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गोविन्दा, गोविन्दा!
आज, 25 मार्च 2025, एकादशी के शुभ अवसर पर तिरुमला, तिरुपति स्थित भगवान वेंकटेश्वर जी के दर्शन-पूजन का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह अनुभव अविस्मरणीय रहा।
मैंने भगवान वेंकटेश्वर जी से हम सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य, सदैव सही मार्ग पर चलते रहने के लिए विवेक और सद्बुद्धि तथा सबकी सहायता करते रहने के लिए शक्ति और सामर्थ्य का वरदान मांगा।
एकादशी का यह दिन भगवान विष्णु जी की आराधना के लिए अत्यन्त पावन होता है, और मंदिर में आज का वातावरण इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहा था।
मंदिर में पहुंचते ही भक्तों की भारी संख्या, उनके उद्घोष "गोविन्दा-गोविन्दा" और मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय हो उठा। हर कदम के साथ भगवान वेंकटेश्वर के समीप पहुंचने की प्रसन्नता अलग ही थी। दर्शन के बाद जो शांति और संतुष्टि मिली, उसका शब्दों में वर्णन करना कठिन है।
मैंने आज व्रत रखा। दर्शन के पश्चात प्रसाद में मिले लड्डू, गुड़ की खीर और चावल का स्वाद कुछ और ही था।
मंदिर की व्यवस्था अत्यन्त सराहनीय थी, जिसने इस पवित्र यात्रा को और सुगम बनाया। मैंने कुछ तस्वीरें भी लीं, जो इस पवित्र यात्रा का सदैव स्मरण रखने में सहायता करेंगी।
गोविन्दा, गोविन्दा!
आज, 25 मार्च 2025, एकादशी के शुभ अवसर पर तिरुमला, तिरुपति स्थित भगवान वेंकटेश्वर जी के दर्शन-पूजन का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह अनुभव अविस्मरणीय रहा।
मैंने भगवान वेंकटेश्वर जी से हम सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य, सदैव सही मार्ग पर चलते रहने के लिए विवेक और सद्बुद्धि तथा सबकी सहायता करते रहने के लिए शक्ति और सामर्थ्य का वरदान मांगा।
एकादशी का यह दिन भगवान विष्णु जी की आराधना के लिए अत्यन्त पावन होता है, और मंदिर में आज का वातावरण इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहा था।
मंदिर में पहुंचते ही भक्तों की भारी संख्या, उनके उद्घोष "गोविन्दा-गोविन्दा" और मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय हो उठा। हर कदम के साथ भगवान वेंकटेश्वर के समीप पहुंचने की प्रसन्नता अलग ही थी। दर्शन के बाद जो शांति और संतुष्टि मिली, उसका शब्दों में वर्णन करना कठिन है।
मैंने आज व्रत रखा। दर्शन के पश्चात प्रसाद में मिले लड्डू, गुड़ की खीर और चावल का स्वाद कुछ और ही था।
मंदिर की व्यवस्था अत्यन्त सराहनीय थी, जिसने इस पवित्र यात्रा को और सुगम बनाया। मैंने कुछ तस्वीरें भी लीं, जो इस पवित्र यात्रा का सदैव स्मरण रखने में सहायता करेंगी।