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“राम का आदर्श और सीता की मर्यादा – सनातन का सार”
**“सीता की मर्यादा और राम का आदर्श –
यही है सनातन जीवन की सच्ची परिभाषा।
श्रीराम हमें सिखाते हैं कि जीवन में धर्म, सत्य और कर्तव्य को सर्वोपरि रखें,
और माता सीता सिखाती हैं कि प्रेम, संयम और आत्मसम्मान कैसे जीवन का श्रृंगार बनते हैं।
रामचरितमानस के हर पृष्ठ पर यही अमर संदेश लिखा है –
‘धरम न दुसह भाइ संजमू, जेहि बिनु न पावत परम गजगामू।’
अर्थात – धर्म और संयम ही वह पुल हैं, जिनसे होकर आत्मा परम शांति तक पहुँचती है।
आइए, राम और सीता के आचरण को अपने जीवन में उतारें –
यही है सच्चा सनातन पथ।”**
।। जय सियाराम ।।
#ramayana #jaisiyaram #jaishreeram #sitaram #ram #ayodhya #sanatandharma #bhakti #spiritualindia #bhupindersinghrana

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पहलगाम हमले के विरोध में देशभर में विभिन्न समुदायों और नेताओं ने एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई है। यह हमला केवल जिहादियों का नहीं था, बल्कि इसके पीछे कई राजनीतिक और सामाजिक ताकतें भी थीं। पहलगाम हमले के बाद 236 सांसद भी इस घटना के विरोध में खड़े हुए, जिन्होंने आतंकवाद और उससे जुड़े तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

पहलगाम हमले में आतंकवादियों ने निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। महराजगंज में जिला पंचायत सदस्य दीपक पांडेय के नेतृत्व में आक्रोश रैली निकाली गई, जिसमें पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए और सरकार से आतंकियों को कड़ी सजा देने की मांग की गई।

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आप सभी को #सीता_नवमी और #रामायण\"में सीता बनकर घर घर में मशहूर हुईं अभिनेत्री
#दीपिका_चिखलिया जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं🙏🚩🎁🎉🎂💐🌹🌿

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क्रूरता की हदों को पार कर राक्षस प्रवृति के इन हवानों में मानवता का भाव कब आएगा? यह प्रश्न लंबे समय से समाज का हर सभ्य नागरिक न्याय की मांग के साथ देश की न्याय व्यवस्था से करता हैं।आरुषि मर्डर, निर्भया मर्डर केस जैसे अनेक मर्डर केसों की गुत्थियां आज तक अनसुलझी पहेलियां बनी हुयी हैं।एक बार फिर उसी घटनाक्रम में #बहरोड़_क्षेत्र के अनन्तपुरा गाँव की बेटी डॉ भावना यादव का मर्डर 24 अप्रैल को हिसार में निर्मम तरीक़े से दरिंदो द्वारा किया गया।जन्म के साथ ही बिटिया भावना के सैर से पिता का साया ईश्वर ने छीन लिया था लेकिन एक माँ ने अपनी बेटी को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर उसके सपनों को संजोने के लिए कड़ी मेहनत और अथक परिश्रम के साथ अपनी बेटी को डॉक्टर बनाया।क्या पता था माँ को एक दिन कोई दरिंदा मेरी बेटी के साथ इस तरह का जघन्य अपराध कर बेटी का साथ भी मुझसे झीन ले जायेगा।ना जाने कितनी माताओं ने अपनी बेटियों को इन दरिंदों के भेंट चढ़ते हुए देखा है।प्रौद्योगिकी की अंधी दौड़ में भागता हुआ देश अपने संस्कारों और मूल्यों को ना भूलें, नहीं तो आने वाले समय में ये स्थितियां और भयावह हो जाएंगी। भारत को विकसित और आधुनिक बनाने से पहले सरकारों को इस तरह के जघन्य अपराधों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए कठोर क़ानून का प्रावधान बनाना होगा, तभी हम हमारी बेटियों को सुरक्षित आवरण दे पायेंगे।बिटियां भावना को मेरी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि एवं दुःखद परिस्तिथियों में ईश्वर माँ को ये दर्द सहने की शक्ति प्रदान करें।
Narendra Modi Amit Shah Bhupender Yadav BJP Bhajanlal Sharma Nayab Saini

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"रामहि सुमिरत रन भिरत, देत परत गुरु पायँ।
‘तुलसी’ जिन्हहि न पुलक तनु, ते जग जीवत जाएँ।।"
यह दोहा गोस्वामी तुलसीदास जी की भक्ति-भावना का अत्यंत मार्मिक और गूढ़ उदाहरण है:
शब्दार्थ:
रामहि सुमिरत: श्रीराम का स्मरण करते हुए
रन भिरत: युद्ध करते हुए
देत परत गुरु पायँ: गुरु के चरणों में अर्पण करते हुए
पुलक तनु: शरीर में रोमांच होना
जग जीवत जाएँ: संसार में जीते हुए समझे जाएँ
भावार्थ (अर्थ) — रामचरितमानस और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से:
तुलसीदास जी कहते हैं कि चाहे कोई युद्धभूमि में लड़ रहा हो, श्रीराम का स्मरण कर रहा हो, या गुरु के चरणों में स्वयं को अर्पित कर रहा हो — इन शुभ कर्मों के समय भी यदि किसी के शरीर में भक्तिभाव से रोमांच (पुलक) नहीं होता, तो ऐसे व्यक्ति का इस संसार में जीवित रहना भी व्यर्थ है।
आध्यात्मिक दृष्टि से — यह दोहा सच्ची भक्ति की पहचान को दर्शाता है। केवल क्रियाओं से नहीं, बल्कि अंतरतम की भावना और श्रीराम के प्रति आत्मिक प्रेम से ही भक्ति सफल होती है। यदि श्रीराम का नाम सुनने पर भी हृदय पुलकित न हो, तो जीवित होकर भी वह आत्मा जैसे मृत ही है।
रामचरितमानस का सन्दर्भ:
इस भाव को मानस के कई स्थलों से जोड़ा जा सकता है, जैसे —
श्रीराम के नाम और गुणों का स्मरण करने पर निषादराज, शबरी, हनुमान जैसे भक्तों का रोम-रोम भक्तिभाव से पुलकित हो उठता है।
शबरी के श्रीराम के दर्शन के समय उसका शरीर पुलकित हो गया था — यह बताता है कि सच्चा भक्त श्रीराम के स्मरण से ही आनंद और परमानंद से भर उठता है।
संदेश:
तुलसीदास जी इस दोहे के माध्यम से हमें यह सिखा रहे हैं कि भक्ति केवल कर्मकांड या बाहरी आचरण से नहीं होती, बल्कि जब हृदय श्रीराम के नाम से रोमांचित होता है, वही सच्ची भक्ति है। इसके बिना जीवन अधूरा है।
।। जय श्री राम ।।

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