Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
#बधाई: #चंपावत की तनुजा भट्ट कुमाऊँ विश्वविद्यालय की बनी #टॉपर, स्वर्ण पदक किया हासिल…..
बता दें चंपावत जिले की जूप की रहने वाली तनुजा भट्ट ने कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल से एमएससी केमिस्ट्री सब्जेक्ट के साथ टॉप किया है जिसके तहत उन्हें नैनीताल के डीएसबी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जर्नल गुरमीत सिंह और वाइस चांसलर , प्रोफेसर गंगा सिंह बिष्ट ने गोल्ड मेडल से सम्मानित किया है। दरअसल बीते सोमवार को कुमाऊं विश्वविद्यालय के 19 वें दीक्षांत समारोह में 69 मेधावी छात्र-छात्राओं को मेडल प्रदान किए गए इसके साथ ही शोध पूरा कर चुके 201 शोधार्थियों को पीएचडी अवार्ड प्रदान किया गया। बताते चलें तनुजा भट्ट वर्तमान में हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज से पढ़ाई कर रही है जिन्हें इस बार पीएचडी के लिए भी स्कॉलरशिप मिली है। तनुजा के पिता पोस्टल विभाग में कार्यरत हैं। तनुजा की इस विशेष उपलब्धि के बाद से उन्हें लगातार बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
दिल्ली में वीर सावरकर कॉलेज का होना भारत की एक साहसी और योग्य संतान को देश की राजधानी उचित सम्मान देने की भव्य शुरुआत है।
वीर सावरकर 25 साल तक काला पानी, ब्रिटिश जेल, नज़रबंदी तथा जिला बंदी में रहे।
नेहरू समेत जो नेता अक्सर महलों में क़ैद किए जाते थे, वे इस शौर्य को समझ नहीं पाए।
लाल बहादुर शात्री और फिर इंदिरा गांधी ने उन्हें उचित सम्मान दिया। स्वतंत्रता सेनानी पेंशन दिया। डाक टिकट जारी किया।
नेहरू ख़ानदान की वर्तमान पीढ़ी इतिहास से कटी हुई है।
गमलों में उगे
@RahulGandhi
जैसे लोग सावरकर को नहीं समझ पाएँगे।
सावरकर जाति-मुक्ति और आधुनिकता के भी प्रणेता थे। भारत का प्रथम सर्व जातीय पतित पावन मंदिर सावरकर द्वारा स्थापित किया गया। सार्वजनिक सर्वजातीय सहभोजन भी उनकी शुरू की हुई परंपरा है।
पोंगापंथी जातिवादी और कठमुल्ला दोनों ही सावरकर को नहीं समझ पाएँगे
श्रीनगर गढ़वाल की #चायवाली_अंजना -- पिता को खोया लेकिन नहीं खाया हौसला.....
अभावों से भरा जीवन एवं कम उम्र में मिली जिम्मेदारियां व्यक्ति को जो सीख देती हैं उसे जीवन की कोई पाठशाला नहीं दे सकती है। अभावों एवं जिम्मेदारियों से भरी जीवन की इसी पाठशाला से बनी एवं तपी है वीरांगना #तीलू_रौतेली_पुरस्कार से सम्मानित 34 वर्षीय अंजना रावत। जिनके संघर्षों की कहानी समाज को प्रेरणा देती है। अंजना वजीरों का बाग ओल्ड पीएनबी रोड पर एक छोटी सी #चाय की दुकान चलाती हैं। 2011 तक उसके पिताजी स्वर्गीय गणेश सिंह इस दुकान को चलाते थे। जिससे किसी तरह से उनके पांच लोगों के परिवार का खर्चा चलता था। अभावों से बाहर आने की छटपटाहट के साथ अंजना की कॉलेज लाइफ शुरु हुई। परिवार एवं जिंदगी को नई दिशा देने के सपने उसने देखने शुरु कर दिए थे। लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था। साल 2010 में उसके पिताजी को गले का #कैंसर हो गया। पिताजी अस्पताल पहुंच गए। नियति ने अंजना का संघर्ष और कठिन कर दिया। परिवार के लिए अंजना ने चाय की दुकान में बैठना शुरु कर दिया। कॉलेज पड़ने वाली लड़की के लिए चाय की दुकान चलाना आसान नहीं था। साल 2011 में उसके पिताजी जिन्दगी की जंग हार गए। लेकिन अंजना नहीं हारी। उसने चाय की दुकान के साथ साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। समाज शास्त्र में एमए किया, एवं एम एस डब्ल्यू का डिप्लोमा भी हासिल किया।
अंजना कम उम्र में पहाड़ सी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला है। पिताजी की मृत्यु के बाद उन्होंने अपनी बड़ी बहिन की शादी एवं छोटे भाई को अपने पैरों पर खड़े होने लायक बनाया।
अंजना के जीवनीय संघर्ष को सलाम करते हुए राज्य सरकार ने उसे 2020 में वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार से भी सम्मानित किया है। इसके अलावा समय समय पर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी सम्मानित किया।
कम उम्र में जीवन का एक बड़ा हिस्सा परिवार को देने के बाद, अब अंजना राजनीति के माध्यम से समाज सेवा में आगे बढ़ना चाहती है।
भारतीय शादियों का शाही अंदाज अक्सर पर्यावरण पर भारी पड़ता है, लेकिन अश्विन मलवड़े और नूपुर अग्रवाल ने इसे बदलने की ठानी। मुंबई के वर्सोवा बीच की सफाई अभियान में मिले इस जोड़े ने 2020 में अपनी शादी को 'ज़ीरो-वेस्ट' बना दिया। पुणे में हुई इस शादी में अपसाइकिल्ड डेकोर, स्थानीय फूल, रिपर्पज्ड लहंगा और इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल हुआ। बचे हुए भोजन को ज़रूरतमंदों में बांटा गया, और हर मेहमान के लिए चार पेड़ लगाए गए।
आज उनका स्टार्टअप ‘ग्रीनमायना’ इको-फ्रेंडली इवेंट्स के ज़रिए पर्यावरण को बचाने का काम कर रहा है। उन्होंने अब तक 3,000 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन घटाया, 300+ पेड़ लगाए और 8,800 किलोग्राम कचरे को कम्पोस्ट किया है।