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ਮੈਗਾ ਸਪੋਰਟਸ 'ਖੇਡਦਾ ਪੰਜਾਬ ਬਦਲਦਾ ਪੰਜਾਬ' ਸਕੀਮ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇਗੀ ਲਾਂਚ

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स्वस्थ पंजाब के लिए 5598 करोड़ का बजट आवंटन

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जब कानून वाले ही कानून तोड़े तो
क्या आप जानते हैं भारत में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राज्यपाल से भी ज्यादा प्रोटोकॉल जजों को हासिल है
केंद्र सरकार या राज्य सरकार इन्हें सस्पेंड या बर्खास्त नहीं कर सकती
उनके घर पुलिस सीबीआई ईडी बगैर चीफ जस्टिस के इजाजत के नहीं जा सकती
यह कितने भी भ्रष्ट हो इनकी निगरानी नहीं की जा सकती उनके फोन या तमाम गजट को सर्वेलेंस पर नहीं रखा जा सकता
इसीलिए भारत का हर एक जज खुलकर भ्रष्टाचार करता है घर में नोटों की बोरे भर भरकर रखता है
और कभी पकड़ में नहीं आता
जस्टिस वर्मा भी पकड में नहीं आते अगर उनके घर पर आग नहीं लगी होती और एक ईमानदार फायर कर्मचारी ने वीडियो नहीं बनाया होता
सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया की अफवाह फैलाई जा रही है
दिल्ली हाईकोर्ट ने तुरंत क्लीन चिट दे दिया कि अफवाह फैलाई जा रही है
टीवी चैनलों पर वी के मनन अभिषेक मनु सिंघवी जैसे बड़े-बड़े वकील कह रहे थे आग तो जनरेटर में लगी थी अंदर कोई गया ही नहीं था तो नोट मिलने का सवाल कैसे उठाता
तरह-तरह की थ्योरी दी जा रही थी
मगर यह लोग भूल गए की आग बुझाने वाले ने यह सोचकर वीडियो बना लिया यह एक जज का घर है जो भारत में राष्ट्रपति से भी ऊंचा है बगैर सुबुत के इसके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होगी इसीलिए उसने वीडियो बना लिया
लेकिन जस्टिस वर्मा इतना घाघ है अब नई थ्योरी देकर कह रहा है कि स्टोर रूम तो मेरे कब्जे में था ही नहीं
यह वही जज है जिसने हेमंत सोरेन के खिलाफ सीबीआई जांच रोकने के आदेश दिए थे
यह वही जज है जिसने दिल्ली दंगों के 11 दंगाइयों को पर्याप्त सबूत होने के बावजूद रिहा करने का आदेश दिया था जबकि निचली अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दिया था
आप लोग क्या समझते हैं यह सारे फैसले जस्टिस वर्मा ने यूं ही दिए होंगे ??
आप लोग की क्या राय है अपनी तो पूर्ण सेवानिवृत्त…
हम गरीब लोग 100 रुपए में हंस खुश रहते यहां करोड़ों रुपए यूं ही स्वाहा किए जा रहे 🙏
अजब गजब कहानी महादेव जी अब क्या होगा ??!!!
जय हिन्द जय भारत

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माँस, मछली खाना गलत क्यो कहा गया है ?
अनाज खाना सही क्यो कहा गया है ?
जब कि चेतना, जीवन तो दोनों में ही है,
एक दिन, ऐसा प्रश्न किसी सज्जन ने मुझसे किया , मैं मुस्कुरा कर बोला कि इस प्रश्न का उत्तर वाकई में आप को चाहिए तो मैं सिर्फ कोसिस कर सकता हूँ
और यदि बहस कुतर्क ही करना है तो मैं अपनी हार पहले ही मान लेता हूँ कि मुझे पता नही 😊😊😊
वैसे भी किसी सोते हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है, परन्तु जो जान बूझ कर लेटा है,सोने का नाटक कर रहा है,उठना ही नही चाहता , तो फिर उसे जगाना लगभग असंभव है
तो वो बोले कि मुझे वास्तव में जानना है
मैंने कहा ठीक है, पहले मेरे प्रश्न का जवाब दो , खूब सोच समझ कर ही जवाब देना
मान लो कि ऐसी परिस्थिति आ जाय कि तुम्हारे सामने , एक 10-12 साल का बच्चा और एक 70-75 साल का बूढ़ा व्यक्ति पानी मे डूब रहे है, और परिस्थितिवश तुम सिर्फ एक को ही बचा सकते हो, दोनो को नही,
तो तुम किसे बचावोगे ??
उसने जवाब दिया कि बच्चे को
ठीक है, फिर यदि तुम्हारे घर के उसी 70-75 साल के व्रद्ध के ऊपर तुम्हारा बैल हमला कर दे ,जो बैल खेत जोतता है तो क्या उस व्रद्ध को बचाने की आखरी कोशिस में तुम उस बैल को मार सकते हो ??
वो बोला -- हाँ
अब यदि उस बैल को सांप काटने आये तो क्या उस बैल को बचाने के आखरी प्रयास में सांप को मार दोंगे ??
वो बोला -- हाँ
मैं बोला कि तुम ऐसा क्यो करोगे या करते हो ??
क्योकि तुम्हारी नजर में
सांप की जिन्दगी से बैल की जिंदगी की वैल्यू ज्यादा है,
बैल से ज्यादा उस वृद्ध इंसान की वैल्यू ज्यादा है,
उस वृद्ध इंसान से ज्यादा बच्चे की जिंदगी
ठीक ऐसे ही
चेतना, जीवन तो सब मे है, किसमे ज्यादा एक्टिव चेतना है या इस प्रकृति में मानव जीवन के लिये कौन ज्यादा महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा है , उसी आधार पर , ये प्रकृति किसी की importance महत्ता देखती है
ये रहस्य , प्रकृति के रहस्य, हमारे देश के ऋषि , मुनियों ने हजारों साल पहले जान लिए थे, क्योकि वो प्रकृति के बहुत करीब थे
वो जानते थे कि अपने आर्थिक स्वार्थ , अहंकार के कारण हम बहुत सी चीजें नही देख पाएंगे,
बरगद का पेड़, पीपल का पेड़, तुलसी का पौधा, फल नही देता है, परन्तु बहुत सी निगेटिव एनर्जी को खत्म करता है, हवा को शुद्ध करता है, इसलिये बरगद,पीपल,तुलसी की पूजा का सिस्टम बनाया,इंसान को इनसे भावनात्मक जोड़ा,
कौवे को पित्तर पक्छ में पूर्वज मान कर उसे खिलाने का, पूजने का, बचाने का, सिस्टम बनाया ,क्योकि कौवा सुन्दर दिखता नही,बोलता नही, परन्तु कौवा पीपल के फल को खा कर उसके बीज को लैट्रिन से निकालता है तो उसी बीज से पीपल उगता है, डायरेक्ट नही,
मानव जीवन के लिए शुद्ध हवा चाहिये, जिसके लिये पीपल का पेड़, पीपल के पेड़ के लिये कौवा जरूरी है
ऐसे प्रकृति के बहुत रहस्य है, जिसे आज का विज्ञान अभी खोज ही रहा है
प्रकृति के ढेरों रहस्य जान कर ही ऋषि मुनियों ने कहा कि बहुत इमरजेंसी न आ जाय तब तक शाकाहार का ही निर्वाह करना चाहिए
क्योकि वो जानते थे कि
यदि हम जानवर खाएंगे तो जानवर ही बन जाएंगे
और फल,अनाज,साग खाएंगे तो पेड़,पौधों की तरह शांत,मौन,परोपकारी बनेंगे
दूसरी बात
कोई भी क्रिया सिर्फ क्रिया है, पाप कर्म या पुण्य कर्म नही , उस क्रिया को करने का उद्देश्य परिस्थिति क्या है, उस आधार पर वो क्रिया पाप-पुण्य , सही-गलत , हो जाती है
उदाहरण- एक सैनिक बॉर्डर पर 10 लोगो को जान से मार देता है,
result -- परमवीर चक्र
क्योकि देश की रक्छा के उद्देश्य से , ( बिना किसी निजी स्वार्थ,अहंकार के ) वो मनुष्य हत्या की क्रिया भी पुण्य कर्म है
वही सैनिक घर आकर पड़ौसी को गोली मार दे तो फांसी की सजा
वैसे ही --
माँस खाना हमेशा गलत या पाप कर्म नही है,
यदि अनाज , वनस्पति, फल मिल सकते है तो हमे अपना जीवन चलाने के लिये इनका ही प्रयोग करना होगा , क्योकि प्रकति की नजर में जीवो की वैल्यू ज्यादा है,वनस्पति के मुकाबले
अनाज फल आदि मिल सकता हो फिर भी हम अपने स्वाद , अपने अहंकार, भृम के कारण , माँस खाये तो गलत है,पाप है
यदि किसी जीव,जंतु,जानवर के सरीर से औषधि बना कर किसी इंसान की जान बचाई जाती है तो ये पुण्य कर्म है

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जय श्री राम ♥️♥️🥰
💥🙏 🇯‌🇦‌🇮 🇸‌🇭‌🇷‌🇪‌🇪‌ 🇷‌🇦‌🇦‌🇲‌ 🙏 💥#हे__दुःख__भन्जन__मारुती__नंदन__सुन_लो_मेरी_पुकार__पवनसुत__विनती__बारम्बार
🔔🚩 || #ॐ_श्री_केशरीनंदन_हनुमंते_नमः || 🚩🔔
🙏*संकट कटै मिटै सब पीरा* 🙏
🙏 जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥🙏

#ॐश्री_हनुमतेय_नमो_नमःॐ_जयश्रीराम

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अपना पराया कोई भी हो🙏
हम ऐसे AL EDIT PHOTO का विरोध करते🙏
सोशल मीडिया पर दिखी ऐसी एडिट फोटो जो मुझे अच्छी नहीं लगी,
ऐसा टीका टिप्पणी ठीक नहीं ………

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जय हिन्द जय भारत
जब दिल्ली के आसपास के इलाकों में किसान आंदोलन हो रहा था और मोदी जी ने माफी मांगते हुए तीनों बिल वापस ले लिए थे तो उस समय मेरे एक मित्र ने हँसी उड़ाते हुए कहा था कि...
देख लिया न अपने फट्टू मोई जी की करतूत ???
अभी इंदिरा रहती न तो सबको सबक सिखा देती.
और, उस समय भी मैंने हंसते हुए जबाब था कि इसी सबक सिखाने के चक्कर में तो वो गई.
और हाँ...
तुम सब चीज पर संदेह कर लो लेकिन............👇
और हाँ...
तुम सब चीज पर संदेह कर लो लेकिन “मोई जी” की राजनीतिक सूझ बूझ पर संदेह करके अपनी मूर्खता का ही परिचय दे रहे हो.
मोदी जी के साथ जो...
मोटा भाई, डोभाल और जयशंकर जी हैं न...
वे अब तक के बेस्ट कॉम्बिनेशन हैं किसी भी समस्या से निपटने के लिए.
खासकर डोभाल तो...
खाली अस्तानी डिपार्टमेंट के पीएचडी हैं.
इसीलिए, अगर ये लोग उन सबसे नहीं निपट सके तो समझो कि फिर कोई नहीं निपट सकेगा.
आम आदमी पार्टी ने इस आंदोलन में खूब पेट्रोल डालने की कोशिश की थी। आज पंजाब में खुद AAP इस आग में झुलस रही है। क्योंकि असली किसानों को समझ आ चुका है कि बिलेन कौन है।
खैर...
आज महज 3 साल बाद ही उन खालिस्तानियों का डेरा-डंटा उखड़ना शुरू हो गया... और, वो समय दूर नहीं है जब ये सिर्फ इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेगा.
अगर सूक्ष्मता से देखें तो...
कहानी बिल्कुल शतरंज के घोड़े जैसी थी जो देख यहाँ रहा था और वार वहाँ कर रहा था.
असल में हुआ ये था....
किसान आंदोलन करके कहीं कुछ था ही नहीं.
अगर , शुरुआत में कहीं कुछ थोड़ा बहुत था भी तो बाद में वो खालिस्तानियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया था.
ये बात सिर्फ हमलोग ही नहीं बल्कि सरकार हमसे भी पहले से जान रही थी. लेकिन, उन्होंने चालाकी से अपने ऊपर किसान नाम का एक पर्दा लगा लगा था..
ठीक वैसे ही...
जैसे किसी इंसान के अंदर कोई भूत घुस जाता है.
अब आप भूत को मारने के चक्कर में अगर पीड़ित को मारोगे तो चोट और घाव इंसान को होने हैं न कि उनके अंदर घुसे भूत को.
इसीलिए, अगर उन्हें उसी समय सबक सिखाया जाता तो उससे दो बात होती...
पहला तो ये मैसेज जाता कि ये सरकार किसान विरोधी है जो हमारे अन्नदाता को बेरहमी से मारती है और उनपर अत्याचार करती है.
दूसरा मैसेज ये चला जाता कि ये सरकार सिख विरोधी है जो बहुतायत में जुटे हुए सिखों को बेरहमी से मारा.
इससे खालिस्तानियों को हमारे अन्य सिख बंधुओं को बरगलाने में मदद मिलती कि.... देखो, केंद्र में हिंदुओं की सरकार है इसीलिए उन्होंने हम सिखों पर इतने अत्यचार कर रही है....
अगर, हमारा अपना देश होता और अपनी सरकार होती तो हम पर इतना अत्याचार थोड़े न होता.
इस तरह.... उन्हें सबक सिखाने के चक्कर में हम अपना ही हाथ जला बैठते.
इसीलिए, मोदी सरकार चुपचाप शांत बैठी रही और नजर रखे रही कि.... इनको सपोर्ट कौन दे रहा है और पैसा कौन उपलब्ध करवा रहा है ?
उधर खालीस्तानी बॉर्डर एवं लालकिले पर उत्पात कर रहे थे और इधर मोदी एंड कंपनी उन सबकी कुंडली खंगाल रही थी...
सभी जड़ों एवं स्रोत को पहचान लेने के बाद....
मोई जी ने माफी मांगकर एवं बिल वापस लेकर उनके उत्पात करने का मुख्य पर्दा ही हटा दिया... और, उन्हें मजबूरन बॉर्डर से मजमा हटाना पड़ा.
जिसके बाद अध्याय दो शुरू हुआ कि.....
अगर आपको याद हो तो.. अभी 2 साल पहले की ही तो बात है गुरुद्वारे में इसको मार दो, उसको मार दो...
बेअदबी, गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान...
आदि आदि.
इसके पीछे की उन खालिस्तानियों की रणनीति ये थी कि जैसे ही केंद्र सरकार इसपर एक्शन लेगी, हम इसे अपनी कम्युनिटी पर हो रहे अत्याचार के रूप में इसे प्रचारित करेंगे और अपने प्रति सहानुभति बटोर कर कश्मीर जैसा एक नेक्सस खड़ा कर लेंगे...
लेकिन, उनका दुर्भाग्य कि मोदी सरकार उनकी हर रणनीति को अच्छी तरह समझ रही थी इसीलिए वो उचित समय का इंतजार कर रही थी.
और, ब्रिटेन में हुए तिरंगे के अपमान के साथ ही मोई सरकार को ये मौका मिल गया.
क्योंकि,
चाहे कोई भी विशेषकर देशभक्त सिख कम्युनिटी कभी ये बर्दाश्त नहीं कर सकती है कि उनके देश का अपमान हो क्योंकि वे हमेशा से देश के लिए अपना बलिदान देने वाली कम्युनिटी रही है.
इसीलिए...
अतिउत्साह में अपने देश का अपमान करना कालीस्तानियों के लिए एक आत्मघाती कदम रहा और ऐसा करके अपने ही देशभक्त समुदाय का समर्थन खो दिया एवं मोदी सरकार को मौका दे दिया कि वो चिर प्रतीक्षित कदम उठाकर अब इस समस्या को समाप्त कर दे...
फिर शुरू हुआ “आप्रेशन अज्ञात” 😂😂

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संसद में दिखाई जाएगी "छावा" मूवी 🔥🔥
मोदी जी भी रहेंगे शामिल...
जय शिवा जी 🔥🔥

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दुनिया में यह पौधा है, ईश्वर का वरदान, इसके औषधीय गुण जानकर डॉक्टर भी हैं हैरान

#नागफनी को संस्कृत भाषा में वज्रकंटका कहा जाता है . इसका कारण शायद यह है कि इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं .

पहले समय में इसी का काँटा तोडकर कर्णछेदन कर दिया जाता था .इसके Antiseptic होने के कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी . कर्णछेदन से hydrocele की समस्या भी नहीं होती।

नागफनी फल का हिस्सा flavonoids, टैनिन, और पेक्टिन से भरा हुआ होता है नागफनी के रूप में इसके अलावा संरचना में यह जस्ता, तांबा, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मोलिब्डेनम और कोबाल्ट शामिल है।

आज हम आप लोगों को नागफनी के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहा हूँ। नागफली का पौधा काँटों युक्त होता है। नागफली की खेती मुख्य रूप से राजस्थान व गुजरात में की जाती है।

इसका प्रयोग सब्जी के रूप में भी किया जाता है, क्योंकि इस पौधे की सब्जी में बहुत से पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। यह पौधा औषधीय गुण से भरपूर होता है।

इस पौधे में विटामिन A, विटामिन B 6, विटामिन C और विटामिन K से भरपूर होता है। इस पौधे का स्वाद कड़वा व बहुत ही गर्म तासीर का होता है। इस पौधे में एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है।

नागफनी नीचे दिए गए रोगों के लिए वरदान होती है। नागफनी में कांटे होने के कारण इसे संस्कृत भाषा में वज्रकंटका भी कहा जाता है।

नागफनी के चमत्कारी फायदे

1-नागफनी एक रेशेदार सब्जी है जिसमे फाइबर अधिक मात्रा में होता है फाइबर आँतो के ठीक से काम करने के लिए बहुत जरुरी होता है। नागफनी कब्ज और दस्त में लाभदायक है।

2-कान के दर्द में नागफली की 2-3 बूँद कान में डालने से तुरंत लाभ होता है।

3-नागफनी में कैल्सियम की मात्रा भरपूर होती है। अगर सूजन है , जोड़ों का दर्द है या चोट के कारण आप को चलने मे दिक्कत ही रही है, तो आप पत्ते को बीच में काटकर गूदे वाले हिस्से पर हल्दी और सरसों का तेल लगाकर गर्म कर बांध लें। आप की सूजन मात्र 2-3 घंटों में गायब हो जायेगी।

4-कुक्कर खांसी, में इसके फल को भुन कर खाने से लाभ होता है।

5-नागफनी के रस में सूजन, गठिया और मांसपेशियों की टूट फूट को ठीक करने के गुण पाया जाता है।

6-नागफनी मधुमेय के रोगियों के लिये वरदान है। यह डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति में ग्लूकोस लेवल को नियंत्रित रखता है।

7-हैड्रोसिल की समस्या में इसके पत्ते को बांधने से बहुत ही जल्द आराम मिलता है।

8-यदि किसी को दमा की समस्या है तो नागफनी के फल के टुकड़े कर , इन्हे सुखाकर ,उसका काढ़ा बनाकर पीने से दमा में बहुत ही जल्द आराम मिलता है और इसके लगातार सेवन से आप को दमा से निजात मिल जायेगा।

9-यदि इसके पत्तों के 4 से 5 ग्राम रस का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो कैंसर जैसी समस्या को भी रोका जा सकता है।

10-इसके फल से बना शरबत लगातार पिने से पित्त में होने वाले विकार सही हो जाता है।

11-यदि किसी व्यक्ति को निमोनिया की समस्या हो गयी है तो पौधे टुकड़े काट लें और इन टुकड़ों को उबाल कर दिन में दो बार पांच दिनों के तक सेवन करें

12-यह बड़े हुए प्रोस्टेट में बहुत ही सहायक व ग्रंथि की सूजन को नागफनी के फूल के सेवन से कम कर सकते हैं।

जय हिन्द जय भारत ❤️🇮🇳

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