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गजब का शानदार व्यक्तित्व है वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डाक्टर हरिओम जी का, विरले ही मिलते हैं ऐसे व्यक्तित्व के लोग, हम मुरीद हो चुके हैं इनके व्यक्तित्व और कार्यशैली के,
आम जनमानस को भरपूर सम्मान तो देते ही हैं, पत्रकार भी इनसे बहुत सम्मान पाते हैं और इनका भी सम्मान करते हैं।
बेहतर व्यक्तित्व के लिए आप का वंदन करते हुए आप के आजीवन प्रसन्नता की मंगल कामना करता हूं।
अजय प्रताप नारायण सिंह
प्रदेश अध्यक्ष
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति उत्तर प्रदेश

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गजब का शानदार व्यक्तित्व है वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डाक्टर हरिओम जी का, विरले ही मिलते हैं ऐसे व्यक्तित्व के लोग, हम मुरीद हो चुके हैं इनके व्यक्तित्व और कार्यशैली के,
आम जनमानस को भरपूर सम्मान तो देते ही हैं, पत्रकार भी इनसे बहुत सम्मान पाते हैं और इनका भी सम्मान करते हैं।
बेहतर व्यक्तित्व के लिए आप का वंदन करते हुए आप के आजीवन प्रसन्नता की मंगल कामना करता हूं।
अजय प्रताप नारायण सिंह
प्रदेश अध्यक्ष
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति उत्तर प्रदेश

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गजब का शानदार व्यक्तित्व है वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डाक्टर हरिओम जी का, विरले ही मिलते हैं ऐसे व्यक्तित्व के लोग, हम मुरीद हो चुके हैं इनके व्यक्तित्व और कार्यशैली के,
आम जनमानस को भरपूर सम्मान तो देते ही हैं, पत्रकार भी इनसे बहुत सम्मान पाते हैं और इनका भी सम्मान करते हैं।
बेहतर व्यक्तित्व के लिए आप का वंदन करते हुए आप के आजीवन प्रसन्नता की मंगल कामना करता हूं।
अजय प्रताप नारायण सिंह
प्रदेश अध्यक्ष
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति उत्तर प्रदेश

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*जय जवान जय किसान लोकशक्ति नामक किसानों के संगठन का कुनबा बढ़ रहा*
*तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलाप से क्षुब्ध सत्यभान सिंह चौहान ने चार माह पूर्व किसान हित में बनाया नया संगठन*
लखनऊ। मैनपुरी के मूल निवासी और पेशे से शिक्षक रहे सत्यभान सिंह चौहान एक जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि किसान समस्याओं को लेकर हमेशा संघर्ष करते रहे हैं।उन्होंने तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलापों से क्षुब्ध होकर चार माह पूर्व जय जवान जय किसान लोकशक्ति नाम से किसानों का एक नया संगठन खड़ा कर दिया है।
सत्यभान सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित इस नए संगठन से इन चार महीनों में आठ हजार से भी अधिक लोगों ने सदस्यता ले ली है, उत्तर प्रदेश के अलावा यह संगठन बिहार, झारखंड, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड में भी बहुत तेजी से फैल रहा हैं वैसे तो कर्नाटका, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल आदि राज्यों में भी इस नए संगठन से लोग जुड़ चुके हैं और तेजी से लोगों को जोड़ भी रहे हैं।
किसानों, नौजवानों तथा महिलाओं के हक और हुकूक के लिए संघर्ष को संकल्पित इस संगठन का कुनबा बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले दिनों निजी कार्यवश लखनऊ पहुंचे श्री चौहान का कहना है कि जय जवान जय किसान लोकशक्ति संगठन जनवरी तक अपनी नींव मजबूत करने के उद्देश्य से तेज तेज सदस्यता अभियान शुरू की है।

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*जय जवान जय किसान लोकशक्ति नामक किसानों के संगठन का कुनबा बढ़ रहा*
*तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलाप से क्षुब्ध सत्यभान सिंह चौहान ने चार माह पूर्व किसान हित में बनाया नया संगठन*
लखनऊ। मैनपुरी के मूल निवासी और पेशे से शिक्षक रहे सत्यभान सिंह चौहान एक जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि किसान समस्याओं को लेकर हमेशा संघर्ष करते रहे हैं।उन्होंने तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलापों से क्षुब्ध होकर चार माह पूर्व जय जवान जय किसान लोकशक्ति नाम से किसानों का एक नया संगठन खड़ा कर दिया है।
सत्यभान सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित इस नए संगठन से इन चार महीनों में आठ हजार से भी अधिक लोगों ने सदस्यता ले ली है, उत्तर प्रदेश के अलावा यह संगठन बिहार, झारखंड, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड में भी बहुत तेजी से फैल रहा हैं वैसे तो कर्नाटका, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल आदि राज्यों में भी इस नए संगठन से लोग जुड़ चुके हैं और तेजी से लोगों को जोड़ भी रहे हैं।
किसानों, नौजवानों तथा महिलाओं के हक और हुकूक के लिए संघर्ष को संकल्पित इस संगठन का कुनबा बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले दिनों निजी कार्यवश लखनऊ पहुंचे श्री चौहान का कहना है कि जय जवान जय किसान लोकशक्ति संगठन जनवरी तक अपनी नींव मजबूत करने के उद्देश्य से तेज तेज सदस्यता अभियान शुरू की है।

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*जय जवान जय किसान लोकशक्ति नामक किसानों के संगठन का कुनबा बढ़ रहा*
*तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलाप से क्षुब्ध सत्यभान सिंह चौहान ने चार माह पूर्व किसान हित में बनाया नया संगठन*
लखनऊ। मैनपुरी के मूल निवासी और पेशे से शिक्षक रहे सत्यभान सिंह चौहान एक जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि किसान समस्याओं को लेकर हमेशा संघर्ष करते रहे हैं।उन्होंने तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलापों से क्षुब्ध होकर चार माह पूर्व जय जवान जय किसान लोकशक्ति नाम से किसानों का एक नया संगठन खड़ा कर दिया है।
सत्यभान सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित इस नए संगठन से इन चार महीनों में आठ हजार से भी अधिक लोगों ने सदस्यता ले ली है, उत्तर प्रदेश के अलावा यह संगठन बिहार, झारखंड, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड में भी बहुत तेजी से फैल रहा हैं वैसे तो कर्नाटका, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल आदि राज्यों में भी इस नए संगठन से लोग जुड़ चुके हैं और तेजी से लोगों को जोड़ भी रहे हैं।
किसानों, नौजवानों तथा महिलाओं के हक और हुकूक के लिए संघर्ष को संकल्पित इस संगठन का कुनबा बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले दिनों निजी कार्यवश लखनऊ पहुंचे श्री चौहान का कहना है कि जय जवान जय किसान लोकशक्ति संगठन जनवरी तक अपनी नींव मजबूत करने के उद्देश्य से तेज तेज सदस्यता अभियान शुरू की है।

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*जय जवान जय किसान लोकशक्ति नामक किसानों के संगठन का कुनबा बढ़ रहा*
*तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलाप से क्षुब्ध सत्यभान सिंह चौहान ने चार माह पूर्व किसान हित में बनाया नया संगठन*
लखनऊ। मैनपुरी के मूल निवासी और पेशे से शिक्षक रहे सत्यभान सिंह चौहान एक जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि किसान समस्याओं को लेकर हमेशा संघर्ष करते रहे हैं।उन्होंने तमाम किसान संगठनों के क्रियाकलापों से क्षुब्ध होकर चार माह पूर्व जय जवान जय किसान लोकशक्ति नाम से किसानों का एक नया संगठन खड़ा कर दिया है।
सत्यभान सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित इस नए संगठन से इन चार महीनों में आठ हजार से भी अधिक लोगों ने सदस्यता ले ली है, उत्तर प्रदेश के अलावा यह संगठन बिहार, झारखंड, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड में भी बहुत तेजी से फैल रहा हैं वैसे तो कर्नाटका, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल आदि राज्यों में भी इस नए संगठन से लोग जुड़ चुके हैं और तेजी से लोगों को जोड़ भी रहे हैं।
किसानों, नौजवानों तथा महिलाओं के हक और हुकूक के लिए संघर्ष को संकल्पित इस संगठन का कुनबा बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले दिनों निजी कार्यवश लखनऊ पहुंचे श्री चौहान का कहना है कि जय जवान जय किसान लोकशक्ति संगठन जनवरी तक अपनी नींव मजबूत करने के उद्देश्य से तेज तेज सदस्यता अभियान शुरू की है।

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1954 के एशियाई खेलों में पुरुषों की 110 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाले सरवन सिंह को कई सालों तक अपनी आजीविका चलाने के लिए टैक्सी चलानी पड़ी और एक बार तो उन्हें अपना पदक भी बेचना पड़ा। मजेदार बात यह है कि उन्होंने ही कुख्यात एथलीट से डाकू बने पान सिंह तोमर को देखा था।

जब सरवन सिंह ने 1954 के एशियाई खेलों में 110 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीता, तो ऐसा लगा कि वे महान बनने के लिए किस्मत में थे। उनके लिए, दौड़ पूरी करने में लगे 14.7 सेकंड उनके जीवन के सर्वश्रेष्ठ क्षण थे, जैसा कि उन्होंने खुद माना। यह उनका पहला अंतरराष्ट्रीय आयोजन था और ऐसा लग रहा था कि उनका करियर शानदार होने वाला है। लेकिन किस्मत ने कुछ और ही सोच रखा था और सच्चाई ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया। जब वे 1970 में बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप में सेवा से सेवानिवृत्त हुए, तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं। अंबाला में 20 साल तक टैक्सी चलाते हुए, परिवार और दोस्तों से दूर।

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महीने की प्रेग्नेंट होने के बावजूद ओलंपिक में खेलकर मैडल जीत लाई, लेकिन अफसोस, इस बेटी को अभी तक किसी ने बधाई नहीं दी।

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इनकी खबर तो पता चल ही गई होगी सभी को

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