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नेता विपक्ष श्री Rahul Gandhi ने दिल्ली की एक सब्जी मंडी में पहुंचकर लोगों के साथ सब्जी के दुकानदारों से बातचीत की।
इस बातचीत के दौरान उन्होंने आम जनता की समस्याएं भी सुनीं, जो बढ़ती महंगाई से त्रस्त है।
आज देश में भीषण महंगाई के बीच लोग अपनी जरूरत की छोटी- छोटी चीजों पर समझौता करने को मजबूर हैं।

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सुप्रभात 🙏🌹

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पहाड़ की इस बेटी से मिलेगी। ये है नीतू पंडित जो महज 22 साल की है और उनके जज्बे की बात करें तो आज फोरलेन पर 16 टायर (चक्की) का 35 टन भार क्षमता का कमर्शियल ट्राला चला रही है। नीतू सरकाघाट के समसौह गांव की रहने वाली है।
आपका बता दे नीतू पंडित को हैवी कमर्शियल लाइसेंस भी मिल चुका है इससे पहले सरकाघाट की ही नेहा ठाकुर ट्रक ड्राइविंग के लिए काफी सुर्खियां सोशल मीडिया पर बटोर चुकी है आशा करते हैं आप इस बेटी को भी उतना ही प्यार और सम्मान देंगे। हम नीतू पंडित के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है। 💐👌💐

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भारत में 13 से 19 जनवरी 2025 तक खो-खो का पहला वर्ल्ड कप नई दिल्ली में आयोजित होगा। इस आयोजन के लिए उत्तराखंड से तीन खिलाड़ी चुने गए हैं: महिला वर्ग में हल्द्वानी की अंजू आर्या, और पुरुष वर्ग में ऋषिकेश के अभिषेक त्रिशूलिया और लक्ष्मण ठाकुर। ये खिलाड़ी स्कूल स्तर से खो-खो खेल रहे हैं। वर्ल्ड कप में 24 देश भाग लेंगे, जिसमें 16 पुरुष और 16 महिला टीमें होंगी। प्रत्येक टीम में 18 सदस्य होंगे, जिनमें खिलाड़ी, कोच, मैनेजर और सपोर्ट स्टाफ शामिल होंगे

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जंगल और खेत-खलिहानों में बीता बचपन
बागेश्वर की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वाली कमला देवी ने बताया, उनका बचपन गाय-भैंसों के साथ जंगल और खेत-खलिहानों के बीच बीता। छोटी उम्र में शादी हो गई तो घर, खेतीबाड़ी में ही लगी रहीं। पिता से मिली विरासत में कमला देवी न्यौली, छपेली, राजुला, मालूशाही, हुड़कीबोल आदि गीत गाती हैं।
गीत गाने का शौक था, लेकिन नहीं मिला मौका
कमला देवी ने बताया, उन्हें बचपन से गाने का शौक था, लेकिन कभी मौका नहीं मिला। एक दिन प्रसिद्ध जागर गायक शिरोमणि पंत से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने गाने का मौका दिया। पंत ने कहा, उत्तराखंडी लोकगीतों व संस्कृति को संरक्षित करने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। वहीं, उनके पति गोपाल राम ने कहा, कमला की आवाज ने सालों बाद उनके परिवार और गांव को नई पहचान दी है।
फोटो साभार :- कमला देवी व कोक स्टूडियो

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जंगल और खेत-खलिहानों में बीता बचपन
बागेश्वर की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वाली कमला देवी ने बताया, उनका बचपन गाय-भैंसों के साथ जंगल और खेत-खलिहानों के बीच बीता। छोटी उम्र में शादी हो गई तो घर, खेतीबाड़ी में ही लगी रहीं। पिता से मिली विरासत में कमला देवी न्यौली, छपेली, राजुला, मालूशाही, हुड़कीबोल आदि गीत गाती हैं।
गीत गाने का शौक था, लेकिन नहीं मिला मौका
कमला देवी ने बताया, उन्हें बचपन से गाने का शौक था, लेकिन कभी मौका नहीं मिला। एक दिन प्रसिद्ध जागर गायक शिरोमणि पंत से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने गाने का मौका दिया। पंत ने कहा, उत्तराखंडी लोकगीतों व संस्कृति को संरक्षित करने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। वहीं, उनके पति गोपाल राम ने कहा, कमला की आवाज ने सालों बाद उनके परिवार और गांव को नई पहचान दी है।
फोटो साभार :- कमला देवी व कोक स्टूडियो

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जंगल और खेत-खलिहानों में बीता बचपन
बागेश्वर की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वाली कमला देवी ने बताया, उनका बचपन गाय-भैंसों के साथ जंगल और खेत-खलिहानों के बीच बीता। छोटी उम्र में शादी हो गई तो घर, खेतीबाड़ी में ही लगी रहीं। पिता से मिली विरासत में कमला देवी न्यौली, छपेली, राजुला, मालूशाही, हुड़कीबोल आदि गीत गाती हैं।
गीत गाने का शौक था, लेकिन नहीं मिला मौका
कमला देवी ने बताया, उन्हें बचपन से गाने का शौक था, लेकिन कभी मौका नहीं मिला। एक दिन प्रसिद्ध जागर गायक शिरोमणि पंत से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने गाने का मौका दिया। पंत ने कहा, उत्तराखंडी लोकगीतों व संस्कृति को संरक्षित करने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। वहीं, उनके पति गोपाल राम ने कहा, कमला की आवाज ने सालों बाद उनके परिवार और गांव को नई पहचान दी है।
फोटो साभार :- कमला देवी व कोक स्टूडियो

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देश की एक होनहार बेटी, कैप्टन शिवा चौहान बाधाओं को तोड़कर एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित कर रही हैं।

राजस्थान की रहने वाली शिवा, दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे कठिन युद्धक्षेत्र सियाचिन पर तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। उनके लिए यह उपलब्धि देश की सेवा करने का सपना देखने वाली हर लड़की के लिए एक संदेश है। कैप्टन शिवा ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह उनके लिए सिर्फ एक नौकरी नहीं है बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है।

हालांकि, यह कोई आसान काम नहीं है, इसके लिए आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना होता है और हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना पड़ता है।
चट्टानों पर चढ़ना और ठंडी हवाओं का सामना करना, जैसी कई बड़ी-बड़ी चुनौतियाँ आती हैं। कैप्टन शिवा ने देश की सेवा के लिए एक दृढ़ संकल्प लिया और हर मुश्किल के लिए खुद की तैयार किया।
कैप्टन शिवा का साहस हर उस लड़की और उनके परिवार के लिए प्रेरणा है, जिन्हें आज भी लगता है कि ऐसी मुश्किल जगहें महिलाओं के लिए नहीं है।

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