।।
गांव के सभी चौधरी टाइप के लोग पूरे दिन काम करने के लिए
इकट्ठे रहते थे ।।
हंसी ठिठोली चलती रहती और समारोह का कामकाज भी।
शादी ब्याह मे गांव के लोग बारातियों के खाने से पहले खाना
नहीं खाते थे क्योंकि यह घरातियों की इज्ज़त का सवाल होता
था ।।
गांव की महिलाएं गीत गाती जाती और अपना काम करती
रहती ।।
सच कहु तो उस समय गांव मे सामाजिकता के साथ समरसता होती थी ।।
खाना परसने के लिए गाँव के लौंडों का गैंग ontime इज्जत
सम्हाल लेते थे ।

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इस स्मारक को बिना किसी एडवांस टेक्नोलॉजी के बनाना असंभव है पत्थर के बने इस द्वारा को ध्यान से देखें हिंडोला तोराना मध्य प्रदेश के ग्यारसपुर में स्थित अद्वातीय स्मारक है इसकी जटिल नक्काशी हजारों साल पहले पत्थर पर किस प्रकार बनाई गई होगी

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सरल-सौम्य व्यक्तित्व के धनी #लोकसभा अध्यक्ष आदरणीय श्री ओम बिरला जी से #शिष्टाचार भेंटकर अनेक विषयों पर #मार्गदर्शन प्राप्त किया।
Om Birla

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"बेशक़ होगा शाह वो, मैं अलमस्त फ़क़ीर
उसका पीर कुबेर है, मेरा पीर कबीर!"
-- नरेश शांडिल्य
कबीर की फक्कड़ मस्ती, उनकी बेबाक शैली और गहरी आत्मदृष्टि को अपने दोहों में आत्मसात करने वाले प्रसिद्ध कवि नरेश शांडिल्य के दोहे केवल पढ़े नहीं जाते, जिये जाते हैं। श्वेतवर्णा प्रकाशन से सद्य प्रकाशित उनका दोहा-संग्रह 'मेरी अपनी सोच' आत्मबोध और सत्य की खोज का साक्षी है।
हिंदी विभाग, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं साहित्यिक संस्था ‘वयम्’ के संयुक्त तत्वावधान में नरेश शांडिल्य की इस पुस्तक पर चर्चा का आयोजन किया जा रहा है:-
दिनांक : सोमवार, 24 मार्च 2025
समय : प्रातः 11 बजे
स्थान : पेशवा बाजीराव सभागार, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
आइए, इस काव्य-यात्रा के सहभागी बनें! 💐💐

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